डेयरी क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत: सरकार के प्रयासों से दूध उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि
01 अगस्त 2024, नई दिल्ली: डेयरी क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत: सरकार के प्रयासों से दूध उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि – भारत के डेयरी क्षेत्र ने एक बार फिर अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज की है। भारत वैश्विक दूध उत्पादन में 25 प्रतिशत का योगदान देते हुए शीर्ष स्थान पर कायम है। पिछले नौ वर्षों में, दूध उत्पादन में लगभग 6% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता 459 ग्राम प्रतिदिन हो गई है, और देश घरेलू मांग को पूरा करने में आत्मनिर्भर हो गया है।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सरकार ने डेयरी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ाने के लिए कई अहम कदम उठाए हैं। इन प्रयासों में सबसे महत्वपूर्ण पहल है पशुपालन अवसंरचना विकास कोष (एएचआईडीएफ)। इस कोष की शुरुआत 24 जून 2020 को प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान प्रोत्साहन पैकेज’ के तहत किया गया था और इसे डेयरी प्रसंस्करण अवसंरचना विकास कोष (डीआईडीएफ) के विलय के साथ पुनर्संगठित किया गया है। इस कोष का आकार 29110.25 करोड़ रुपये है और इसे अगले तीन वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया है।
पशुपालन एवं डेयरी विभाग की प्रमुख योजनाएँ:
- राष्ट्रीय गोकुल मिशन: इस योजना का उद्देश्य स्वदेशी गोजातीय नस्लों का विकास एवं संरक्षण करना, उनकी आनुवंशिक उन्नयन करना, और गोजातीय पशुओं का दूध उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाना है।
- डेयरी विकास के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम: इस योजना का लक्ष्य दूध और दूध उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाना और संगठित दूध खरीद की हिस्सेदारी बढ़ाना है।
- पशुपालन अवसंरचना विकास कोष: यह योजना दूध प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन संबंधी अवसंरचना के निर्माण/आधुनिकीकरण पर केंद्रित है।
- डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों को सहायता: कार्यशील पूंजी ऋण पर ब्याज सब्सिडी के रूप में सहायता प्रदान की जाती है।
इसके अलावा, सरकार ने पशुपालन और डेयरी किसानों की कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) की सुविधा भी दी है।
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