केंद्र का बड़ा फैसला: 30 सितंबर तक कपास पर आयात शुल्क माफ, जानिए किसानों को क्या मिलेगा फायदा
20 अगस्त 2025, नई दिल्ली: केंद्र का बड़ा फैसला: 30 सितंबर तक कपास पर आयात शुल्क माफ, जानिए किसानों को क्या मिलेगा फायदा – सरकार ने घरेलू कपास की कीमतें नियंत्रित रखने और कपड़ा उद्योग को सहारा देने के मकसद से 19 अगस्त 2025 से 30 सितंबर 2025 तक कच्चे कपास के आयात पर लगने वाले सभी टैक्स में छूट देने का फैसला किया है। इसमें 5 प्रतिशत बेसिक कस्टम ड्यूटी (बीसीडी), 5% कृषि विकास टैक्स और और इनके ऊपर लगने वाला 10% अधिभार शामिल है, ये सब टैक्स अब हटा दिए गए हैं। इस छूट के बाद अब कपास पर कुल मिलाकर सिर्फ 11 प्रतिशत आयात शुल्क लगेगा।
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (CBIC) ने इस फैसले को अधिसूचित किया है। इस कदम से सूत, कपड़ा, परिधान और मेड-अप जैसे कपड़ा उद्योगों में कच्चे माल की लागत घटेगी। इससे न सिर्फ उत्पादकों को राहत मिलेगी, बल्कि आम उपभोक्ताओं को भी फायदा होगा।
क्यों दी गई है ये छूट?
यह छूट कपड़ा उद्योग की लगातार उठती मांगों को देखते हुए दी गई है। कपड़ा उद्योग काफी समय से बढ़ती घरेलू कीमतों और कपास की कमी को लेकर चिंता जता रहा था और सरकार से कपास पर लगने वाले आयात शुल्क को खत्म करने की मांग कर रहा था। सरकार ने यह शुल्क अस्थायी रूप से हटा दिए हैं ताकि:
1. घरेलू बाजार में कच्चे कपास की उपलब्धता बढ़े,
2. कपास की कीमतों को स्थिर रखा जा सके, जिससे कपड़े की महंगाई पर कंट्रोल हो,
3. कपड़ा उत्पादों की लागत घटे ताकि भारत के उत्पाद दुनिया में मुकाबला कर सकें,
4. छोटे और मझोले उद्योग (SMEs) को राहत मिले, जो कीमतों के उतार-चढ़ाव से सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
सरकार को उम्मीद है कि इस फैसले से घरेलू कपास की कीमतों पर अच्छा असर पड़ेगा और कपड़ा व परिधान क्षेत्र, जो देश में रोजगार और निर्यात का बड़ा जरिया है, उसे मजबूती मिलेगी।
देश के कई कपड़ा संघों ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने 19 अगस्त 2025 से कपास की सभी किस्मों को 11 प्रतिशत आयात शुल्क से छूट देने के फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह का आभार जताया है।
किसानों को क्या मिलेगा फायदा?
सरकार का यह फैसला मुख्य रूप से कपड़ा उद्योग को राहत देने के लिए लिया गया है, लेकिन इसका परोक्ष फायदा किसानों को भी हो सकता है। इससे कपास की कीमतें स्थिर रहने की उम्मीद है, जिससे किसानों को अपनी फसल के अच्छे और तय दाम मिल सकते हैं। कपड़ा उद्योग में मांग बनी रहने से किसानों की उपज की बिक्री भी आसान हो सकती है। इससे किसान बेहतर तरीके से अगली फसल की योजना बना सकेंगे।
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