राष्ट्रीय कृषि समाचार (National Agriculture News)

बजट: किसानों के लिए उम्मीद की किरण !

15 जुलाई 2024, भोपाल: बजट: किसानों के लिए उम्मीद की किरण ! – मध्यप्रदेश के वित्त मंत्री और उपमुख्यमंत्री श्री जगदीश देवड़ा ने 3 जुलाई को विधानसभा में वर्ष 2024-25 का बजट प्रस्तुत करते हुये संकेत दे दिए हैं कि राज्य सरकार किसानों के हितों का पूरा-पूरा ध्यान रख रही है। किसानों का सम्बंध कृषि के साथ पशुपालन, सिंचाई, गौ पालन, मत्स्य पालन आदि से भी होता है। जब कृषि के विकास की बात आती है तो किसानों से जुड़े सभी विषय शामिल होते हैं और बजट में वित्त मंत्री ने किसानों से सम्बंधित अधिकांश मुद्दों पर ध्यान दिया है। बजट में कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्र के लिए 66,605 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है जो पिछले वर्ष की तुलना में 23 प्रतिशत अधिक है।

वित्त मंत्री ने उज्जैन में चना और ग्वालियर में सरसों के अनुसंधान संस्थान खोलने का जिक्र किया है। यह सराहनीय कदम है। इंदौर में सोयाबीन और गेहूं के राष्ट्रीय स्तर के अनुसंधान केंद्र हैं। इन दोनों केंद्रों में हो रहे अनुसंधान से न केवल मध्यप्रदेश बल्कि देश के अन्य राज्यों के किसानों को भी फायदा मिल रहा है। उज्जैन और ग्वालियर में खोले जाने वाले चना और सरसों के अनुसंधान केंद्र भी किसानों के लिये फायदेमंद सिद्ध हो सकते हैं। भूजल स्तर में साल-दर-साल गिरावट आ रही है। बजट में वित्त मंत्री ने सिंचाई परियोजनाओं की चर्चा करते हुए बताया कि कृषि को लाभ का व्यवसाय बनाने के उद्देश्य से सिंचाई के क्षेत्रफल को वर्ष 2025-26 तक 65 लाख हेक्टेयर एवं वर्ष 2028-29 तक एक करोड़ हेक्टेयर किए जाने का लक्ष्य है। लेकिन भूजल स्तर को बढ़ाने का कोई जिक्र नहीं है जबकि सिंचाई परियोजनाओं के साथ भूजल स्तर को बढ़ाने की भी आज सबसे बड़ी आवश्यकता है। हालांकि बाद में सरकार ने भूजल स्तर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक समिति का गठन किया है। इस समिति को ग्रामीण क्षेत्रों में बंद पड़े बोरवेलों (नलकूपों) को बरसात के दिनों में रिचार्ज करने की दिशा में भी योजना शुरू करने की अनुशंसा करनी चाहिये। वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मोटा अनाज वर्ष के रूप में मनाया गया। मध्यप्रदेश में श्री अन्न (मोटा अनाज) के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से ‘मध्य प्रदेश राज्य मिलेट मिशनÓ का गठन सराहनीय पहल है। राज्य सरकार द्वारा श्री अन्न के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से कोदो कुटकी पर प्रति किलोग्राम 10 रूपये की अतिरिक्त राशि भी देने का निर्णय लिया है। इससे निश्चित ही किसान मोटा अनाज की खेती करने के लिये प्रोत्साहित होंगे। डिंडोरी में श्रीअन्न अनुसंधान केंद्र की स्थापना से प्रदेश में श्री अन्न के उत्पादन में निश्चित ही वृद्धि होगी। श्रीअन्न के निर्यात को बढ़ावा देने के लिये राज्य सरकार किसानों को बुनियादी सुविधायें उपलब्ध करायेगी तो श्री अन्न का उत्पादन और किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।

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वित्त मंत्री ने मिट्टी के परीक्षण की गुणवत्ता और सुधार के लिए मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं को कृषक उत्पादक संगठनों और कृषि स्नातकों के माध्यम से संचालित करने के लिये किये जा रहे नवाचार का उल्लेख तो किया है लेकिन सभी किसानों के मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनवाने और समय पर मिट्टी की जांच की माकूल व्यवस्था करने के कोई संकेत नहीं दिये हैं। प्रदेश में स्थापित मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं में कृषि क्षेत्र में शिक्षित युवाओं को स्वरोजगार तो मिलेगा लेकिन वर्तमान में ग्रामीण युवा खेती करने के स्थान पर शहरों में छोटी-मोटी नौकरी करने को तरजीह दे रहे हैं। ग्रामीण युवा खेती करने के लिये प्रोत्साहित हों, सरकार को इस दिशा में भी विशेष प्रयास करने चाहिये। खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने के लिये खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को 5 वर्षों तक मंडी शुल्क में शत-प्रतिशत और विद्युत शुल्क में 1 रूपये प्रति यूनिट की छूट भी दी जा रही है लेकिन नये खाद्य प्रसंस्करण उद्योग स्थापित करने पर वित्त मंत्री मौन हैं। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में युवाओं को प्रोत्साहित करने की जरूरत है।

सरकार वर्ष 2024-25 को गौवंश सुरक्षा वर्ष के रूप में मना रही है और प्रति गाय दी जाने वाली राशि 20 रूपये को बढ़ाकर 40 रूपये तो कर दिया है लेकिन गौशालाओं में चारा की कमी और देखभाल में लापरवाही से गायों की मौत न हो, इस दिशा में भी कठोर कदम उठाने की जरूरत है। गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी कोई पहल नहीं की गई है। गौशालाओं में जैविक खाद और दुग्ध उत्पाद बनाने जैसे कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिये। इससे गौशालाओं के संचालन में धन की कमी नहीं आयेगी। मुख्यमंत्री सहकारी दुग्ध उत्पादक योजना प्रारंभ करने की घोषणा का स्वागत किया जाना चाहिये। इस योजना के तहत दुग्ध उत्पादकों को सहकारी समितियों के माध्यम से संगठित कर दुग्ध उपार्जन दर के अतिरिक्त प्रति लीटर के मान से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। इस योजना से दूध उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और जिससे अंतत: कृषि भूमि और किसान दोनों को ही फायदा होगा। पशुधन की संख्या बढऩे से जमीन की उर्वराशक्ति को बनाये रखने में मदद मिलेगी, जैविक खेती को बढ़ावा मिलेगा जिससे किसानों की आय में वृद्धि होने के साथ ही स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होगा।
बजट में जो भी घोषणायें की गई हैं और जितनी राशि का प्रावधान किया गया है.. समयबद्ध कार्यक्रम बनाकर कार्यान्वित करने की जरूरत है।

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