भारत-यूके व्यापार समझौता: किसानों के लिए बड़ी जीत, निर्यात बढ़ेगा और हित सुरक्षित रहेंगे
26 जुलाई 2025, नई दिल्ली: भारत-यूके व्यापार समझौता: किसानों के लिए बड़ी जीत, निर्यात बढ़ेगा और हित सुरक्षित रहेंगे – भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच हुआ व्यापक आर्थिक एवं व्यापार समझौता (CETA) कृषि क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव डालने वाला है। दिल्ली में मीडिया से बातचीत में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि यह समझौता अद्भुत, अभूतपूर्व और राष्ट्र एवं किसानों के व्यापक हित में है।
भारत का यूके के साथ कृषि उत्पादों का व्यापार संतुलन स्पष्ट रूप से भारत के पक्ष में है। भारत वर्तमान में करीब 8,500 करोड़ रुपए के कृषि उत्पाद यूके को निर्यात करता है, जबकि यूके से भारत में करीब 3,200 करोड़ रुपए के कृषि उत्पाद आयात होते हैं। इस समझौते से निर्यात में और वृद्धि होगी, जिससे देश को निश्चित लाभ होगा।
किसानों के हितों का पूरा संरक्षण इस समझौते में किया गया है। गेहूं, चावल, मक्का जैसे मुख्य अनाजों पर कोई आयात में रियायत नहीं दी गई है। इसी प्रकार सेब, अनार, अंगूर, नाशपाती, आलूबुखारा, आम, अमरूद जैसे प्रमुख फलों पर भी कोई छूट नहीं दी गई है। सोयाबीन, मूंगफली, सरसों जैसे तिलहन और काजू, बादाम, अखरोट जैसे नट्स पर भी कोई रियायत नहीं है।
सब्ज़ियों में आलू, प्याज, टमाटर, लहसुन, मटर तथा दलहन जैसे काला चना, उड़द, मूंग, मसूर, राजमा, तुअर पर भी कोई आयात रियायत नहीं दी गई है। फूलों में गुलाब, लिली, ऑर्किड और मसालों में हल्दी, बड़ी इलायची पर भी कोई छूट नहीं है। इसका मतलब यह है कि ये सभी उत्पाद यूके से भारत में सस्ते दामों पर नहीं आएंगे और किसानों के आर्थिक हित सुरक्षित रहेंगे।
दूसरी ओर, यूके ने भारतीय कृषि उत्पादों जैसे फल, सूखे मेवे, सब्जियां, तिलहन, दलहन, फूल, औषधीय पौधों एवं डेयरी उत्पादों पर 0% आयात शुल्क देने का निर्णय लिया है। इससे भारतीय उत्पाद वहां सस्ते दामों पर उपलब्ध होंगे और निर्यात बढ़ेगा।
इस प्रकार यह समझौता भारतीय कृषि के लिए संतुलित और व्यापक है, जो किसानों के हितों की रक्षा करता है और निर्यात को बढ़ावा देता है।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: