दक्षिणी राज्यों में कृषि योजनाओं की समीक्षा: विशाखापत्तनम में क्षेत्रीय सम्मेलन संपन्न
21 नवंबर 2024, विशाखापत्तनम: दक्षिणी राज्यों में कृषि योजनाओं की समीक्षा: विशाखापत्तनम में क्षेत्रीय सम्मेलन संपन्न – कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय ने दक्षिणी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में चल रही विभिन्न कृषि योजनाओं की प्रगति का आकलन करने के लिए 18-19 नवंबर को एक क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किया। इस बैठक का आयोजन आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में किया गया, जहां तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल, पुडुचेरी और आंध्र प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
कृषि मंत्रालय के सचिव, डॉ. देवेश चतुर्वेदी, ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए राज्यों को केंद्र प्रायोजित योजनाओं के बेहतर कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया। उन्होंने योजना धनराशि के समय पर उपयोग और रिपोर्टिंग की जरूरत पर जोर दिया। साथ ही, राज्यों को “धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान” (डीए-जेजीयूए) जैसी नई पहलों का अधिकतम लाभ उठाने की सलाह दी गई, जिसका उद्देश्य जनजातीय समुदायों की भागीदारी को बढ़ावा देना है।
महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा
सम्मेलन में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई), डिजिटल कृषि मिशन, पीएम-किसान, राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन, ई-राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम), और कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ) जैसी योजनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई। सचिव ने राज्यों से आग्रह किया कि वे किसानों की रजिस्ट्री और भूमि रिकॉर्ड को डिजिटल प्लेटफार्म से जोड़ने पर प्राथमिकता दें। यह कदम योजनाओं के लाभ प्रभावी तरीके से पहुंचाने में सहायक होगा।
राज्यों को सलाह दी गई कि वे वार्षिक कार्य योजना (एएपी) को समय पर अंतिम रूप दें ताकि अप्रैल 2025 से पहली किस्त जारी हो सके और निधियों के उपयोग में देरी न हो। साथ ही, विभिन्न योजनाओं के तहत लचीले ढंग से धन खर्च करने की प्रक्रिया समझाई गई।
आंध्र प्रदेश सरकार के सलाहकार श्री विजय कुमार ने प्राकृतिक खेती के क्षेत्र में राज्य की उपलब्धियों पर एक प्रस्तुति दी। प्रतिभागियों ने प्राकृतिक खेती के तरीकों को देखा और कृषि ड्रोन व जीवामृतम जैसी नई तकनीकों का अनुभव लिया।
कृषि विकास में राज्यों की भूमिका
डॉ. चतुर्वेदी ने राज्यों को क्षेत्रीय समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने और स्थानीय जरूरतों के अनुरूप योजनाएं तैयार करने की सलाह दी। उन्होंने राज्यों को केंद्र सरकार की योजनाओं से अधिकतम लाभ लेने के लिए सक्रिय भागीदारी की अपील की।
बैठक के अंतिम सत्र में किसानों के लिए सूक्ष्म सिंचाई, जैविक खेती, मृदा स्वास्थ्य कार्ड और बीज गुणवत्ता सुधार जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। साथ ही, राज्यों को समय पर उपयोग प्रमाण पत्र (यूसी) जमा करने और अप्रयुक्त धनराशि को वापस करने की प्रक्रिया में तेजी लाने का निर्देश दिया गया।
सम्मेलन के दूसरे दिन प्रतिनिधियों ने प्राकृतिक खेती के क्षेत्रों का दौरा कर किसानों और कृषि विशेषज्ञों से चर्चा की। इस दौरान फसल छिड़काव में ड्रोन के उपयोग और कृषि से संबंधित अन्य नवाचारों का अवलोकन किया गया।
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