कृषि में युवाओं के लिए सुअवसर
20 नवंबर 2024, नई दिल्ली: कृषि में युवाओं के लिए सुअवसर – भारत में बेरोजगारी एक बड़ी समस्या है और बड़ी संख्या में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के युवा रोजगार की तलाश में हैं। एक ओर जहां बड़ी संख्या में तकनीकी महाविद्यालय, विश्वविद्यालय खुल रहे हैं वहीं दूसरी ओर बेरोजगार युवाओं की संख्या हर साल बढ़ते जा रही है। ये उच्च शिक्षण संस्थान बेरोजगारों की संख्या बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं। हालांकि, कृषि और निर्माण क्षेत्र में काफी नौकरियां हैं, लेकिन इन क्षेत्रों में युवाओं का रूझान कम हो रहा है। किसान अपने बेटों- बेटियों को खेती-किसानी के काम में लगाने के बजाए किसी भी निजी कार्यालय, कारखाना या सेवा क्षेत्र में नौकरी करवाना पसंद कर रहे हैं जबकि वे जानते हैं कि खेती में काम करने वालों की लगातार कमी हो रही है। ग्रामीण युवा भी खेती को अपना रोजगार बनाने में कम रूचि ले रहे हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि कृषि क्षेत्र में रोजगार की अत्यधिक सम्भावना के बावजूद खेती किसानी करने वालों की संख्या लगातार कम हो रही है।
भारत दुनिया का सबसे अधिक आबादी वाला देश बन गया है और यह हमारे लिये गर्व की बात है कि देश में युवाओं की आबादी भी सबसे अधिक है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि देश के अधिकांश युवा रोजगार की तलाश में हैं जबकि कृषि और इससे सम्बद्ध अन्य व्यवसाय में रोजगार और स्वयं के रोजगार की असीम सम्भावना है। बेरोजगारों में ग्रामीण युवाओं की भी अच्छी खासी संख्या है। एक अनुमान के अनुसार देश में तकनीकी और अन्य महाविद्यालयों से उत्तीर्ण युवाओं में से दस प्रतिशत से भी कम युवा रोजगार के काबिल हैं। बाकी 90 प्रतिशत या इससे कुछ थोड़े अधिक शिक्षित युवा रोजगार के लायक ही नहीं हैं। सरकारी क्षेत्र में भी नौकरी के अवसर कम हो रहे हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में उम्मीदवारों की संख्या लाखों में पहुंच जाती है। ऐसी स्थिति में केवल कृषि और निर्माण क्षेत्र ही बाकी रह जाता है जहां बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार मिल सकता है। भारतीय अर्थव्यवस्था नए शिक्षित युवाओं के लिए गैर-कृषि क्षेत्रों में पर्याप्त रोजगार पैदा करने में सक्षम नहीं है।
इन सब परिस्थितियों में बावजूद कुछ ऐसे युवा हैं जो कृषि से जुड़ रहे हैं। इससे यह आशा बलवती हो रही है कि वे अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बनेंगे। देश में अब ऐसे युवा भी मिल जाएंगे जो अच्छी खासी लाखों रूपये की नौकरी छोड़कर खेती करने लगे हैं। ऐसे युवा कृषि में नई तकनीक का उपयोग कर परम्परागत कृषि के स्थान पर नवाचार कर नये तरीके से खेती कर रहे हैं। इस समय भले ही ऐसे युवाओं की संख्या कम है लेकिन इन युवाओं को कृषि से जुडऩे का कोई मलाल भी नहीं है।
बेरोजगार युवाओं की बढ़ती संख्या और नौकरियों के कम होते अवसरों के मद्देनजर खासतौर से ग्रामीण युवाओं को कृषि कार्य से जोडऩा एक बड़ी चुनौती है। देश के प्रत्येक जिले में ऐसे अनेक युवा किसान मिल जाएंगे जो कृषि में अन्य किसानों से अलग परम्परागत खेती न करते हुये नवाचार कर रहे हैं और वे सफल भी हो रहे हैं। लेकिन ऐसे प्रगतिशील और युवा किसानों की चर्चा बहुत कम होती है। राज्य सरकारों को ऐसे सभी युवाओं को कृषि से जोडऩे के लिये प्रयास करने चाहिये। उन्हें यह भी समझाना होगा कि उनका उज्जवल भविष्य कृषि में भी है। कृषि के साथ सह उद्योग जैसे मछली, बकरी, कुक्कुट, मधुमक्खी पालन आदि के साथ औषधीय पौधों की खेती, मोती की खेती, उन्नत गौशाला जैसे अनेक व्यवसाय हैं जिन्हें शुरू कर युवा कृषि के साथ आसानी से कर सकते हैं। राजनीतिक दल चुनाव में अपने पक्ष में मतदान करवाने के लिए लोक-लुभावन घोषणाएं करते हैं। अब यहां सरकार की जिम्मेदारी शुरू हो जाती है। राज्य सरकारों को चाहिये कि वे युवाओं को कृषि कार्य से जोडऩे के लिए योजनाएं बनाएं और उन्हें प्रोत्साहित करें। ग्रामीण क्षेत्रों में सभी बुनियादी सुविधायें जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल आदि की गुणवत्ता के साथ उपलब्धता सुनिश्चित करनी चाहिये। ग्रामीण क्षेत्रों में शहरों की तरह अधोसंरचना विकसित होगी तो ग्रामीण युवाओं को कृषि और इससे जुड़े सहकार्य में आसानी से रोजगार उपलब्ध हो सकता है। इससे शहरों की ओर रोजगार की तलाश में पलायन करने वाले युवाओं की संख्या में कमी आ सकती है।
वर्तमान में ग्रामीण युवा भी सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेलाम कर रहे हैं। इंटरनेट की उपलब्धता आसानी से हो जाती है। वे कृषि की नई तकनीक, मशीनीकरण, उन्नत बीज, अधिक उत्पादन, विपणन आदि के लिए स्वयं प्रयास कर सकते हैं। जरूरत केवल उन्हें प्रोत्साहित करने की है। इस कार्य में केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर समन्वित प्रयास करें तो निश्चित ही सफलता मिलेगी।
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