रतन टाटा: किसानों के सच्चे हितैषी और भारतीय कृषि में बदलाव के नायक
11 अक्टूबर 2024, नई दिल्ली: रतन टाटा: किसानों के सच्चे हितैषी और भारतीय कृषि में बदलाव के नायक – रतन टाटा, भारत के प्रतिष्ठित उद्योगपतियों में से एक, कृषि और ग्रामीण विकास के प्रति अपनी गहरी प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। उनके द्वारा भारतीय कृषि और किसानों के लिए किए गए योगदानों की विरासत हमेशा जीवित रहेगी। अपने जीवनकाल में, उन्होंने न केवल उद्योग में क्रांति लाई, बल्कि भारतीय किसानों और कृषि क्षेत्र के विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया। टाटा ट्रस्ट्स और अन्य संस्थानों के माध्यम से, उन्होंने किसानों की आय बढ़ाने, बेहतर संसाधन उपलब्ध कराने और कृषि के प्रति तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रतन टाटा की भारतीय कृषि के प्रति सोच
रतन टाटा ने हमेशा यह माना कि भारत की समृद्धि का सीधा संबंध उसके कृषि क्षेत्र से है। अपने जीवनकाल में, उन्होंने कई बार इस बात पर जोर दिया कि भारतीय किसानों को बेहतर वित्तीय सहायता, तकनीकी सहायता और बाजार की उचित पहुंच मिलनी चाहिए। उनका मानना था कि यदि किसानों को उन्नत कृषि तकनीकें और आधुनिक साधन उपलब्ध कराए जाएं, तो देश का ग्रामीण विकास तेजी से हो सकता है।
रतन टाटा के अनुसार, भारत का कृषि क्षेत्र गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहा है, जैसे जलवायु परिवर्तन, कृषि उत्पादकता में कमी और बढ़ती लागत। उन्होंने हमेशा यह कहा कि किसानों के जीवन में सुधार लाने के लिए सरकार और निजी क्षेत्र दोनों को मिलकर काम करना चाहिए।
टाटा ट्रस्ट्स और ग्रामीण विकास में योगदान
रतन टाटा के नेतृत्व में, टाटा ट्रस्ट्स ने भारत के कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से उन्होंने कई परियोजनाएं शुरू कीं, जिनका उद्देश्य किसानों को नवीनतम कृषि तकनीकें, जल प्रबंधन तकनीकें, और बेहतर उत्पादन विधियों से अवगत कराना था।
‘ग्रीन रिवॉल्यूशन पुनरुद्धार’ पहल के तहत, उन्होंने पंजाब और तमिलनाडु जैसे राज्यों में किसानों को उन्नत खेती के तरीकों की जानकारी दी। इस पहल ने किसानों को जल संरक्षण, मिट्टी की गुणवत्ता सुधार, और आधुनिक कृषि उपकरणों के उपयोग के माध्यम से उत्पादन क्षमता बढ़ाने में मदद की।
रतन टाटा का दृष्टिकोण हमेशा यह रहा कि ग्रामीण विकास के बिना राष्ट्रीय विकास अधूरा है। उन्होंने ‘सेंट्रल इंडिया इनिशिएटिव’ जैसी परियोजनाओं के माध्यम से आदिवासी क्षेत्रों में खेती के टिकाऊ तरीकों को बढ़ावा दिया।
कृषि में महिला सशक्तिकरण
रतन टाटा का यह दृढ़ विश्वास था कि कृषि क्षेत्र में महिलाओं का योगदान महत्वपूर्ण है। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए। टाटा ट्रस्ट्स के माध्यम से, ‘महिला स्व-सहायता समूहों’ (SHGs) को प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान किए गए, जिससे महिलाएं न केवल कृषि कार्यों में, बल्कि छोटे उद्यमों में भी सक्रिय भागीदार बन सकीं।
‘सुझलाम सुफलाम पहल’ के तहत, उन्होंने महिलाओं को जल प्रबंधन और कृषि सहकारी समितियों में नेतृत्व की भूमिकाओं के लिए प्रशिक्षित किया, जिससे महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण हुआ और उनकी सामुदायिक भागीदारी मजबूत हुई।
टिकाऊ कृषि और जलवायु परिवर्तन
रतन टाटा ने हमेशा टिकाऊ कृषि की वकालत की। उन्होंने किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए तैयार किया। ‘टाटा वाटर मिशन’ के माध्यम से, उन्होंने जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन को प्रोत्साहित किया, जिससे किसानों को जल संकट के दौरान फसलों की बेहतर देखभाल में मदद मिली।
टाटा ट्रस्ट्स ने किसानों को जलवायु अनुकूल खेती की तकनीकें अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया, जिससे फसल उत्पादन में सुधार हुआ।
टाटा रैलिस: कृषि रसायन में योगदान
रतन टाटा के नेतृत्व में, ‘टाटा रैलिस’ ने भारतीय कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यह कंपनी किसानों को फसल सुरक्षा, मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार और बीज उपचार के लिए उन्नत उत्पाद प्रदान करती है। टाटा रैलिस ने किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले कृषि रसायनों का सुरक्षित उपयोग करने की दिशा में भी जागरूक किया, जिससे फसलों की पैदावार में वृद्धि हुई।
टाटा रैलिस की यह नीति रही कि पर्यावरण के अनुकूल और टिकाऊ कृषि समाधान किसानों तक पहुंचाए जाएं। इसके उत्पादों ने न केवल कृषि क्षेत्र में नवाचार लाए, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार किया।
एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट
रतन टाटा का TERI (द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट) संस्थान भारतीय कृषि और पर्यावरण के क्षेत्र में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता रहा है। यह संस्थान सतत कृषि प्रथाओं, जल संरक्षण, और ग्रामीण विकास के लिए नवीन तकनीकों पर शोध करता है। रतन टाटा के नेतृत्व में, TERI ने किसानों को पर्यावरण-अनुकूल और ऊर्जा-सक्षम तकनीकों से जोड़ने का काम किया। संस्थान की पहलें जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और कृषि को अधिक टिकाऊ बनाने पर केंद्रित रही हैं, जिससे किसानों को सीधा लाभ मिला है।
कृषि में वित्तीय समावेशन और बाजार पहुंच
रतन टाटा ने वित्तीय समावेशन को भी कृषि के विकास का महत्वपूर्ण अंग माना। उन्होंने किसानों को ऋण, बीमा, और वित्तीय सेवाओं तक बेहतर पहुंच प्रदान करने के लिए कई पहलें कीं। ‘सक्षम पहल‘ जैसी परियोजनाओं के माध्यम से किसानों को वित्तीय साक्षरता प्रदान की गई, जिससे वे बेहतर वित्तीय निर्णय लेने में सक्षम हो सके।
रतन टाटा के निधन से भारतीय कृषि क्षेत्र ने एक महान नेता खो दिया है, लेकिन उनके द्वारा किसानों और कृषि के लिए किए गए कार्य हमेशा याद किए जाएंगे। उन्होंने अपने जीवनकाल में यह सुनिश्चित किया कि कृषि केवल एक व्यवसाय न रहे, बल्कि एक समृद्ध और टिकाऊ भविष्य का माध्यम बने। उनके योगदान और दृष्टिकोण ने भारतीय किसानों को न केवल आर्थिक रूप से सशक्त बनाया, बल्कि उनके जीवन में एक सकारात्मक परिवर्तन भी लाया।
उनकी विरासत भारतीय कृषि में नवाचार, सशक्तिकरण, और टिकाऊ विकास के रूप में जीवित रहेगी।
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