क्या डीएपी खाद लेकर गई ट्रेन को किसानों तक पहुंचने में 3 साल लगे? जानिए सच्चाई
11 दिसंबर 2024, नई दिल्ली: क्या डीएपी खाद लेकर गई ट्रेन को किसानों तक पहुंचने में 3 साल लगे? जानिए सच्चाई – किसानों के लिए आवश्यक डीएपी (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) खाद की ढुलाई को लेकर हाल ही में एक दिलचस्प दावा सामने आया है। कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया कि 1,316 बैग डीएपी खाद लेकर गई एक मालगाड़ी को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम से उत्तर प्रदेश के बस्ती तक पहुंचने में 3 साल, 8 महीने और 7 दिन लग गए। यह सफर सामान्य रूप से सिर्फ 42 घंटे का होता है।
रिपोर्टों के अनुसार, यह मालगाड़ी 10 नवंबर 2014 को विशाखापट्टनम से रवाना हुई और 25 जुलाई 2018 को बस्ती पहुंची। यह गाड़ी, जिसे इंडियन पोटाश लिमिटेड (IPL) के माध्यम से व्यापारी रामचंद्र गुप्ता के नाम पर बुक किया गया था, यदि सच होती, तो यह भारतीय रेलवे के इतिहास की सबसे देरी से पहुंचने वाली ट्रेन होती।
हालांकि, प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) ने इस दावे को खारिज कर दिया है। अपने फैक्ट-चेक में, PIB ने स्पष्ट किया कि यह खबर “भ्रामक” है और यह दावा झूठा है कि किसी मालगाड़ी को अपनी मंजिल तक पहुंचने में इतना समय लगा हो। PIB ने अपने आधिकारिक X (पहले ट्विटर) अकाउंट पर इस तथ्य को साझा करते हुए कहा कि भारतीय रेलवे में ऐसा कभी नहीं हुआ।
यह घटना इस बात को रेखांकित करती है कि वायरल खबरों और गलत सूचनाओं के दौर में तथ्यों की जांच कितनी महत्वपूर्ण है। डीएपी जैसे खाद पर निर्भर किसानों को आश्वस्त रहना चाहिए कि इस प्रकार की देरी केवल अफवाह है और भारतीय रेलवे आवश्यक वस्तुओं की समय पर ढुलाई सुनिश्चित करता है।
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