MSP से कम दामों पर बिक रही फसलें: बंपर पैदावार ने दबाया मंडियों में अनाज का भाव
26 मई 2025, नई दिल्ली: MSP से कम दामों पर बिक रही फसलें: बंपर पैदावार ने दबाया मंडियों में अनाज का भाव – देश की मंडियों में प्रमुख खाद्यान्नों के औसत भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से नीचे चल रहे हैं. भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मई बुलेटिन में प्रकाशित अर्थव्यवस्था पर एक लेख के अनुसार, यह स्थिति खरीफ और रबी फसलों की बंपर पैदावार के चलते बनी है. गेहूं को छोड़कर बाकी प्रमुख खाद्यान्नों के दाम MSP से नीचे हैं.
MSP से नीचे बिक रही फसलें, गेहूं अपवाद
इस लेख में कहा गया है कि अप्रैल 1 से 19 मई 2025 तक के आंकड़ों के आधार पर अनाज और दालों की कीमतों में व्यापक गिरावट देखी गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस गिरावट से देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूती मिल सकती है, हालांकि किसानों के लिए यह चिंता का विषय हो सकता है.
केंद्र सरकार फिलहाल 23 फसलों के लिए MSP तय करती है — जिनमें 14 खरीफ, 7 रबी और 2 वाणिज्यिक फसलें शामिल हैं. हालांकि, वास्तव में केवल कुछ गिनी-चुनी फसलों जैसे गेहूं और चावल की ही सरकारी खरीद होती है, जो सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और खाद्य सुरक्षा के लिए भंडारण में जाती है.
प्याज सस्ता, टमाटर-आलू महंगे; तेलों में मिला-जुला असर
आरबीआई की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि मई 2025 के मध्य तक खाद्य वस्तुओं की कीमतों में राहत देखने को मिली है. हालांकि, खाद्य तेलों की कीमतों में मिलाजुला रुझान देखा गया — जहां सोयाबीन, सूरजमुखी और सरसों के तेल महंगे हुए हैं, वहीं पाम और मूंगफली के तेल की कीमतें थोड़ी नरम रही हैं.
सब्जियों की बात करें तो प्याज की कीमतों में गिरावट जारी है, लेकिन आलू और टमाटर के दामों में बढ़ोतरी देखी गई है.
लेख के अनुसार, “बंपर पैदावार और खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के लिए लागू नीतियों के चलते प्रमुख फसलों की औसत मंडी कीमतें MSP से नीचे आ गई हैं, जो खाद्य सुरक्षा के लिहाज से अच्छा संकेत है.”
हालांकि यह भी स्पष्ट किया गया है कि यह लेख लेखकों के निजी विचारों पर आधारित है और जरूरी नहीं कि ये भारतीय रिज़र्व बैंक के आधिकारिक विचार हों.
इस बीच, कुछ राज्य सरकारें किसानों को राहत देने के लिए बोनस की घोषणा कर चुकी हैं. राजस्थान ने गेहूं पर ₹150 प्रति क्विंटल और मध्य प्रदेश ने ₹175 प्रति क्विंटल का बोनस MSP से ऊपर देने का ऐलान किया है.
गर्मी की फसलें समय पर, मानसून से उम्मीदें
लेख में यह भी बताया गया कि गर्मी की फसलों की बुआई लगभग पूरी हो चुकी है. 16 मई 2025 तक धान की बुआई कुल मौसमी औसत क्षेत्रफल के मुकाबले 107.6% पर पहुंच चुकी थी, जबकि मूंग की बुआई 108.2% तक हो चुकी थी. इस समय कुल गर्मी की बुआई 80.7 लाख हेक्टेयर तक पहुंच चुकी है, जो पिछले साल की तुलना में 11.9% अधिक है.
आगे दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य से बेहतर रहने (105%) और जल्दी आगमन का अनुमान लगाया गया है, जो आगामी खरीफ सीज़न के लिए अनुकूल माना जा रहा है. साथ ही, इस बार प्रमुख खाद्य फसलों के लिए उर्वरकों की मांग भी पिछले साल की तुलना में अधिक बताई गई है, खासकर नाइट्रोजनयुक्त और पोटाश वाले उर्वरकों की.
MSP से नीचे चल रही मंडी कीमतें खाद्य उपभोक्ताओं के लिए राहत की बात हो सकती हैं, लेकिन इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है. यह सवाल अब और गहरा होता जा रहा है कि केवल MSP तय कर देने से किसानों को लाभ होगा या इसके क्रियान्वयन और सरकारी खरीद की व्यवस्था में भी बदलाव जरूरी है.
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