राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

विश्व जूनोसिस दिवस पर जन-जागरूकता

सभी पशु रोग जूनोटिक नहीं होते

08 जुलाई 2024, नई दिल्ली: विश्व जूनोसिस दिवस पर जन-जागरूकता – जूनोसिस संक्रामक रोग हैं इनका संक्रमण जानवरों से मनुष्यों में हो सकता है, जैसे रेबीज, एंथ्रेक्स, इन्फ्लूएंजा (एच1 एन1 और एच5 एन1), निपाह, कोविड-19, ब्रुसेलोसिस और तपेदिक। ये रोग बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी और कवक फफूंद सहित विभिन्न रोगजनकों के कारण होते हैं।

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यद्यापि, सभी पशु रोग जूनोटिक नहीं होते हैं। कई बीमारियाँ पशुधन को प्रभावित करती हैं किन्तु मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा नही हैं। ये गैर-जूनोटिक रोग प्रजाति-विशिष्ट हैं और मनुष्यों को संक्रमित नहीं कर सकते। उदाहरण के लिए खुरपका और मुँहपका रोग, पी.पी.आर., लम्पी स्किन डिजीज, क्लासिकल स्वाइन फीवर और रानीखेत रोग इसमें शामिल हैं।

भारत पशुधन की सबसे बड़ी आबादी से सम्पन्न है, जिसमें 536 मिलियन पशुधन और 851 मिलियन मुर्गी हैं, जो क्रमशः वैश्विक पशुधन और मुर्गी आबादी का लगभग 11% और 18% है। इसके अतिरिक्त, भारत दूध का सबसे बड़ा उत्पादक और वैश्विक स्तर पर अंडों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है।

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यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एएसएफ जूनोटिक नहीं है और मनुष्यों में इसका संक्रमण नहीं हो सकता है। वर्तमान में, एएसएफ के लिए कोई टीका नहीं है।जूनोटिक रोगों के जोखिम को कम करने के लिए, पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) ने एनएडीसीपी के तहत गोजातीय बछड़ों के ब्रुसेला टीकाकरण के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभियान चलाया है और एएससीएडी के तहत रेबीज टीकाकरण किया गया है। यद्यपि कई पशुधन रोग गैर-जूनोटिक हैं और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं करते हैं। इस अंतर को समझकर और उचित रोग प्रबंधन पद्धितयों पर ध्यान दे कर , हम पशु और मनुष्य दोनों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित कर सकते हैं।

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विश्व जूनोसिस दिवस लुई पाश्चर के सम्मान में प्रतिवर्ष मनाया जाता है, जिन्होंने 6 जुलाई, 1885 को एक जूनोटिक बीमारी, रेबीज का पहला सफल टीका लगाया था I

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