राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

भारत-रूस शिखर सम्मेलन: मत्स्य पालन और डेयरी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए विशेष समझौते पर हुई चर्चा  

06 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: भारत-रूस शिखर सम्मेलन: मत्स्य पालन और डेयरी व्यापार को बढ़ावा देने के लिए विशेष समझौते पर हुई चर्चा – भारत और रूस के बीच गहरे और दीर्घकालिक संबंधों को और मजबूत करने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई, जिसमें दोनों देशों के कृषि मंत्री और उच्च अधिकारियों ने आपसी व्यापार और सहयोग बढ़ाने के उद्देश्य से मत्स्य पालन, पशुपालन, और डेयरी उत्पादों के क्षेत्र में नए समझौतों पर चर्चा की। इस बैठक का आयोजन 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन से पहले, 4-5 दिसंबर 2025 को नई दिल्ली में हुआ।

भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने रूस की कृषि मंत्री महामहिम सुश्री ओक्साना लुट से मुलाकात की, जिसमें दोनों पक्षों ने मत्स्य पालन और डेयरी उत्पादों में आपसी व्यापार बढ़ाने और बाजार पहुंच को सुदृढ़ करने पर जोर दिया। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य दोनों देशों के बीच मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देना था।

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भारत का निर्यात और व्यापार बढ़ाने की संभावना

बैठक के दौरान ललन सिंह ने बताया कि 2024-25 में भारत ने 7.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के मछली और मत्स्य उत्पादों का निर्यात किया, जिसमें रूस को 127 मिलियन डॉलर का निर्यात शामिल था। उन्होंने रूस को झींगा, मैकेरल, सार्डिन, टूना, केकड़ा, स्क्विड और कटलफिश जैसे विभिन्न उत्पादों का निर्यात बढ़ाने की अपार संभावनाओं को रेखांकित किया। रूस की ओर से भी भारतीय मछली, मांस, और अन्य उत्पादों की मांग जताई गई, साथ ही ट्राउट मार्केट को संयुक्त परियोजना के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव दिया गया।

रूस के साथ सहयोग के नए अवसर

रूस ने भी भारत से मछली और मत्स्य उत्पादों, मांस और मांस उत्पादों के आयात में बढ़ोतरी की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने संयुक्त तकनीकी परियोजना के तहत ट्राउट मार्केट को विकसित करने के लिए सहमति व्यक्त की। इसके अलावा, रूस ने भारत से मछली पकड़ने के जहाजों और गहरे समुद्र मछली पकड़ने वाली प्रौद्योगिकियों में भी सहयोग की इच्छा जताई, जिसमें उच्च गुणवत्ता वाली प्रौद्योगिकियों का आदान-प्रदान किया जाएगा।

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एफएसवीपीए प्लेटफॉर्म पर सहयोग

रूस ने हाल ही में एफएसवीपीए प्लेटफॉर्म पर भारत के 19 मछली पालन स्थानों को सूचीबद्ध किया, जिससे कुल सूचीबद्ध भारतीय प्रतिष्ठानों की संख्या 128 हो गई है। मंत्री ललन सिंह ने इस कदम के लिए धन्यवाद दिया और शीघ्रता से अन्य प्रतिष्ठानों को भी सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया। इसके अलावा, उन्होंने डेयरी, भैंस मांस, और पोल्ट्री सेक्टर में भारतीय प्रतिष्ठानों को भी जल्द अनुमोदन देने की अपील की।

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नवाचार और तकनीकी सहयोग पर जोर

मंत्री ललन सिंह ने आगे यह भी कहा कि भारत और रूस के बीच गहरे समुद्र मछली पकड़ने वाले जहाजों के लिए प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, रीसर्कुलेटिंग एक्वाकल्चर सिस्टम और बायोफ्लॉक जैसी उन्नत जलीय कृषि प्रौद्योगिकियों को साझा करने की दिशा में भी सहयोग बढ़ाना होगा। साथ ही, जलीय कृषि और मत्स्य पालन में आनुवंशिक सुधार की दिशा में दोनों देशों के सहयोग की संभावना पर भी चर्चा की गई।

भारत सरकार ने दोनों देशों के बीच अनुसंधान एवं विकास (R&D) में सहयोग बढ़ाने के लिए एक संरचनात्मक तंत्र बनाने का प्रस्ताव रखा। इसके तहत एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया जाएगा, ताकि मत्स्य पालन और डेयरी उद्योग में नई प्रौद्योगिकियों का आदान-प्रदान हो सके।

रूस की ओर से भी सहयोग की पेशकश

रूस की कृषि मंत्री, महामहिम सुश्री ओक्साना लुट ने बैठक में भारत के साथ कृषि, मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी उद्योग में सहयोग करने की इच्छा जताई। उन्होंने यह भी कहा कि रूस पशु चिकित्सा वैक्सीनेशन, उपकरण निर्माण और पशु रोग प्रबंधन के क्षेत्र में भारत के साथ सहयोग करना चाहता है। उन्होंने दोनों देशों के विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के बीच सहयोग को और मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

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