राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

गुजरात में प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय कार्यशाला, किसानों को प्रशिक्षित करने की योजना

24 जनवरी 2025, नई दिल्ली: गुजरात में प्राकृतिक खेती पर राष्ट्रीय कार्यशाला, किसानों को प्रशिक्षित करने की योजना – गुजरात के हलोल में दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और किसानों को प्रशिक्षित करने की रणनीतियों पर चर्चा की गई। इस कार्यशाला का आयोजन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किया गया था। गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती से मृदा स्वास्थ्य में सुधार होता है, इनपुट लागत कम होती है और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने में मदद मिलती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस पद्धति से किसानों की बाहरी बाजार पर निर्भरता कम होती है और भावी पीढ़ियों के लिए सुरक्षित व स्वस्थ खाद्य उपलब्ध कराना संभव हो पाता है।

राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन का उद्देश्य

भारत सरकार द्वारा स्वीकृत राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ) का लक्ष्य 18.75 लाख किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रशिक्षित करना और वे आगे एक करोड़ किसानों को प्रशिक्षित करेंगे। इस मिशन के तहत 7.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने और 15,000 क्लस्टरों में 10,000 जैव-इनपुट संसाधन केंद्र (बीआरसी) स्थापित करने की योजना है।

कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव डॉ. देवेश चतुर्वेदी ने कहा कि यह मिशन उन किसानों और समुदायों से प्रेरित है, जो दशकों से प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना का उद्देश्य किसानों के खेतों में अभ्यास के माध्यम से कृषि पद्धतियों को वैज्ञानिक रूप से मजबूत करना है।

प्राकृतिक खेती केंद्रों की भागीदारी

कार्यशाला में विभिन्न राज्यों के सात प्राकृतिक खेती केंद्रों (सीओएनएफ) के 90 विशेषज्ञों ने भाग लिया। इनमें हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, गुजरात, झारखंड, तमिलनाडु, जम्मू-कश्मीर और पश्चिम बंगाल के विशेषज्ञ शामिल थे। आयोजन स्थल, गुजरात प्राकृतिक खेती विज्ञान विश्वविद्यालय, भी मिशन के लिए पहचाने गए प्रमुख सीओएनएफ में से एक है। इसके अलावा, कार्यशाला में 10 स्थानीय किसान और विश्वविद्यालय के 52 छात्र-प्रोफेसर भी शामिल हुए।

इस दौरान गुजरात सरकार की अतिरिक्त मुख्य सचिव (कृषि) डॉ. अंजू शर्मा, कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री फ्रैंकलिन एल. खोबंग और उप सचिव सुश्री रचना कुमार भी मौजूद रहे।

प्राकृतिक खेती को लेकर रणनीति

इस कार्यशाला में प्रशिक्षण गतिविधियों की रूपरेखा तय की गई और विशेषज्ञों को इस मिशन के राजदूत बनने के लिए प्रोत्साहित किया गया। प्राकृतिक खेती को लेकर किसानों में जागरूकता बढ़ाने और व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए कृषि विश्वविद्यालयों, राष्ट्रीय स्तर के प्राकृतिक खेती संस्थानों और स्थानीय संस्थाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी।

सरकार का लक्ष्य है कि प्राकृतिक खेती को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित किया जाए और इसके लाभों को अधिकतम किसानों तक पहुंचाया जाए। इसके लिए विभिन्न स्तरों पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यह पद्धति सही तरीके से अपनाई जाए तो इससे खेती की लागत में कमी आएगी और किसानों की आय में सुधार हो सकता है।

हालांकि, प्राकृतिक खेती को लेकर अभी भी कई चुनौतियां हैं। किसानों को पारंपरिक रासायनिक खेती से प्राकृतिक खेती की ओर स्थानांतरित करने के लिए आर्थिक सहायता और उचित प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी। इसके अलावा, किसानों को इस प्रणाली के दीर्घकालिक लाभों के बारे में जागरूक करना भी आवश्यक होगा।

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