राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

मनरेगा का बजट 86,000 करोड़ रुपये, मजदूरी दर में 7% की बढ़ोतरी

28 अक्टूबर 2024, नई दिल्ली: मनरेगा का बजट 86,000 करोड़ रुपये, मजदूरी दर में 7% की बढ़ोतरी – ग्रामीण विकास मंत्रालय ने हाल ही में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) से जुड़े आंकड़े जारी किए हैं, जिसमें 2014 से लेकर 2025 तक 2923 करोड़ मानवदिवस सृजित किए जाने की जानकारी दी गई है। वहीं, वर्ष 2006-07 से 2013-14 तक यह संख्या 1660 करोड़ मानवदिवस थी।

मनरेगा के तहत वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक 13.10 करोड़ श्रमिकों की आधार सीडिंग हो चुकी है, जो कुल सक्रिय श्रमिकों का 99.3% है। इसके अलावा, चालू वित्तीय वर्ष के लिए मनरेगा का बजट 86,000 करोड़ रुपये रखा गया है, जो योजना के इतिहास में सबसे अधिक है।

APBS से भुगतान प्रक्रिया में सुधार

मनरेगा के तहत श्रमिकों को आधार आधारित भुगतान प्रणाली (APBS) के जरिए मजदूरी का भुगतान किया जाता है। इससे भुगतान प्रक्रिया में देरी को कम करने, जवाबदेही बढ़ाने और फर्जी भुगतान रोकने में मदद मिलती है। अगर किसी कारणवश APBS से भुगतान अस्वीकृत होता है, तो NACH (नेशनल ऑटोमेटेड क्लियरिंग हाउस) प्रणाली के जरिए खाता आधारित भुगतान किया जाता है।

श्रमिकों की मजदूरी और बजट में वृद्धि

वित्तीय वर्ष 2014-15 से लेकर 2024-25 तक मनरेगा के लिए बजट में लगातार बढ़ोतरी हुई है। जहां 2013-14 में बजट 33,000 करोड़ रुपये था, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 86,000 करोड़ रुपये हो गया है। इसके साथ ही, मजदूरी दर में भी 7% की वृद्धि की गई है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में न्यूनतम औसत मजदूरी ₹279 तय की गई है, जो 2013-14 के ₹155 की तुलना में काफी अधिक है।

मनरेगा के तहत जॉब कार्ड सत्यापन एक निरंतर प्रक्रिया है, जिसमें फर्जी, डुप्लीकेट और अनुपयोगी जॉब कार्डों को हटाया जाता है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में 102.20 लाख जॉब कार्ड हटाए गए, जबकि चालू वर्ष में अब तक 32.28 लाख जॉब कार्ड निरस्त किए जा चुके हैं।

राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली (NMMS) का प्रभाव

मनरेगा में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए जनवरी 2023 से राष्ट्रीय मोबाइल निगरानी प्रणाली (NMMS) अनिवार्य कर दी गई है। इसके तहत, मजदूरों की उपस्थिति जियो-टैग और टाइम-स्टैम्प के साथ दर्ज की जाती है। इस तकनीक का इस्तेमाल 95.66% कार्यस्थलों पर हो रहा है, जिससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने और निगरानी को और मजबूत करने में मदद मिली है।

वर्तमान वित्तीय वर्ष में 97% फंड ट्रांसफर ऑर्डर (FTO) समय पर जेनरेट किए गए हैं। इसके अलावा, 27 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विलंबित मजदूरी भुगतान के लिए मुआवजे का प्रावधान किया गया है। वर्ष 2024-25 में देरी से हुए भुगतान के मुआवजे के रूप में ₹5.27 लाख का भुगतान किया जा चुका है।

नए श्रमिकों की बढ़ोतरी

आंध्र प्रदेश राज्य में अप्रैल से सितंबर 2024 के बीच 3.43 लाख नए श्रमिक जोड़े गए, जबकि 2.85 लाख श्रमिक हटाए गए। इसके परिणामस्वरूप राज्य में 58 हजार नए मजदूरों की वृद्धि दर्ज की गई है।

ग्रामीण विकास मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि मनरेगा एक मांग आधारित योजना है और इसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को बढ़ाना है। मंत्रालय लगातार इस योजना के प्रभावी क्रियान्वयन और श्रमिकों को समय पर मजदूरी प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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