आईआईएल ने आईसीएस कार्यक्रम के तहत आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मिर्च किसानों को लागत घटाने और उत्पादकता बढ़ाने का प्रशिक्षण दिया
16 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: आईआईएल ने आईसीएस कार्यक्रम के तहत आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मिर्च किसानों को लागत घटाने और उत्पादकता बढ़ाने का प्रशिक्षण दिया – आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मिर्च किसान बढ़ती खेती लागत, बाजार कीमतों में उतार-चढ़ाव और उत्पादन संबंधी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि में इंसेक्टिसाइड्स इंडिया लिमिटेड (आईआईएल) ने अपने आईआईएल क्रॉप सॉल्यूशंस (ICS) कार्यक्रम के माध्यम से किसानों के लिए जागरूकता और प्रशिक्षण गतिविधियों को तेज किया है। इस पहल के तहत चयनित मिर्च के खेतों में आईसीएस पैकेज के अनुसार फसल प्रबंधन किया गया और इन्हें किसानों की सामान्य पद्धति वाले खेतों के साथ प्रदर्शित किया गया, ताकि किसान वास्तविक परिस्थितियों में परिणामों की तुलना स्वयं कर सकें।
इन तुलनात्मक प्रदर्शनों के माध्यम से गांव और आसपास के क्षेत्रों के किसानों को वैज्ञानिक और चरणबद्ध फसल प्रबंधन के लाभ प्रत्यक्ष रूप से देखने का अवसर मिला। आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के प्रमुख मिर्च उत्पादक क्षेत्रों में ऐसे कई आईसीएस डेमो प्लॉट लगाए गए हैं, जिससे अधिक से अधिक किसान इस अनुभवात्मक सीख का लाभ उठा सकें।
आईआईएल के अनुसार, आईसीएस प्लॉट्स ने किसानों को इनपुट उपयोग की दक्षता, फसल स्वास्थ्य प्रबंधन और कीट नियंत्रण की बेहतर समझ प्रदान की है। इन खेतों का दौरा करने वाले किसानों ने पौधों की बेहतर वृद्धि, अधिक फूल और फल सेटिंग, तथा समय पर और सटीक फसल सुरक्षा उपायों से कीट नियंत्रण में सुधार देखा।
इस पहल पर टिप्पणी करते हुए इंसेक्टिसाइड्स (इंडिया) लिमिटेड के मुख्य विपणन अधिकारी श्री दुष्यंत सूद ने कहा कि आईसीएस कार्यक्रम का उद्देश्य किसानों को स्पष्टता, विश्वास और व्यावहारिक समाधान प्रदान करना है। उन्होंने कहा कि जब किसान अपने सामने परिणाम देखते हैं, तो उन्हें वही पद्धति अपनाने का भरोसा मिलता है। उन्होंने यह भी बताया कि आईआईएल मिर्च के साथ-साथ अन्य फसलों और क्षेत्रों में भी आईसीएस कार्यक्रम का विस्तार कर रहा है।
इंसेक्टिसाइड्स (इंडिया) लिमिटेड के उपाध्यक्ष श्री वी.के. गर्ग ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में मिर्च की खेती अनियमित मौसम, बढ़ते कीट प्रकोप, बाजार कीमतों में उतार-चढ़ाव और बढ़ती लागत के कारण अधिक चुनौतीपूर्ण हो गई है। उन्होंने कहा कि आईआईएल केवल उत्पादों तक सीमित न रहकर खेतों में किसानों के साथ खड़े होकर उनकी समस्याओं को समझने और समय पर तकनीकी मार्गदर्शन देने पर विश्वास करता है, जिससे किसान अपनी फसल की रक्षा कर सकें और उत्पादकता बढ़ा सकें।
कार्यक्रम की रूपरेखा पर प्रकाश डालते हुए आईआईएल के जनरल मैनेजर – हॉर्टीकल्चर एंड प्लांटेशंस श्री प्रविण जाधव ने बताया कि आईसीएस परियोजना का उद्देश्य किसानों को दृश्य रूप से अंतर दिखाना है। ये सभी प्लॉट अपने-अपने क्षेत्रों के प्रगतिशील किसानों के खेतों पर लगाए गए हैं। उन्होंने कहा कि किसानों के अनुभव के अनुसार यह वैज्ञानिक पद्धति खेती की लागत को 10–15 प्रतिशत तक कम कर सकती है और उत्पादकता में लगभग 10 प्रतिशत की वृद्धि कर सकती है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रभावी फसल प्रबंधन केवल सही उत्पाद के उपयोग से नहीं, बल्कि सही अवस्था, सही मात्रा और सही विधि अपनाने से संभव होता है।
आईआईएल इन फील्ड प्रदर्शनों से प्राप्त अनुभवों और जानकारियों को डिजिटल और सोशल मीडिया के माध्यम से उन किसानों तक भी पहुंचाने की योजना बना रहा है, जो व्यक्तिगत रूप से इन कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो पाए। कंपनी आने वाले महीनों में आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के और अधिक गांवों में आईसीएस प्लॉट कार्यक्रम का विस्तार करने की तैयारी कर रही है, ताकि वैज्ञानिक फसल प्रबंधन पद्धतियों का लाभ व्यापक स्तर पर मिर्च किसानों तक पहुंच सके।
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