राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

अंतरिक्ष तकनीक से खेती बनेगी आधुनिक: भारत का नया ‘कृषि-डीएसएस’ प्लेटफॉर्म लॉन्च

17 अगस्त 2024, नई दिल्ली: अंतरिक्ष तकनीक से खेती बनेगी आधुनिक: भारत का नया ‘कृषि-डीएसएस’ प्लेटफॉर्म लॉन्च – कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने भारतीय कृषि क्षेत्र में एक नई तकनीक की शुरुआत करते हुए 16 अगस्त, 2024 को डिजिटल भू-स्थानिक मंच, कृषि-निर्णय सहायता प्रणाली (डीएसएस- डिसीजन सपोर्ट सिस्टम ) का शुभारंभ किया। राज्य मंत्री श्री भागीरथ चौधरी ने इस महत्वपूर्ण पहल का अनावरण करते हुए इसे भारतीय कृषि में नवाचार और स्थिरता को बढ़ावा देने वाला एक अभूतपूर्व कदम बताया।

अंतरिक्ष तकनीक और कृषि का संगम

चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम में अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी  के जरिए कृषि में सुधार और विकास के नए रास्ते तलाशने पर जोर दिया गया। यह कार्यक्रम “भारत में कृषि परिवर्तन के लिए अंतरिक्ष-संचालित समाधान” पर केंद्रित था, जिसमें विभिन्न हितधारकों ने हिस्सा लिया।
कृषि-डीएसएस अपनी तरह का पहला भू-स्थानिक मंच है जो भारतीय कृषि के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से किसानों और नीति निर्माताओं को उपग्रह चित्रों, मौसम की जानकारी, जलाशय भंडारण, भूजल स्तर और फसल की स्थिति सहित अन्य महत्वपूर्ण डेटा तक वास्तविक समय में मिलेगी । इससे टिकाऊ कृषि और बेहतर फसल उत्पादन के लिए बेहतर निर्णय लिए जा सकेंगे।

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कृषि के विभिन्न पहलुओं पर केंद्रित समाधान

कृषि-डीएसएस में खेतों के फसल पैटर्न की निगरानी, ​​सूखे की स्थिति का पूर्वानुमान, मौसम के बदलावों का फसलों पर प्रभाव और मृदा जल संरक्षण उपायों के लिए डेटा तक पहुंच जैसे कई उन्नत मॉड्यूल शामिल हैं। यह प्लेटफॉर्म किसानों को कीट हमलों, सूखा, भारी बारिश और ओलावृष्टि जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बारे में भी चेतावनी प्रदान करेगा।

एक राष्ट्र-एक मृदा सूचना प्रणाली आपकी उंगलियों पर एक व्यापक मृदा डेटा प्रदान करती है, जिसमें कि मिट्टी की किस्‍म, मिट्टी का पीएच, मिट्टी का स्वास्थ्य आदि शामिल हैं। मृदा डेटा हमें मृदा जल संरक्षण उपायों को लागू करने के लिए फसल की उपयुक्तता और भूमि क्षमता का आकलन करने में मदद करेगा। बाढ़ प्रभाव आकलन से लेकर फसल बीमा समाधान और कई अन्य तक, कृषि-डीएसएस एक समग्र समाधान है। कृषि-डीएसएस प्लेटफॉर्म न केवल एक उपकरण है, बल्कि यह एक उत्प्रेरक है जो भारत की कृषि को अधिक सशक्त, टिकाऊ और समृद्ध बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।

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