भारत समुद्री खाद्य निर्यात में ग्लोबल लीडर: 2030 तक निर्यात को 1 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य
22 नवंबर 2025, नई दिल्ली: भारत समुद्री खाद्य निर्यात में ग्लोबल लीडर: 2030 तक निर्यात को 1 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने का लक्ष्य – मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय के मत्स्य पालन विभाग ने आज नई दिल्ली में “भारत का समुद्री परिवर्तन: समुद्री खाद्य निर्यात में मूल्य संवर्धन को सुदृढ़ बनाना” विषय पर विश्व मत्स्य पालन दिवस 2025 मनाया। केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने वीडियो संदेश के माध्यम से प्रतिभागियों को संबोधित किया। राज्य मंत्री प्रो. एस. पी. सिंह बघेल और श्री जॉर्ज कुरियन ने कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति से इसे और महत्वपूर्ण बनाया।
इस अवसर पर विभाग ने मत्स्य पालन और जलीय कृषि में ट्रेसेबिलिटी पर राष्ट्रीय फ्रेमवर्क 2025 जारी किया और कई प्रमुख पहलों का अनावरण किया, जिनमें समुद्री कृषि के लिए SOP, स्मार्ट बंदरगाहों का विकास, अधिसूचित मछली अवतरण केंद्रों के लिए न्यूनतम बुनियादी ढांचे और जलाशय मत्स्य प्रबंधन के दिशानिर्देश शामिल हैं। इन पहलों का उद्देश्य मत्स्य पालन के बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण, स्थिरता प्रथाओं को मजबूत करना और मूल्य संवर्धन में तेजी लाना है।
राष्ट्रीय ट्रेसेबिलिटी फ्रेमवर्क 2025 का शुभारंभ
केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह ने वीडियो संदेश में कहा कि भारत निर्यात प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और वैश्विक मानकों के अनुरूप ट्रेसेबिलिटी, ब्रांडिंग और जैव सुरक्षा को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने हितधारकों से पैकेजिंग सुधार, प्रमाणन मानकों के अनुपालन और मुक्त व्यापार समझौतों के लाभ उठाने का आह्वान किया। फ्रेमवर्क ‘खेत से प्लेट तक’ और ‘पकड़ से उपभोक्ता तक’ डिजिटल ट्रैकिंग की सुविधा प्रदान करेगा।
उत्पादन में दोहरी वृद्धि और भविष्य की महत्वाकांक्षा
श्री जॉर्ज कुरियन ने भारत के मछली उत्पादन को पिछले दशक में 96 लाख टन से दोगुना करके 195 लाख टन करने की उपलब्धि पर प्रकाश डाला। उन्होंने 2030 तक समुद्री खाद्य निर्यात को 1 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ाने और इसमें 30% उच्च मूल्य वाले, मूल्य संवर्धित उत्पाद शामिल करने की महत्वाकांक्षा साझा की। प्रो. एस. पी. सिंह बघेल ने इस क्षेत्र में रोजगार सृजन और निर्यातकों की संख्या में वृद्धि पर जोर दिया।
स्थिरता, नवाचार और वैश्विक सहयोग
मत्स्य पालन विभाग के सचिव डॉ. अभिलक्ष लिखी ने बताया कि भारत का मत्स्य पालन क्षेत्र 9% की वार्षिक दर से बढ़ रहा है और वित्त वर्ष 2024-25 में समुद्री खाद्य निर्यात 16.85 लाख टन तक पहुंचने का अनुमान है। उन्होंने मूल्य संवर्धन, विविधीकरण और नियामक अनुपालन पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर दिया।
एफएओ भारत प्रतिनिधि श्री ताकायुकी हागिवारा ने मत्स्य पालन और जलीय कृषि में खाद्य सुरक्षा, स्थिरता और लचीलेपन को बढ़ावा देने में भारत को सहयोग देने की प्रतिबद्धता जताई। उन्होंने रोगाणुरोधी प्रतिरोध (AMR) से निपटने और नशीली दवाओं के उपयोग को कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
अंतरराष्ट्रीय भागीदारी और तकनीकी सत्र
इस कार्यक्रम में 19 दूतावासों और विश्व बैंक, एफएओ, एएफडी, जीआईजेड, जेआईसीए, बीओबीपी और MSC जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। दो तकनीकी सत्रों में मूल्य संवर्धन, नवाचार, ब्रांडिंग, गुणवत्ता मानकों के अनुपालन और स्मार्ट बुनियादी ढांचे के माध्यम से समुद्री खाद्य निर्यात वृद्धि और मीठे पानी की मछली प्रजातियों के निर्यात अवसरों पर विचार-विमर्श किया गया। इन इनपुट्स का उपयोग PMMSY चरण 2 को आकार देने में किया जाएगा।
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