सोलन में 33% वर्षा की कमी, फसलों और फल उत्पादन पर असर
11 मार्च 2025, नई दिल्ली: सोलन में 33% वर्षा की कमी, फसलों और फल उत्पादन पर असर – सोलन भारत के उन सात जिलों में शामिल है, जो सर्दियों में वर्षा की कमी से जूझ रहे हैं, हालांकि फरवरी में सामान्य से 52.3% अधिक वर्षा हुई। अन्य प्रभावित जिलों में चंबा, लाहौल-स्पीति, ऊना, हमीरपुर, कांगड़ा और सिरमौर शामिल हैं। इन क्षेत्रों में जनवरी और फरवरी में सामान्य से कम वर्षा दर्ज की गई, जिससे राज्य में कुल 26% की वर्षा कमी देखी गई।
डॉ. वाईएस परमार औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के पर्यावरण विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार, सोलन में नवंबर से फरवरी के बीच 33.1% वर्षा की कमी दर्ज की गई। नवंबर और दिसंबर में बिल्कुल भी वर्षा नहीं हुई, जबकि सामान्यतः 9.3 मिमी और 28.9 मिमी बारिश होती है। जनवरी में केवल 4.8 मिमी वर्षा हुई, जबकि सामान्यत: 59.4 मिमी होती है, जिससे किसानों और जल शक्ति विभाग में चिंता बढ़ गई है।
हालांकि फरवरी में 107.8 मिमी वर्षा दर्ज की गई, जो सामान्य 52.3 मिमी से अधिक है, लेकिन कुल वर्षा की कमी 33.1% बनी हुई है। डॉ. सतीश भारद्वाज, डॉ. वाईएस परमार विश्वविद्यालय में विभागाध्यक्ष, ने बताया कि लंबे समय तक जल संकट के कारण रबी फसलों को अपूरणीय क्षति पहुंची है। इसके अलावा, बढ़ते तापमान और पत्थर व गुठलीदार फलों के लिए आवश्यक शीतकालीन ठंडक में कमी से असामान्य फूल आने की संभावना बढ़ गई है, जिससे गुणवत्ता और उपज प्रभावित हो सकती है।
कसौली के सब्जी उत्पादक अजय कुमार ने बताया कि अपर्याप्त वर्षा और देर से बुवाई के कारण उनकी फसल का उत्पादन 35% तक कम हो गया। इसी तरह, आलूबुखारा, आड़ू और खुबानी उगाने वाले किसान समय से पहले और अनियमित फूल आने को लेकर चिंतित हैं, जिससे पिछले साल जैसी हानि होने की आशंका है।
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