राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

इथेनॉल को बढ़ावा, किसानों का फायदा!

 लेखक: मधुकर पवार 

22 मार्च 2025, नई दिल्ली: इथेनॉल को बढ़ावा, किसानों का फायदा! –  भारत सरकार ने पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य 2030 से कम करके 2025-26 कर दिया है यानी कि पैट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनाल मिश्रण का लक्ष्य इस वर्ष के अंत तक हासिल कर लिए जाने की उम्मीद है । सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों द्वारा 28 फरवरी 2025 तक पैट्रोल में करीब 18 प्रतिशत तक इथेनॉल मिश्रण किए जाने की सूचना है। इससे यह उम्मीद बढ़ गई है कि चालू वित्त वर्ष में अपेक्षित लक्ष्य यानी पैट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनाल मिश्रण का लक्ष्य हासिल कर लिया जाएगा। विश्व के करीब 50 देशों में पैट्रोल में 10 से 12 प्रतिशत तक इथेनाल मिश्रण किया जा रहा है लेकिन केवल ब्राजील ही एक ऐसा देश है जहां पैट्रोल में 27 प्रतिशत तक इथेनाल मिश्रण किया जा रहा है। भारत में अब दोपहिया और चार पहिया वाहनों में 20 प्रतिशत इथेनॉल-मिश्रित पेट्रोल (ई20) का उपयोग किया जा रहा है। राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति ने इथेनाल बनाने के लिए खाद्यान्नों के उपयोग की अनुमति प्रदान की है।

इसके तहत मकई, कसावा, सड़े हुए आलू, टूटे हुए चावल जैसे खाद्यान्न, मानव उपभोग के लिए अनुपयुक्त खाद्यान्न, मक्का, गन्ने का रस और गुड़ के साथ कृषि अवशेष जैसे चावल का भूसा, कपास के डंठल, मकई के दाने, चूरा, खोई आदि का इथेनाल बनाने के लिए उपयोग किया जा सकता है। केंद्र सरकार ने किसानों और इथेनॉल उत्पादकों को प्रोत्साहित करने के लिए अनेक उपाय किए हैं। इसमें इथेनॉल उत्पादन के लिए फीडस्टॉक का विस्तार करना, इथेनॉल की खरीद के लिए एक मूल्य तंत्र को लागू करना, इथेनॉल पर जीएसटी दर को घटाकर 5 प्रतिशत करना, इथेनॉल के बनाने के लिए उद्योग अधिनियम में संशोधन करना, सार्वजनिक क्षेत्र की तेल विपणन कंपनियों द्वारा इथेनॉल खरीद प्रक्रिया को सरल बनाना और पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को 2030 से बदलकर 2025-26 करना शामिल है। भारत हर साल अपनी जरूरत का करीब 85% कच्चा तेल आयात करता है। वित्त वर्ष 2023-24 में भारत ने लगभग 23.25 करोड़ टन कच्चे तेल का आयात किया था, जिस पर करीब 132.4 अरब डॉलर खर्च करने पड़े। जबकि वर्ष 2022-23 के दौरान 157.5 अरब डॉलर मूल्य का कच्चा तेल आयात किया था । यह सम्भवत: रूस- उक्रैन युद्ध के चलते रूस से कम दामों में कच्चे तेल की खरीदी की वजह से हो सकता है लेकिन इसमें इथेनाल मिश्रण भी एक प्रमुख कारण हो सकता है। इथेनाल के मिश्रण से ईंधन आयात की निर्भरता कम हो रही है जिससे कच्चे तेल पर होने वाले खर्च को कम करने में मदद मिल रही है। इसका सीधा फायदा किसानों और इथेनाल का उत्पादन करने वाली इकाईयों को होगा। जिन फसलों और खाद्यान्नों का उपयोग इथेनाल बनाने में किया जा रहा है, किसानों को हमेशा ही उनकी उपज का बेहतर मूल्य मिल सकेगा। इथेनॉल उत्पादन और प्रसंस्करण के लिए नए कारखाने और मिलें स्थापित होने से रोजगार के अवसर भी बढ़ रहे हैं। चूंकि इथेनॉल जैविक ईंधन है जिससे कम प्रदूषण होता है, कार्बन उत्सर्जन में कमी आने से पर्यावरण को स्वच्छ रखने में भी मदद मिलेगी। पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण की नीति निश्चित ही किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। अब सरकार को यह भी ध्यान रखना होगा कि किसान इथेनाल बनाये जा सकने वाली फसलों का अधिकाधिक उत्पादन न करने लग जाएं। इसके लिए एक स्पष्ट नीति बनाने की आवश्यकता है ताकि देश में सभी खाद्यान्नों का पर्याप्त उत्पादन होता रहे। अन्यथा लाभ के चक्कर में देश फिर से खाद्यान्न की कमी के कुचक्र में न फंस जाए। 

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