2024-25 रिपोर्ट: धान उत्पादन में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर, वहीँ पंजाब की उत्पादकता सबसे अधिक
22 नवंबर 2024, नई दिल्ली: 2024-25 रिपोर्ट: धान उत्पादन में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर, वहीँ पंजाब की उत्पादकता सबसे अधिक – धान भारत की प्रमुख खाद्य फसलों में से एक है, जो देश के करोड़ों किसानों की आजीविका का आधार है। यह न केवल घरेलू खाद्य सुरक्षा को मजबूत करता है, बल्कि वैश्विक बाजार में भी भारतीय चावल की महत्वपूर्ण भूमिका है। बासमती और गैर-बासमती चावल के निर्यात से भारत को विदेशी मुद्रा अर्जित होती है। लेकिन जलवायु परिवर्तन, मानसून की अनियमितता और कृषि तकनीकों की सीमाएं, धान उत्पादन को लेकर लगातार चुनौतियां पेश कर रही हैं। इन सबके बीच, केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए किए गए प्रयास, धान उत्पादन में बेहतर परिणाम ला रहे हैं।
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तहत आने वाले कृषि विभाग ने खरीफ सीजन 2024-25 में धान उत्पादन से संबंधित अग्रिम अनुमान जारी किए हैं। इस रिपोर्ट के अनुसार, खरीफ सीजन में देश का धान उत्पादन 1199.34 लाख टन पर पहुंचा है, जो कृषि क्षेत्र की स्थिति और किसानों की मेहनत का प्रमाण है।
देशभर में खरीफ धान का उत्पादन
खरीफ सीजन 2024-25 के दौरान देशभर में धान की खेती 433.68 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की गई। इस अवधि में औसत उपज 2765 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रही। यह उत्पादन पिछले सालों की तुलना में स्थिरता दर्शाता है, हालांकि कुछ राज्यों में उन्नत कृषि तकनीकों का इस्तेमाल बेहतर परिणाम लाया है।
शीर्ष पांच धान उत्पादक राज्य
इस सीजन में देश के पांच प्रमुख धान उत्पादक राज्यों ने शानदार प्रदर्शन किया। इन राज्यों के आंकड़े निम्नलिखित हैं:
राज्य | क्षेत्रफल (लाख हेक्टेयर) | उत्पादन (लाख टन) | उपज (किलोग्राम/हेक्टेयर) |
उत्तर प्रदेश | 79.76 | 217.43 | 2726 |
पंजाब | 32.43 | 146.82 | 4527 |
पश्चिम बंगाल | 42 | 120.75 | 2875 |
छत्तीसगढ़ | 38.35 | 93.03 | 2426 |
तेलंगाना | 23.44 | 81.74 | 3487 |
पंजाब की प्रति हेक्टेयर उपज 4527 किलोग्राम रही, जो अन्य राज्यों से काफी अधिक है। वहीं, उत्तर प्रदेश ने कुल उत्पादन में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है।
धान उत्पादन के दशकभर का विश्लेषण
2014-15 से 2024-25 तक, भारत में धान उत्पादन में लगातार वृद्धि हुई है। इस दशक के दौरान, रबी और खरीफ दोनों सीजन मिलाकर धान उत्पादन 1054.82 लाख टन (2014-15) से बढ़कर 1378.25 लाख टन (2023-24) तक पहुंचा। यह वृद्धि उन्नत बीजों, सिंचाई योजनाओं और सरकारी नीतियों के प्रभाव का परिणाम है।
वर्ष | क्षेत्रफल (लाख हेक्टेयर) | उत्पादन (लाख टन) | उपज (किलोग्राम/हेक्टेयर) |
2014-15 | 441.11 | 1054.82 | 2391 |
2015-16 | 434.99 | 1044.08 | 2400 |
2016-17 | 439.93 | 1096.98 | 2494 |
2017-18 | 437.74 | 1127.58 | 2576 |
2018-19 | 441.56 | 1164.78 | 2638 |
2019-20 | 436.62 | 1188.7 | 2722 |
2020-21 | 457.69 | 1243.68 | 2717 |
2021-22 | 462.79 | 1294.71 | 2798 |
2022-23 | 478.32 | 1357.55 | 2838 |
2023-24 | 478.28 | 1378.25 | 2882 |
2024-25(सिर्फ खरीफ सीजन के आकडे) | 433.68 | 1199.34 | 2765 |
भारत न केवल धान उत्पादन में आत्मनिर्भर है, बल्कि वैश्विक चावल बाजार में एक अहम खिलाड़ी भी है। देश ने 2023-24 के दौरान 5.24 मिलियन मीट्रिक टन बासमती चावल और 11.16 मिलियन मीट्रिक टन गैर-बासमती चावल का निर्यात किया, जिसकी कुल कीमत लगभग 86193.66 करोड़ रुपये थी। वहीं, देश ने 77.87 मिलियन मीट्रिक टन चावल का आयात भी किया।
सरकार ने विपणन सत्र 2024-25 के लिए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2300 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। वर्तमान बाजार दर 2500 से 3000 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है, जो किसानों के लिए लाभकारी स्थिति दर्शाती है।
हालांकि उत्पादन में वृद्धि हुई है, लेकिन जलवायु परिवर्तन, मानसून की अनियमितता और फसल सुरक्षा उपायों की चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, उन्नत तकनीकों और स्मार्ट खेती की नीतियों को अपनाने से इन समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।
(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़, टेलीग्राम, व्हाट्सएप्प)
(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)
कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:
www.krishakjagat.org/kj_epaper/
कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: