National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

अब बिना प्रीमियम भरे गुजरात के किसानों को मिलेगा फसल बीमा का लाभ

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13 अगस्त 2020, गांधीनगर। अब बिना प्रीमियम भरे गुजरात के किसानों को मिलेगा फसल बीमा का लाभ – मुख्यमंत्री श्री विजय रूपाणी ने  राज्य के लाखों किसानों के व्यापक हित में मुख्यमंत्री किसान सहायता योजना की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि खेती में विशेषकर खरीफ सीजन में बारिश की अनियमितता किसानों के आर्थिक नुकसान का मुख्य कारक है।

प्राकृतिक आपदा के ऐसे मौके पर किसानों को होने वाले नुकसान के लिए पारदर्शी और सरल पद्धति जिसमें राज्य के सभी किसानों का समावेश हो और नुकसान उठाने वाला कोई किसान वंचित न रह जाए उस ध्येय के साथ खरीफ सीजन में प्राकृतिक आपदा से हुए फसल नुकसान के समक्ष किसानों को सरलता से लाभ प्रदान करने के लिए तमाम फसलों और राज्य के हर क्षेत्र को शामिल करते हुए यह योजना लागू करने का राज्य सरकार ने निर्णय किया है। इस योजना के लिए किसान को कोई प्रीमियम भी नहीं देना होगा।

उप मुख्यमंत्री श्री नितिनभाई पटेल, कृषि मंत्री श्री आर.सी. फल्दु, राज्य मंत्री श्री जयद्रथसिंह परमार और मुख्य सचिव श्री अनिल मुकीम की उपस्थिति में मुख्यमंत्री ने इस योजना का ऐलान किया। इस अवसर पर कृषि विभाग के सचिव श्री मनीष भारद्वाज और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे। 

इस सरल और पारदर्शी योजना पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि फसल बीमा योजना में जो किसान प्रीमियम जमा करते थे केवल उन्हें ही लाभ मिलता था। अब, मुख्यमंत्री किसान सहायता योजना के अंतर्गत बिना प्रीमियम दिए ही सहायता मिलेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना का लाभ राज्य के छोटे-बड़े और सीमांत समेत राज्य के लगभग 56 लाख से अधिक किसानों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि राज्य आपदा राहत कोष (एसडीआरएफ) के लाभों को यथावत रखते हुए मुख्यमंत्री किसान सहायता योजना का लाभ दिया जाएगा।

तीन तरह के जोखिम होंगे कवर :  सूखा, अतिवृष्टि यानी भारी वर्षा और मावठ अर्थात बेमौसम बारिश के जोखिमों से हुए फसल नुकसान को सहायता के लिए पात्र माना जाएगा।

तीनों जोखिमों के सहायता मानकों का विवरण

सूखा (अकाल)की स्थिति मेः जिन तहसीलों में चालू सीजन की 10 इंच से कम बारिश हुई हो या राज्य में मानसून शुरू होने से लेकर 31 अगस्त तक की अवधि में दो बारिश के बीच लगातार चार सप्ताह (28 दिन) तक बारिश न हुई हो यानी कि शून्य बरसात हो तथा खेत में बोई गई फसल को नुकसान पहुंचा हो तो उसे सूखे का जोखिम माना जाएगा।

अतिवृष्टि या भारी बारिश की स्थिति में : तहसील को यूनिट मानते हुए अतिवृष्टि की स्थिति में जैसे कि बादल फटना या लगातार भारी बारिश जिसमें दक्षिण गुजरात क्षेत्र के जिलों (भरुच, नर्मदा, तापी, सूरत, नवसारी, वलसाड़ और डांग) के लिए 48 घंटे में 35 इंच या उससे अधिक और उसके अलावा राज्य के अन्य सभी जिलों में 48 घंटे में 25 इंच या उससे अधिक बारिश राजस्व तहसील के रेन गेज (वर्षामापी यंत्र) के अनुसार दर्ज हुई हो और खेत में बोई गई खड़ी फसल को पहुंचे नुकसान को अतिवृष्टि का जोखिम माना जाएगा।

मावठ या बेमौसम बारिश की स्थिति मेः 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक राजस्व तहसील के रेन गेज में लगातार 48 घंटों के दौरान 50 मिमी या अधिक बारिश गिरने और खेती की फसल को खेत में नुकसान पहुंचे तो वह मावठ या बेमौसम बारिश का जोखिम माना जाएगा।

लाभार्थी किसान की पात्रता: पूरे राज्य में राजस्व रिकार्ड में दर्ज सभी 8-अ धारक किसान खातेदार तथा वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के अंतर्गत सनद धारक किसान, जिन्होंने खरीफ सीजन में बुवाई की हो,लाभार्थी माने जाएंगे।

मुख्यमंत्री किसान सहायता योजना के मानक : खरीफ सीजन में 33 से 60 फीसदी फसल नुकसान होने पर 20,000 रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से अधिक से अधिक 4 हेक्टेयर की सीमा में सहायता मिलेगी। इसी तरह, खरीफ सीजन में 60 फीसदी से अधिक फसल नुकसान होने पर 25,000 रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से अधिक से अधिक 4 हेक्टेयर की सीमा में सहायता मिलेगी ।

योजना में महत्वपूर्ण प्रावधान :   इस योजना के अलावा जो  किसान एसडीआरएफ योजना के प्रावधानों के अनुसार लाभ मिलने का पात्र होगा तो उसे वह भी मिलेगा। लाभार्थी किसानों की समस्या या मसलों के हल के लिए ग्रीवन्स रिड्रेसल मैकेनिज्म की व्यवस्था विशेष तौर पर स्थापित की जाएगी। किसानों के मार्गदर्शन के लिए टोल फ्री नंबर की सेवा मुहैया कराई जाएगी।

आवेदन कैसे करें : योजना का आवेदन ऑनलाइन प्राप्त करने के लिए पोर्टल तैयार किया जाएगा। लाभार्थी किसानों को ई-ग्राम सेंटर पर जाकर पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन देना होगा। मंजूर की गई सहायता लाभार्थियों के बैंक खाते में सीधे प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के मार्फत जमा की जाएगी।

फसल नुकसान वाले क्षेत्र घोषित करने की प्रक्रिया : सूखा, अतिवृष्टि और बेमौसम बारिश (मावठ) के कारण जहां फसल को नुकसान पहुंचा हो, ऐसे प्रभावित गांवों, तहसील और क्षेत्रों की सूची जिला कलेक्टर  की ओर से तैयार की जाएगी। घटना के सात दिनों के भीतर कलेक्टर  की ओर से राज्य सरकार की (राजस्व विभाग की) की मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजा जाएगा। राज्य सरकार का राजस्व विभाग प्रस्ताव मिलने के सात दिनों में इस योजना के लाभ के लिए प्रभावित क्षेत्र, गांव या तहसील की सूची मंजूर करने का आदेश जारी करेगा। राज्य सरकार द्वारा प्रभावित गांवों, तहसील और क्षेत्रों की सूची के अनुसार जिला विकास अधिकारी के मार्फत सर्वे टीम बनाकर प्रभावित गांवों, तहसील और क्षेत्र के असरग्रस्त खेतों का पंचनामा सहित सर्वे 15 दिन में कराया जाएगा।

सर्वे पूरा होने के बाद इस योजना के तहत सहायता प्राप्त करने को पात्र किसानों की सूची जिला विकास अधिकारी के हस्ताक्षर वाले आदेश से जारी की जाएगी।  दो प्रकार के नुकसान अर्थात 33 से 60 फीसदी और 60 फीसदी से अधिक नुकसान की सूची जारी की जाएगी।

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