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राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

भारत में खरीफ फसलों की बुआई पिछले वर्ष से अधिक, कुल रकबा पहुँचा 1121.46 लाख हेक्टेयर तक

07 अक्टूबर 2025, नई दिल्ली: भारत में खरीफ फसलों की बुआई पिछले वर्ष से अधिक, कुल रकबा पहुँचा 1121.46 लाख हेक्टेयर तक – भारत में खरीफ सीजन 2025-26 की बुआई ने इस वर्ष नया रिकॉर्ड बनाया है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी नवीनतम आँकड़ों के अनुसार 3 अक्टूबर 2025 तक देशभर में खरीफ फसलों का कुल रकबा 1121.46 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया है, जो पिछले वर्ष के 1114.95 लाख हेक्टेयर की तुलना में लगभग 6.51 लाख हेक्टेयर अधिक है। यह वृद्धि करीब 0.6 प्रतिशत की है और यह दर्शाती है कि किसानों का उत्साह और कृषि क्षेत्र की स्थिरता बनी हुई है।

इस वर्ष कई प्रमुख फसलों जैसे धान, दालें, मक्का और गन्ना के क्षेत्र में वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं कुछ फसलों जैसे सोयाबीन और कपास के क्षेत्र में हल्की कमी आई है। कृषि मंत्रालय के अनुसार यह सकारात्मक संकेत है कि खरीफ सीजन की शुरुआत से लेकर अब तक अधिकांश राज्यों में मानसून का वितरण संतुलित रहा, जिससे समय पर बुआई संभव हुई।

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धान : स्थिर वृद्धि और किसानों का भरोसा बरकरार

धान का रकबा इस वर्ष 441.58 लाख हेक्टेयर तक पहुँच गया है, जो पिछले वर्ष के 435.68 लाख हेक्टेयर से 5.9 लाख हेक्टेयर अधिक (1.35% वृद्धि) है। पूर्वी और दक्षिणी राज्यों — ओडिशा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु — में मानसून की अच्छी स्थिति ने धान की रोपाई को गति दी। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) नीति और उच्च उत्पादक किस्मों की उपलब्धता ने भी किसानों को धान की खेती के लिए प्रोत्साहित किया है।

दालें : हल्की बढ़त, अरहर और उड़द में सुधार

कुल दालों का क्षेत्र इस वर्ष 120.41 लाख हेक्टेयर तक पहुँचा है जो पिछले वर्ष के 119.04 लाख हेक्टेयर से थोड़ा अधिक है। इसमें अरहर (तूर) और उड़द की बुआई में वृद्धि देखी गई है। उड़द का क्षेत्र 22.87 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 24.37 लाख हेक्टेयर हुआ है, जो लगभग 6.5% की वृद्धि है। वहीं मूंग और मौठ की खेती में मामूली कमी आई है। कुल मिलाकर दालों की बुआई स्थिर रही है, जिससे आत्मनिर्भरता के लक्ष्य को समर्थन मिलेगा।

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मक्का बना प्रमुख बढ़त वाली फसल

मोटे अनाजों का कुल रकबा इस वर्ष 194.67 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है, जो पिछले वर्ष के 183.54 लाख हेक्टेयर से 11.13 लाख हेक्टेयर अधिक (6.06% वृद्धि) है। इसमें मक्का सबसे तेजी से बढ़ने वाली फसल रही। मक्का का क्षेत्र 84.30 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 94.95 लाख हेक्टेयर हो गया है, यानी 12.6% की वृद्धि। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से कर्नाटक, मध्य प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र में हुई है। मक्का की बढ़ती मांग, विशेषकर पशु चारे और उद्योगिक उपयोग के लिए, किसानों के लिए इसे अधिक लाभकारी बना रही है।

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तिलहन फसलों में गिरावट, सोयाबीन का क्षेत्र घटा

