हल्दी उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा: राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड का शुभारंभ
15 जनवरी 2025, नई दिल्ली: हल्दी उत्पादन और निर्यात को बढ़ावा: राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड का शुभारंभ – केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड का शुभारंभ किया। बोर्ड का मुख्यालय तेलंगाना के निजामाबाद में स्थापित किया गया है। इसका उद्देश्य हल्दी किसानों की भलाई, नई किस्मों के विकास, और अंतरराष्ट्रीय निर्यात को बढ़ावा देना है।
बोर्ड का गठन हल्दी की खेती और उत्पादन से जुड़े सभी प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसमें नए हल्दी उत्पादों के अनुसंधान, गुणवत्तापूर्ण उत्पादन और वैश्विक बाजारों में निर्यात बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। बोर्ड हल्दी के औषधीय और स्वास्थ्य लाभों पर जागरूकता फैलाने के साथ ही इसकी गुणवत्ता और आपूर्ति श्रृंखला को भी बेहतर बनाने के उपाय करेगा।
भारत वैश्विक स्तर पर हल्दी का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता और निर्यातक है। 2023-24 में भारत ने लगभग 3 लाख 5 हजार हेक्टेयर में हल्दी की खेती कर 10 लाख 74 हजार टन उत्पादन किया। इसी दौरान देश ने 226.5 मिलियन डॉलर मूल्य की 1.62 लाख टन हल्दी और हल्दी उत्पादों का निर्यात किया, जिससे वैश्विक बाजार में भारत की हिस्सेदारी 62 प्रतिशत से अधिक रही।
मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि बोर्ड महाराष्ट्र, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और मेघालय सहित 20 राज्यों के हल्दी किसानों की समस्याओं और आवश्यकताओं पर विशेष ध्यान देगा। इसके अलावा, हल्दी की खेती में सुधार के लिए आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में उत्पादकता बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं।
बोर्ड की संरचना और नेतृत्व
श्री पल्ले गंगा रेड्डी को बोर्ड का पहला अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। बोर्ड में आयुष मंत्रालय, औषधि विभाग, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और वाणिज्य विभाग के प्रतिनिधियों के साथ महाराष्ट्र, तेलंगाना और मेघालय जैसे प्रमुख राज्यों के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
हल्दी को ‘गोल्डन स्पाइस’ का दर्जा दिया गया है। बोर्ड का लक्ष्य किसानों को उनकी उपज के लिए बेहतर मूल्य दिलाना और हल्दी आधारित नए उत्पादों के अनुसंधान व विकास को प्रोत्साहन देना है। मंत्री ने कहा कि यह पहल किसानों की आय में वृद्धि के साथ-साथ निर्यात बढ़ाने के प्रयासों को भी बल प्रदान करेगी।
राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड का गठन देश में हल्दी क्षेत्र के समग्र विकास और वृद्धि को गति देने का प्रयास है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम किसानों के लिए नई संभावनाएं पैदा करेगा और वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति को और मजबूत करेगा।
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