राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

एफसीआई की साइलो परियोजनाओं से अनाज भंडारण में सुधार, किसानों को मिलेगा बेहतर मुनाफा

27 सितम्बर 2024, नई दिल्ली: एफसीआई की साइलो परियोजनाओं से अनाज भंडारण में सुधार, किसानों को मिलेगा बेहतर मुनाफा – खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंतर्गत भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) ने देशभर में आधुनिक साइलो परियोजनाओं का सफलतापूर्वक विकास किया है। ये परियोजनाएं सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत विकसित की गई हैं और भारतीय खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में सुधार लाने के लिए एक बड़ा कदम साबित हो रही हैं।

सरकार के 100 दिन की उपलब्धियों के अंतर्गत, एफसीआई ने देश के विभिन्न हिस्सों में 50,000 मीट्रिक टन क्षमता वाले 6 साइलो सफलतापूर्वक चालू किए हैं। ये साइलो अनाज के कुशल भंडारण, बेहतर गुणवत्ता नियंत्रण, और परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इन साइलो परियोजनाओं से खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने और किसानों के अनाज के सुरक्षित भंडारण के साथ-साथ उनकी आमदनी को भी बढ़ावा देने की दिशा में नए रास्ते खुले हैं।

साइलो परियोजनाओं की प्रमुख जानकारी:

  1. दरभंगा साइलो परियोजना (बिहार): मेसर्स अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स द्वारा विकसित इस साइलो में 50,000 मीट्रिक टन अनाज भंडारण की क्षमता है। इसमें रेलवे साइडिंग की विशेष सुविधा भी है, जिससे अनाज के परिवहन में तेजी आती है। यह परियोजना अप्रैल 2024 में पूरी हुई और अब पूरी तरह से चालू हो चुकी है।
  2. समस्तीपुर साइलो परियोजना (बिहार): दरभंगा की तर्ज पर, समस्तीपुर में भी 50,000 मीट्रिक टन क्षमता वाली साइलो परियोजना स्थापित की गई। यह परियोजना मई 2024 में पूरी हुई और अब संचालन में है।
  3. साहनेवाल साइलो परियोजना (पंजाब): लुधियाना में स्थित इस साइलो को मेसर्स लीप एग्री लॉजिस्टिक्स द्वारा विकसित किया गया है। 50,000 मीट्रिक टन क्षमता वाला यह साइलो पंजाब में किसानों के अनाज की खरीद और भंडारण की प्रक्रिया को सुगम बनाता है। यह परियोजना मई 2024 में पूरी हुई।
  4. बड़ौदा साइलो परियोजना (गुजरात): मेसर्स लीप एग्री लॉजिस्टिक्स द्वारा निर्मित बड़ौदा साइलो भी मई 2024 में पूरी तरह से चालू हो गया। इसकी भंडारण क्षमता 50,000 मीट्रिक टन है, जिससे इस क्षेत्र में अनाज भंडारण की व्यवस्था मजबूत हुई है।
  5. छेहरटा साइलो परियोजना (पंजाब): अमृतसर स्थित इस साइलो की क्षमता भी 50,000 मीट्रिक टन है। इसे मेसर्स एनसीएमएल छेहरटा प्राइवेट लिमिटेड द्वारा विकसित किया गया है। मई 2024 में परियोजना पूरी हुई और अब यह किसानों से खरीदे गए अनाज के सुरक्षित भंडारण में मदद कर रही है।
  6. बटाला साइलो परियोजना (पंजाब): गुरदासपुर के बटाला में 50,000 मीट्रिक टन क्षमता वाले इस साइलो को मेसर्स एनसीएमएल बटाला प्राइवेट लिमिटेड ने जून 2024 में तैयार किया। यह परियोजना क्षेत्र में एफसीआई के भंडारण बुनियादी ढांचे को और सुदृढ़ करती है।

साइलो परियोजनाओं के लाभ:

  • संवृद्ध परिवहन व्यवस्था: साइलो में रेल और सड़क परिवहन के लिए विशेष व्यवस्था की गई है, जिससे अनाज को तेजी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर भेजा जा सकता है।
  • भंडारण क्षमता में बढ़ोतरी: 50,000 मीट्रिक टन क्षमता के साइलो से अनाज भंडारण की समस्या का समाधान हुआ है।
  • बेहतर संरक्षण: साइलो आधुनिक तकनीक से लैस हैं, जो अनाज की गुणवत्ता बनाए रखने में सहायक हैं।
  • नुकसान में कमी: थोक लोडिंग और अनलोडिंग की मशीनीकृत प्रणाली से भंडारण के दौरान अनाज की क्षति कम होती है।
  • परिचालन लागत में कमी: स्वचालित प्रणाली से कार्य संचालन कुशल और कम खर्चीला हो गया है।

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