सोयाबीन की कीमतें एमएसपी से नीचे, खरीफ 2025 में रकबा घटा
04 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली: सोयाबीन की कीमतें एमएसपी से नीचे, खरीफ 2025 में रकबा घटा – खरीफ 2025 में सोयाबीन की बुवाई का रकबा घटने और सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने के बावजूद सितंबर महीने में देशभर की मंडियों में सोयाबीन के दाम पिछले साल की तुलना में नीचे रहे। एपीएमसी से मिली रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर 2025 में सोयाबीन का औसत थोक भाव 4,617 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जबकि सितंबर 2024 में यह 5,220 रुपये प्रति क्विंटल था। यानी कीमतों में करीब 11.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई।
रकबा और एमएसपी का हाल
कृषि मंत्रालय के अनुसार खरीफ 2025 में सोयाबीन का रकबा 120.45 लाख हेक्टेयर रहा, जबकि पिछले साल यह 129.55 लाख हेक्टेयर था। यानी बुवाई में करीब 7.03 प्रतिशत की कमी आई है। सरकार ने इस वर्ष सोयाबीन का एमएसपी 5,328 रुपये प्रति क्विंटल घोषित किया है, जो पिछले साल के 4,892 रुपये प्रति क्विंटल से 436 रुपये अधिक है।
इसके बावजूद किसानों को मंडियों में एमएसपी से काफी कम दाम मिल रहे हैं। इससे यह साफ है कि जब तक सरकार द्वारा वास्तविक खरीद (प्रोक्योरमेंट) नहीं होती, एमएसपी का लाभ किसानों तक पूरी तरह नहीं पहुंच पा रहा।
राज्यों की स्थिति
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और कर्नाटक जैसी प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में दाम अगस्त की तुलना में 7 से 15 प्रतिशत तक गिरे। उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश में सितंबर में औसत भाव 4,080 रुपये प्रति क्विंटल रहा, जो अगस्त से करीब 10 प्रतिशत कम है। महाराष्ट्र में यह 4,170 रुपये, कर्नाटक में 4,028 रुपये और तेलंगाना में 4,182 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज हुआ।
इसके विपरीत, तमिलनाडु में सितंबर में सोयाबीन के भाव अचानक 8,562 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गए, जबकि अगस्त में यह 4,517 रुपये था। लगभग 90 प्रतिशत की इस उछाल को विशेषज्ञ असामान्य मान रहे हैं और मानते हैं कि यह या तो रिपोर्टिंग की त्रुटि हो सकती है या फिर बहुत सीमित व्यापार के कारण कीमत में उछाल दिखा।
सोयाबीन कीमतें: राज्यवार थोक मासिक विश्लेषण (सितंबर 2025)
राज्य | सितंबर 2025 (रु./क्विंटल) | अगस्त 2025 (रु./क्विंटल) | सितंबर 2024 (रु./क्विंटल) | % बदलाव (पिछले माह से) | % बदलाव (पिछले वर्ष से) |
---|---|---|---|---|---|
आंध्र प्रदेश | 4039 | – | – | – | – |
छत्तीसगढ़ | 4035 | 4166 | 4198 | -3.14 | -3.88 |
गुजरात | 4109 | 4347 | 4354 | -5.48 | -5.63 |
कर्नाटक | 4028 | 4758 | 4217 | -15.34 | -4.48 |
मध्य प्रदेश | 4080 | 4553 | 4394 | -10.39 | -7.15 |
महाराष्ट्र | 4170 | 4496 | 4441 | -7.25 | -6.10 |
मणिपुर | – | – | 8750 | – | – |
राजस्थान | 4247 | 4475 | 4366 | -5.09 | -2.73 |
तमिलनाडु | 8562 | 4517 | 8920 | +89.55 | -4.01 |
तेलंगाना | 4182 | 4656 | 4305 | -10.18 | -2.86 |
उत्तर प्रदेश | 4140 | 4344 | 4256 | -4.70 | -2.73 |
उत्तराखंड | 4000 | – | – | – | – |
औसत | 4617 | 4395.55 | 5220.10 | – | – |
मांग और आपूर्ति का दबाव
हालाँकि बुवाई कम हुई है, लेकिन मांग कमजोर होने के कारण कीमतें नीचे बनी हुई हैं। सोयाबीन तेल और खली (meal) की अंतरराष्ट्रीय मांग में गिरावट आई है, जिससे देश के तेल मिलों और क्रशिंग यूनिट्स की खरीद कमज़ोर पड़ी है। इसके अलावा सितंबर के अंत में महाराष्ट्र समेत कुछ हिस्सों में भारी वर्षा से फसल को नुकसान और खराब गुणवत्ता वाले दानों की बिक्री ने भी दामों को नीचे खींचा।
किसानों की चिंता और आगे का रास्ता
एमएसपी और वास्तविक बाजार भाव के बीच लगभग 1,200 रुपये प्रति क्विंटल का अंतर बना हुआ है। ऐसे में किसानों को बड़ी हानि का सामना करना पड़ रहा है। मध्य प्रदेश सरकार जैसे राज्यों से उम्मीद है कि वे भावांतर योजना जैसी नीतियों के ज़रिए किसानों को राहत दें।
विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले महीनों में कीमतें इस बात पर निर्भर करेंगी कि सरकार कितनी मात्रा में एमएसपी पर खरीद करती है, तेल मिलों की मांग कितनी बढ़ती है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन तेल व खली के भाव कैसे चलते हैं।
“जब तक मंडियों में एमएसपी पर सीधी खरीद नहीं होती, तब तक किसानों को घोषित समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल पाएगा,” एक कृषि अर्थशास्त्री ने कहा।
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