बजट 2025: MSP, सब्सिडी और लोन में क्या बदलाव करेगा बजट?
25 जनवरी 2025, नई दिल्ली: बजट 2025: MSP, सब्सिडी और लोन में क्या बदलाव करेगा बजट? – कृषि और ग्रामीण क्षेत्र उन प्रमुख वर्गों में शामिल हैं जो हर साल केंद्रीय बजट का बेसब्री से इंतजार करते हैं। हालांकि, खेती एक सालभर चलने वाली प्रक्रिया है और कई बड़े फैसले राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं, लेकिन केंद्र सरकार का बजट कृषि क्षेत्र को लेकर सरकार की सोच और प्राथमिकताओं की झलक जरूर देता है।
बजट में कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के लिए पर्याप्त फंडिंग से न केवल इस क्षेत्र को मजबूती मिलती है, बल्कि समग्र अर्थव्यवस्था को भी गति मिलती है और उपभोक्ता खर्च बढ़ता है। इसी संदर्भ में, अर्थशास्त्री केंद्रीय बजट की घोषणाओं में ग्रामीण भारत को लेकर सरकार के दृष्टिकोण के संकेत तलाशते हैं।
बढ़ती बजटीय आवंटन, लेकिन साहसिक सुधारों की कमी?
2014 में एनडीए सरकार के सत्ता में आने के बाद से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों के लिए बजटीय आवंटन में कई गुना वृद्धि हुई है। हालांकि, कुछ आलोचकों का कहना है कि इसमें से कुछ बढ़ोतरी सिर्फ लेखा-जोखा में बदलाव के कारण हुई है। उदाहरण के लिए, अल्पकालिक फसल ऋणों पर ब्याज सब्सिडी का खर्च पहले वित्तीय सेवा विभाग के अंतर्गत आता था, लेकिन बाद में इसे कृषि मंत्रालय के बजट में जोड़ दिया गया।
हालांकि, पीएम किसान सम्मान निधि (2018 में शुरू) और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना जैसी योजनाओं के लिए बजटीय आवंटन में वास्तविक वृद्धि हुई है।
मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में कृषि और ग्रामीण मंत्रालय की जिम्मेदारी अनुभवी नेता और पूर्व मध्य प्रदेश मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सौंपी गई है। जून 2024 में पदभार ग्रहण करने के बाद से चौहान कृषि भवन में नीति निर्माण में संवाद और राज्यों की भूमिका को मजबूत करने पर जोर दे रहे हैं।
उनके कुछ प्रमुख निर्णयों में योजनाओं की प्रक्रियाओं को सरल बनाना और बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए सुधार शामिल हैं। हालांकि, आलोचक कहते हैं कि मोदी सरकार ने अभी तक अपने तीसरे कार्यकाल में कृषि क्षेत्र के लिए कोई बड़ा और क्रांतिकारी कदम नहीं उठाया है।
बजट 2025 से क्या हैं उम्मीदें?
केंद्रीय बजट 2025-26 सरकार को कृषि क्षेत्र के लिए साहसिक फैसले लेने का एक और अवसर प्रदान करता है। सूत्रों के अनुसार, इस बार बजट में किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के तहत ऋण सीमा को मौजूदा ₹3 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख किए जाने की संभावना है।
इसके अलावा, कृषि उपकरणों पर GST दरों को कम करने पर भी चर्चा हो सकती है, हालांकि इस पर अंतिम निर्णय जीएसटी काउंसिल द्वारा लिया जाएगा, न कि केंद्रीय बजट में।
एग्रीटेक और स्टार्टअप्स को मिलेगा बढ़ावा?
कृषि क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एग्रीटेक कंपनियों के लिए एक समर्पित फंड स्थापित करने की चर्चाएँ भी जारी हैं। इससे किसानों को नई तकनीकों का लाभ मिलेगा और कृषि क्षेत्र में स्टार्टअप्स को प्रोत्साहन मिलेगा।
लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या बजट 2025 कृषि अनुसंधान और विकास (R&D) पर खर्च बढ़ाने की दिशा में कोई बड़ा कदम उठाएगा? जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए, देश की कृषि प्रणाली को भविष्य के लिए तैयार करना जरूरी हो गया है।
सब्सिडी और ग्रामीण विकास पर सरकार का रुख
मोदी सरकार ने हाल ही में मुफ्त खाद्यान्न योजना को पांच साल के लिए बढ़ाने का निर्णय लिया है, जिससे खाद्य सब्सिडी का बोझ बढ़ने की संभावना है। इसके अलावा, यूरिया और डीएपी जैसे उर्वरकों की कीमतों में वृद्धि रोकने की सरकार की नीति के कारण उर्वरक सब्सिडी भी बढ़ सकती है।
ग्रामीण क्षेत्रों में सरकार की प्राथमिकताओं में प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) और ग्रामीण सड़क योजनाएँ शामिल होंगी। ‘लखपति दीदी’ योजना को भी बजट में विशेष महत्व मिलने की संभावना है, क्योंकि यह ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
ग्रामीण आवास योजना के तहत, अगले पांच वर्षों में 2 करोड़ नए घर बनाने की मंजूरी पहले ही कैबिनेट द्वारा दी जा चुकी है। यह उन 3 करोड़ घरों के अतिरिक्त होंगे जो पहले ही बनाए जा चुके हैं। इसके लिए पात्रता नियमों में बदलाव किया गया है और नए लाभार्थियों की पहचान के लिए सर्वेक्षण शुरू हो चुका है।
बजट 2025: किसानों के लिए बदलाव या सिर्फ घोषणाएँ?
अब देखने वाली बात यह होगी कि बजट 2025 कृषि क्षेत्र के लिए सिर्फ मौजूदा योजनाओं का विस्तार करता है या कोई नया और ऐतिहासिक फैसला लिया जाता है? क्या यह बजट कृषि क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन प्रदान करेगा?
बजट की घोषणाएँ 1 फरवरी को संसद में पेश की जाएंगी और तभी साफ होगा कि क्या मोदी सरकार अपने तीसरे कार्यकाल में किसानों के लिए कोई बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय लेगी या नहीं।
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