सोपा ने सरकार से आयातित खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क में भारी वृद्धि की मांग दोहराई
15 जून 2024, इंदौर: सोपा ने सरकार से आयातित खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क में भारी वृद्धि की मांग दोहराई – घरेलू तिलहन और खाद्य तेलों के क्षेत्र में सस्ते आयातित खाद्य तेलों में वृद्धि के हानिकारक प्रभावों पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए, सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) ने एक भार फिर केंद्र सरकार से आगामी केंद्रीय बजट को मद्देनज़र रखते हुए घरेलु तिलहन उद्योग में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के उद्देश्य से आयातित खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क तथा कृषि उपकर में तीव्र वृद्धि करने का आग्रह किया है।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण तथा केंद्रीय कृषि, किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान को लिखे पत्रों में सोपा चेयरमेन डॉ. डेविश जैन ने आयातित खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क में उल्लेखनीय वृद्धि और कृषि उपकर लगाने की मांग करते हुए कहा कि इस कदम से ना सिर्फ घरेलू तिलहन उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि किसान भी जिनका वर्तमान में तिलहन की बुवाई से मोह भंग होता जा रहा है, वो तिलहन की बुवाई की ओर प्रोत्साहित होंगे तथा भारत खाद्य तेलों तथा तिलहनों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने की तरफ अग्रसर होगा।
डॉ. जैन ने कहा कि मौजूदा निम्न कस्टम्स ड्यूटी के परिणामस्वरूप सस्ते आयात में वृद्धि हुई है, जिससे स्वदेशी तिलहन प्रसंस्करण और उत्पादन प्रभावित हुआ है।उन्होंने कहा कि अक्टूबर 2021 से सीमा शुल्क में कमी ने सस्ते खाद्य तेल आयात की आमद को बढ़ावा दिया है, जो 2021 में 130.68 लाख टन से बढ़कर 2023 में 158.37 लाख टन हो गया। खाद्य तेल की कीमतें 2021-22 में 105.51 रुपये/किलोग्राम से गिरकर 2024-25 में 85.52 रुपये/किलोग्राम हो गई हैं।
सोपा चेयरमेन ने कहा कि भारत में अधिकांश तिलहनों की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आने के कारण किसान तिलहन की खेती से विमुख होकर दूसरे अनाजों के उत्पादन की तरफ बढ़ रहे हैं। वर्तमान में सरसों, मूंगफली, सूरजमुखी और सोयाबीन सहित अधिकांश तिलहन न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम भाव में बिक रहे हैं, जिससे घरेलू उत्पादन में संभावित गिरावट आ रही है और भारत खाद्य तेलों में ‘आत्मनिर्भरता’ प्राप्त करने की स्थित से दूर होता दिख रहा है।
भारी वित्तीय नुकसान और व्यापक उद्योग पतन के जोखिम का सामना कर रहे घरेलू तिलहन प्रोसेसरों के अस्तित्व के खतरे को रेखांकित करते हुए, डॉ. जैन ने स्थानीय उत्पादकों के लिए एक उचित बाजार बनाने के लिए केंद्र सरकार से आयातित खाद्य तेलों पर सीमा शुल्क के दर को तीन वर्ष पूर्व के स्टार पर लाने की मांग किया है। उन्होंने कहा कि सीमा शुल्क में वृद्धि से ना सिर्फ सरकारी राजस्व में वृद्धि होगी बल्कि यह भारत के आयात निर्भरता को कम करने के साथ साथ घरेलु तिलहन उत्पादन को बढ़ावा देगा।