देशभर की ग्रामीण महिला हस्तशिल्पियों से मिलें सरस आजीविका मेले में, गुरुग्राम में आयोजन
11 अक्टूबर 2024, नई दिल्ली: देशभर की ग्रामीण महिला हस्तशिल्पियों से मिलें सरस आजीविका मेले में, गुरुग्राम में आयोजन – ग्रामीण महिलाओं के हुनर और स्वावलंबन को प्रोत्साहित करने के लिए गुरुग्राम में 13 अक्टूबर से 29 अक्टूबर 2024 तक सरस आजीविका मेला आयोजित किया जा रहा है। ग्रामीण विकास मंत्रालय और राष्ट्रीय ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज संस्थान के सहयोग से यह मेला तीसरे वर्ष भी गुरुग्राम के सेक्टर 29 के लेजर वैली ग्राउंड में हो रहा है। इस मेले में देशभर के 30 से अधिक राज्यों की 900 से ज्यादा महिला हस्तशिल्पी हिस्सा लेंगी।
सरस मेला: ग्रामीण संस्कृति की झलक
मेले में विभिन्न राज्यों के पारंपरिक उत्पाद प्रदर्शित किए जाएंगे, जिनमें तसर, पटोला और चंदेरी साड़ियाँ, बाघ प्रिंट, काथा वर्क साड़ियाँ, ऊनी उत्पाद, प्राकृतिक खाद्य पदार्थ, वुडन क्राफ्ट, ड्राई फ्रूट और हैंडलूम उत्पाद शामिल हैं। यह मेला ग्रामीण संस्कृति की विविधता को उजागर करेगा और शहरी दर्शकों के सामने लाएगा।
इस वर्ष मेले में महिला स्वयं सहायता समूहों के लिए विशेष लर्निंग और नॉलेज शेयरिंग पैवेलियन लगाए जाएंगे। इन पैवेलियन में भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों जैसे कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, वस्त्र मंत्रालय, एमएसएमई मंत्रालय इत्यादि की योजनाओं की जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही, समूहों की महिलाओं के कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित होंगे।
मेले का आकर्षण केवल हस्तशिल्प तक सीमित नहीं है, बल्कि सरस फूड कोर्ट में 25 से ज्यादा राज्यों के 50 फूड स्टाल्स पर विभिन्न राज्यों के व्यंजनों का स्वाद भी चखा जा सकेगा। राजस्थानी कैर सांगरी, बंगाल की फिश करी, बिहार की लिट्टी-चोखा, पंजाब का सरसों का साग और मक्के की रोटी जैसे लोकप्रिय पकवान यहां मिलेंगे।
सरस मेले में बच्चों के लिए खेलकूद और मनोरंजन के विशेष किड्स ज़ोन की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, हर दिन सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे, जिससे मेला एक पारिवारिक आकर्षण बनेगा।
इस बार मेले में नॉर्थ-ईस्ट पैवेलियन भी होगा, ताकि उत्तर-पूर्वी राज्यों की विशेषताओं को प्रमुखता मिल सके। साथ ही, मेले में मेडिकल हेल्प डेस्क और एंबुलेंस जैसी सुविधाएं भी उपलब्ध रहेंगी।
सरस मेले का उद्देश्य और प्रभाव
सरस मेले का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण महिला स्वयं सहायता समूहों को शहरी बाजारों से जोड़ना और उनके उत्पादों को सीधा ग्राहकों तक पहुंचाना है। इन मेलों के जरिए महिलाओं को विपणन की समझ मिलती है, जिससे वे अपने उत्पादों की पैकेजिंग और मूल्य निर्धारण में सुधार कर सकती हैं। इससे महिलाओं को न केवल आर्थिक लाभ होता है, बल्कि यह महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
सरस आजीविका मेला ग्रामीण महिलाओं के लिए एक मंच है जहां वे अपने हुनर को प्रदर्शित कर रोजगार के नए अवसर प्राप्त कर सकती हैं। इस मेले का आयोजन 1999 से लगातार हो रहा है और इससे लाखों महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है।
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