तिलहनों का कुल क्षेत्र 190.13 लाख हेक्टेयर रहा, जो पिछले वर्ष के 200.75 लाख हेक्टेयर से 10.62 लाख हेक्टेयर कम (5.3% गिरावट) है। सबसे अधिक कमी सोयाबीन में दर्ज की गई, जिसका क्षेत्र 129.55 लाख हेक्टेयर से घटकर 120.45 लाख हेक्टेयर रह गया है। मूंगफली और तिल (सेसमम) में भी मामूली गिरावट आई। यह कमी मुख्य रूप से मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के सोयाबीन बेल्ट में मानसून की देरी और किसानों द्वारा मक्का या दालों की ओर रुझान के कारण हुई है।

गन्ना : स्थिर बढ़ोतरी के साथ बेहतर रुझान

गन्ने का क्षेत्र इस वर्ष 59.07 लाख हेक्टेयर दर्ज हुआ, जो पिछले वर्ष से 1.86 लाख हेक्टेयर अधिक (3.25% वृद्धि) है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में सिंचाई सुविधा और गन्ने का उचित मूल्य मिलने से किसानों ने गन्ने का रकबा बढ़ाया है।

कपास और जूट-मेस्टा में मामूली कमी

कपास का रकबा इस वर्ष 110.03 लाख हेक्टेयर रहा, जो पिछले वर्ष के 112.97 लाख हेक्टेयर से 2.94 लाख हेक्टेयर कम (2.6% गिरावट) है। गुजरात और तेलंगाना में शुरुआती बारिश की अनिश्चितता ने कपास बुआई को प्रभावित किया। वहीं जूट और मेस्टा का क्षेत्र भी 5.75 लाख हेक्टेयर से घटकर 5.56 लाख हेक्टेयर रह गया है।

सारणी: खरीफ फसलों की बुआई का विस्तृत विवरण (लाख हेक्टेयर में)

फसल / उपफसलसामान्य क्षेत्र (2019–24)2025–262024–25वृद्धि / कमी% परिवर्तन
धान403.09441.58435.68+5.90+1.35%
दालें (कुल)129.61120.41119.04+1.37+1.15%
तूर (अरहर)44.7146.6046.45+0.15+0.32%
कुल्थी1.720.720.56+0.16+28.6%
उड़द32.6424.3722.87+1.50+6.56%
मूंग35.6934.8734.96–0.09–0.26%
मौठ9.709.249.63–0.39–4.05%
मोटे अनाज (कुल)180.71194.67183.54+11.13+6.06%
मक्का78.9594.9584.30+10.65+12.63%
तिलहन (कुल)194.63190.13200.75–10.62–5.29%
सोयाबीन127.19120.45129.55–9.10–7.03%
गन्ना52.5159.0757.22+1.86+3.25%
जूट व मेस्टा6.605.565.75–0.18–3.30%
कपास129.50110.03112.97–2.94–2.60%
कुल क्षेत्रफल1096.651121.461114.95+6.51+0.58%

कृषि क्षेत्र का संकेत : संतुलित उत्पादन और सकारात्मक रुझान

खरीफ सीजन 2025-26 की प्रगति यह दर्शाती है कि देश का कृषि क्षेत्र संतुलित स्थिति में है। धान और मक्का जैसी प्रमुख फसलों में बढ़ोतरी किसानों की स्थिरता और अनुकूल मानसून का परिणाम है। वहीं सोयाबीन और कपास जैसी फसलों में मामूली गिरावट यह संकेत देती है कि बाजार व मौसम की स्थितियों के अनुसार किसान फसल विविधीकरण को अपना रहे हैं।

कुल मिलाकर, इस खरीफ सीजन में बुआई का रकबा पिछले वर्ष से अधिक रहा है, जिससे उत्पादन की संभावनाएँ बेहतर हैं और खाद्य सुरक्षा की दिशा में भारत ने एक और कदम आगे बढ़ाया है।

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