भारत ने एडीबी के साथ 1.5 अरब डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए
भारत ने एडीबी के साथ 1.5 अरब डॉलर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए
भारत के कोविड-19 से जूझने में आवश्यक सहयोग देना मुख्य उद्देश्य
नई दिल्ली ।
भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने आज 1.5 अरब डॉलर के एक ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किए जिसका उद्देश्य नोवल कोरोना वायरस रोग (कोविड-19) महामारी से निपटने के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों में आवश्यक सहयोग देना है। इसके तहत महामारी से बचाव एवं रोकथाम के साथ-साथ समाज के गरीबों एवं आर्थिक दृष्टि से कमजोर तबकों, विशेषकर महिलाओं और आवश्यक सुविधाओं से वंचित समूहों का सामाजिक संरक्षण जैसी तत्कालिक प्राथमिकताओं पर फोकस किया जाएगा।
एडीबी के ‘कोविड-19 सक्रिय प्रयास और व्यय सहायता कार्यक्रम (केयर्स कार्यक्रम)’ के लिए हुए इस ऋण समझौते पर वित्त मंत्रालय के आर्थिक कार्य विभाग में अपर सचिव (फंड बैंक एवं एडीबी) श्री समीर कुमार खरे और भारत में एडीबी के कंट्री डायरेक्टर केनिची योकोयामा ने हस्ताक्षर किए।
इससे पहले एडीबी के निदेशक मंडल ने महामारी के प्रतिकूल स्वास्थ्य एवं सामाजिक-आर्थिक प्रभाव का मुकाबला करने और उसे कम करने हेतु सरकार को बजटीय सहायता प्रदान करने के लिए इस ऋण को मंजूरी दे दी थी।
श्री खरे ने कहा, ‘हम कोरोना वायरस महामारी से निपटने संबंधी सरकार के तत्कालिक प्रयासों के लिए इन सभी को लागू करने हेतु समय पर सहायता देने के लिए एडीबी का धन्यवाद करते हैं: (i) परीक्षण-निगरानी-उपचार क्षमता तेजी से बढ़ाने के लिए कोविड-19 रोकथाम योजना, और (ii) अगले तीन महीनों में 800 मिलियन से भी लोगों की रक्षा के लिए गरीबों, कमजोर तबकों, महिलाओं एवं आवश्यक सुविधाओं से वंचित समूहों का सामाजिक संरक्षण।’ उन्होंने कहा, ‘एडीबी का वित्तीय और तकनीकी सहयोग मार्च 2020 में शुरू किए गए सरकार के दूरगामी आपात उपाय कार्यक्रमों के सुव्यवस्थित कार्यान्वयन में अहम योगदान देगा।’
श्री योकोयामा ने कहा, ‘एडीबी आवाजाही संबंधी पाबंदियों से प्रभावित सबसे कमजोर लोगों की रक्षा करते हुए कोविड-19 महामारी के प्रकोप को रोकने के लिए भारत द्वारा किए जा रहे साहसिक उपायों या प्रयासों में आवश्यक सहयोग देकर काफी प्रसन्न है जिसके तहत भारत को अब तक का सबसे बड़ा ऋण काफी तेजी से प्रदान किया गया है। हम भारत की स्वास्थ्य सेवाओं और सामाजिक संरक्षण कार्यक्रमों की निगरानी एवं आकलन प्रणाली सहित कार्यान्वयन संरचना तथा क्षमताओं को मजबूत करने के लिए सरकार के साथ अपना जुड़ाव जारी रखेंगे, ताकि गरीबों, महिलाओं और आवश्यक सुविधाओं से वंचित अन्य लोगों तक इसके लाभ पहुंच सकें।’
केयर्स कार्यक्रम के अलावा एडीबी अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने, तेजी से विकास सुनिश्चित करने में आवश्यक सहयोग देने एवं भविष्य में झटकों का सामना करने में सक्षम बनाने हेतु और भी अधिक संभावित सहायता देने के लिए सरकार के साथ बातचीत कर रहा है। प्रभावित उद्योगों और उद्यमियों विशेषकर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) की वित्त तक पहुंच ऋण गारंटी योजनाओं के जरिए सुनिश्चित कर उन्हें आवश्यक सहयोग देना, उद्यम विकास केंद्रों के माध्यम से वैश्विक एवं राष्ट्रीय मूल्य श्रृंखलाओं (वैल्यू चेन) में एमएसएमई का एकीकरण करना और बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं के लिए ऋण वृद्धि सुविधा इनमें शामिल हैं। सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के तौर-तरीकों के माध्यम से शहरी क्षेत्रों में व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं तथा माध्यमिक एवं तृतीयक स्वास्थ्य सेवा प्रणालियों के विस्तार सहित सार्वजनिक सेवाओं की डिलीवरी व्यवस्था को मजबूत बनाना एक और महत्वपूर्ण एजेंडा होगा।
भारत ने कोविड-19 महामारी के प्रकोप की रोकथाम के लिए कई निर्णायक उपाय किए हैं, जिनमें अस्पतालों में सुविधाओं का विस्तार करने एवं परीक्षण-निगरानी-उपचार क्षमता में वृद्धि के लिए 2 अरब डॉलर का स्वास्थ्य क्षेत्र व्यय कार्यक्रम और प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण प्रदान करने तथा गरीबों, विशेषकर महिलाओं, वृद्धों एवं सामाजिक दृष्टि से वंचित समूहों को बुनियादी उपभोग सामान और मुफ्त रसोई गैस सिलेंडर प्रदान करने के लिए 23 अरब डॉलर का गरीब कल्याण पैकेज लॉन्च करना भी शामिल हैं। भारत सरकार ने कोविड-19 से लड़ने में जुटे अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों के लिए बीमा कवर को भी बढ़ा दिया है। भारत के केंद्रीय बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत ब्याज दरों को घटा दिया है, परिसंपत्ति गुणवत्ता मानदंडों में ढील दी है, ऋण अदायगी में मोहलत दी है, निर्यातकों को आवश्यक सहयोग देने के लिए ठोस उपाय किए हैं और राज्यों की वित्तपोषण संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उन्हें अधिक उधार लेने की अनुमति दी है। भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों एवं म्यूचुअल फंडों को आवश्यक सहयोग देने के लिए व्यापक तरलता (लिक्विडिटी) सुनिश्चित करने के साथ-साथ एमएसएमई और कॉरपोरेट सेक्टर में धन का प्रवाह बढ़ाने के लिए भी ठोस उपाय किए हैं।
एडीबी वर्ष 1966 में स्थापित किया गया, जिसमें 68 सदस्यों का स्वामित्व है जिनमें से 49 सदस्य एशिया पैसेफिक क्षेत्र के हैं।