उद्यानिकी फसलों का रकबा बढ़ाकर फसल चक्र बदलें : एपीसी
भोपाल/इन्दौर। किसानों को परम्परागत खेती करने के साथ-साथ उद्यानिकी फसलों पर विशेष ध्यान देना चाहिए। उद्यानिकी फसलों का रकबा बढ़ाकर किसानों को फसल चक्र बदलने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है इसके लिए अधिकारी कार्ययोजना बनाएं। क्योंकि सरकार खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाने पर विशेष जोर दे रही है, साथ ही होशंगाबाद और छिंदवाड़ा में नये हार्टिकल्चर हब बनाये जा रहे हैं। इसके अलावा मैग्नीफिसेन्ट एम.पी. में उद्योगपतियों ने इन्दौर संभाग में सबसे ज्यादा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग लगाने की सहमति दी है। कृषि उत्पादन आयुक्त श्री प्रयांशु कमल ने यह निर्देश भोपाल-नर्मदापुरम एवं इन्दौर संभाग की संभागीय बैठक में दिए। उन्होंने कहा कि उद्यानिकी के साथ पशुपालन एवं मत्स्यपालन जैसे सहयोगी क्षेत्रों में किसान आगे आएं जिससे उनकी आमदनी में इजाफा हो और उन्हें अधिक लाभ मिले।
इंदौर संभाग में नकली कीटनाशकों का जाल |
144 नमूने अमानक 114 के लायसेंस निरस्त 11 के खिलाफ एफ.आई.आर. |
प्रदेश में रबी सीजन शुरू हो गया है इसमें एक तरफ जहाँ किसानों को गुणवत्तायुक्त कृषि आदान उपलब्ध कराने की बात की जा रही है वहीं दूसरी ओर गत खरीफ में इंदौर संभाग में नकली खाद, बीज एवं कीटनाशक बेचने वालों के खिलाफ सघन अभियान चलाकर कार्यवाही की गई है जिससे उजागर हुआ है कि इंदौर संभाग में नकली आदानो का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है अभी हाल ही में इंदौर में हुई संभागीय बैठक में संभागायुक्त श्री आकाश त्रिपाठी ने बताया कि खरीफ में अमानक कृषि सामग्री बेचने वालों के खिलाफ सघन अभियान चलाया गया, जिसमें बीज, खाद और कीटनाशक दवाइयों के 3312 नमूने एकत्रित किए गए जिनमें 144 अमानक पाए गए। 114 के लायसेंस निरस्त किए गए और 11 के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। कृषि उत्पादन आयुक्त ने भी इस अभियान की प्रशंसा कर इसे पूरे प्रदेश में चलाने के निर्देश दिए। |
कृषि उत्पादन आयुक्त ने बैठक में निर्देश दिए कि कृषि क्षेत्र के विकास और अधिक लाभदायक बनाने के लिए संभाग एवं जिलों के अधिकारी समन्वय से कार्य करें। जैविक खेती के लिए पर्याप्त संरचनाएं तैयार करें। उन्होंने कलेक्टर्स को निर्देश दिए कि दोनों संभागों में बीज की कमी न हो। इसके लिए मार्कफेड और बीज निगम से सतत् संपर्क बनाए रखें।
बैठक में उत्पादन बढ़ाने के लिए माइक्रोप्लानिंग तैयार किये जाने पर जोर दिया गया। इस वर्ष अत्यधिक वर्षा से सोयाबीन की उत्पादकता कम होने पर चिंता व्यक्त की गई तथा कलेक्टर्स से कहा गया है कि वे रबी में किसानों को बीज खाद और उर्वरक की कमी नहीं होने दें। साथ ही कृषि में नवाचार के लिये वैज्ञानिकों का पूरा सहयोग लें।