National News (राष्ट्रीय कृषि समाचार)

पराली जलाने को रोकने के लिए 600 करोड़ रु. दिए जा चुके हैं

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22 सितम्बर 2022, नई दिल्ली: पराली जलाने को रोकने के लिए 600 करोड़ रु. दिए जा चुके हैं – केंद्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की राज्य सरकारों से निकट भविष्य में पराली जलाने को रोकने के लिए प्रयास करने का आह्वान किया। श्री तोमर ने कहा कि इस वित्तीय वर्ष में राज्यों को पहले ही 600 करोड़ रुपये प्रदान किए जा चुके हैं और उनके पास 300 करोड़ रुपये की अव्ययित राशि है, जिसका उचित उपयोग किया जाना चाहिए। इसके अलावा, लगभग दो लाख मशीनें राज्यों को उपलब्ध कराई गई हैं।

उन्होंने इस मिशन को जीतने के लिए सभी केंद्रीय मदद का वादा किया और कहा कि यह इन राज्यों पर एक तरह का अभिशाप है क्योंकि उन्हें नकारात्मक मीडिया प्रचार के कारण जनता से बहुत नफरत मिलती है।

मंत्री ने कहा, केंद्र और संबंधित राज्यों को संयुक्त रूप से एक दीर्घकालिक योजना तैयार करनी चाहिए और एक निर्दिष्ट समय-सीमा के भीतर जीरो स्टबल बर्निंग के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए बहु-आयामी गतिविधियां करनी चाहिए।

श्री तोमर ने राज्यों के अधिकारियों को आईईसी गतिविधियों को मजबूत और व्यापक बनाने के लिए कहा ताकि किसानों को जागरूक किया जा सके कि पराली जलाने से यूरिया के अति प्रयोग की तरह लंबे समय में मिट्टी की उर्वरता का नुकसान होता है। उन्होंने अधिकारियों से किसानों को उन स्थलों पर ले जाने की व्यवस्था करने का आग्रह किया, जहां भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विकसित पूसा डीकंपोजर का उपयोग व्यावहारिक प्रदर्शन के लिए किया जा रहा है।

कृषि मंत्रालय  2022-23 के दौरान ‘पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में फसल अवशेषों के इन-सीटू प्रबंधन के लिए कृषि मशीनीकरण को बढ़ावा देने’ पर केंद्रीय क्षेत्र की योजना को जारी रखे हुए है।

अब तक पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और आईसीएआर को पहली किस्त के तौर पर 240 करोड़ रुपये, 191 करोड़ रुपये, 154 करोड़ रुपये और 14 करोड़ रुपये की राशि पहले ही जारी की जा चुकी है। चालू वर्ष के दौरान, इन राज्यों में बड़े पैमाने पर जैव-अपघटक प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रावधान भी शामिल किए गए हैं।

पराली के प्रबंधन के लिए पूसा डीकंपोजर का उपयोग

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विकसित पूसा डीकंपोजर,  (तरल और कैप्सूल दोनों) धान के भूसे के तेजी से विघटन  के लिए प्रभावी पाया गया है। वर्ष 2021 के दौरान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में लगभग 5.7 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में डीकंपोजर का उपयोग किया गया है, जो लगभग 35 लाख टन भूसे के प्रबंधन के बराबर है। सैटेलाइट इमेजिंग और मॉनिटरिंग के जरिए यह देखा गया कि डीकंपोजर स्प्रेड प्लॉट्स के 92% एरिया को डीकंपोजर के जरिए मैनेज किया गया है और इन प्लॉट्स में सिर्फ 8% एरिया ही जलाया’ गया था।

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