राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

बेंगलुरु में ड्रैगन फल के लिए उत्कृष्टता केंद्र (CoE) की स्थापना को मिली मंजूरी

18 मार्च 2023, नई दिल्ली: बेंगलुरु में ड्रैगन फल के लिए उत्कृष्टता केंद्र (CoE) की स्थापना को मिली मंजूरी – कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने मिशन फॉर इंटीग्रटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (MIDH), के तहत कमलम या ड्रैगन फ्रूट के उत्पादन, कटाई के बाद और मूल्यवर्धन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (IIHR), बेंगलुरु, कर्नाटक द्वारा 09-03-2023 को हिरेहल्ली, बेंगलुरु, कर्नाटक में स्थापित किए जाने वाले कमलम फल के लिए उत्कृष्टता केंद्र (CoE) को मंजूरी दे दी है।

क्या हैं ड्रैगन फ्रूट?

कमलम या ड्रैगन फ्रूट, व्यापक रूप से पिताया के रूप में जाना जाने वाला औषधी व जड़ी-बूटी गुणों से परिपूर्ण बारहमासी कैक्टस है। कमलम फल का छिलका सहपत्रों या शल्कों से ढका होता हैं, जिसके कारण पौराणिक जीव “ड्रैगन” जैसा दिखने वाला फल हो सकता है। इसलिए इसका नाम ड्रैगन फ्रूट रखा गया है।

भारत में कहा होती हैं ड्रैगन फ्रूट (कमलम फल) की खेती?

भारत में ड्रैगन फ्रूट (कमलम फल) की खेती तेजी से बढ़ रही है और कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, मिजोरम और नागालैंड के किसानों ने इसकी खेती कर रहे है।

आत्मनिर्भर भारत पर ध्यान देने के साथ, आयात को कम करने और उत्पादन के लिए अपनी क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है। मिशन फॉर इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट ऑफ हॉर्टिकल्चर (MIDH) के तहत इस प्रयास में कमलम सहित विदेशी और विशिष्ट क्षेत्र के फलों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए चिन्हित संभावित क्षेत्र में इस फसल की खेती के लिए एक रोडमैप तैयार किया जा रहा है। कमलम के लिए एमआईडीएच के तहत क्षेत्र विस्तार का लक्ष्य 5 वर्षों में 50,000 हेक्टेयर है।

इस फल की खेती हाल ही में शुरू हुई है और इसकी खेती आईसीएआर-सेंट्रल आइलैंड एग्रीकल्चरल रिसर्च इंस्टीट्यूट,  अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और आईआईएचआर, बेंगलुरु, कर्नाटक में स्थापित की गई है।

केंद्र अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुसार नवीनतम उत्पादन तकनीक के विकास और उच्च उपज उत्पादन के लिए ऑफ सीजन उत्पादन और इन प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शन के लिए काम करेगा। केंद्र कमलम फल उत्पादन, मूल्य संवर्धन और कृषक समुदाय के आर्थिक विकास को बढ़ाने में आत्मनिर्भरता हासिल करने का लक्ष्य रखेगा।

वर्तमान में, भारत में ड्रैगन फ्रूट की खेती का कुल क्षेत्रफल 3,000 हेक्टेयर से अधिक है, जो घरेलू मांग को पूरा करने में सक्षम नहीं है, इसलिए भारतीय बाजार में उपलब्ध ड्रैगन फ्रूट का अधिकांश हिस्सा थाईलैंड, मलेशिया, वियतनाम और श्रीलंका से आयात किया जाता है।

भारत में कमलम का आयात 2017 के दौरान 327 टन की मात्रा के साथ शुरू हुआ था, जो 2019 में तेजी से बढ़कर 9,162 टन हो गया है और 2020 और 2021 के लिए अनुमानित आयात क्रमशः लगभग 11,916 और 15,491 टन है। 2021 के लिए अनुमानित आयात मूल्य लगभग 100 करोड़ रुपये था।

ड्रैगन फ्रूट रोपण के बाद पहले वर्ष में आर्थिक उत्पादन के साथ तेजी से प्रतिफल प्रदान करता है और 3-4 वर्षों में पूर्ण उत्पादन प्राप्त कर लेता है। फसल की जीवन प्रत्याशा लगभग 20 वर्ष है। रोपण के 2 वर्षों के बाद औसत आर्थिक उपज 10 टन प्रति एकड़ है। वर्तमान में बाजार दर 100 रुपये प्रति किलो फल है इसलिए प्रति वर्ष फल बेचने से उत्पन्न राजस्व 10,00,000 रुपये तक होता  है। लाभ लागत अनुपात (बीसीआर) 2.58 है।

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