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CSIR-CMRI ने खेती में जल संकट से निपटने के लिए किया बैटरी स्प्रेयर विकसित

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05 सितंबर 2020, नई दिल्ली। CSIR-CMRI ने खेती में जल संकट से निपटने के लिए किया बैटरी स्प्रेयर विकसितजल एक अनमोल संसाधन है और जल की कमी पूरे राष्ट्र पर भारी पड़ रही है। सिंचाई में लगभग 70% जल की खपत करने वाली कृषि क्षेत्र इस संकट के कारण अर्थव्यवस्था का सबसे कमजोर क्षेत्र बन गया है। इस मुद्दे के समाधान के लिए लगभग प्रत्येक भूमि क्षेत्र में सौर पंप को लागू करने पर चर्चा हुई है।

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सौर पंपों के अलावा, वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद-केन्द्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीएमईआरआई) सिंचाई के लिए आवश्यक जल की खपत को कम करने के तरीकों पर कार्य कर रहा है। शुरुआत में, ड्रिप सिंचाई पद्धित पर विचार किया गया था, लेकिन बाद में यह महसूस किया गया कि ड्रिप सिंचाई छोटे किसानों से लेकर सीमांत किसानों तक के लिए सस्ता नहीं है, जिनकी भारतीय कृषि परिदृश्य में प्रमुख हिस्सेदारी हैं। ये किसान कुछ हजार रुपये की लागत वाले हाथ से चलने वाले छिड़काव यंत्र (मैनुअल स्प्रेयर्स) का उपयोग करते हैं।

उपलब्ध जानकारी के अनुसार, कीटनाशक फसल की उत्पादकता बढ़ाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं, लेकिन उपयुक्त मशीनरी की कमी के कारण बड़ी मात्रा में कीटनाशक स्प्रे बर्बाद हो जाता है और मृदा, जल तथा वायु प्रदूषित हो जाता है। कीटनाशकों के ऐसे हानिकारक प्रभावों के कारण, उनके उपयोग को कम करने और उनके छिड़काव को अधिक कुशल बनाने के लिए दबाव बढ़ रहा है। कुशल छिड़काव करने वाला यंत्र बनाने के लिए सतह के फैलाव, वायु का प्रवाह, , कण का आकार आदि के विज्ञान को समझने की आवश्यकता है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई ने “सीमांत” और “छोटे किसानो” के लिए बैटरी द्वारा संचालित दो प्रकार की छिड़काव प्रणाली विकसित की है। 5 लीटर की क्षमता वाला बैक पैक स्प्रेयर (पीठ पर रखकर छिड़काव करने वाला यंत्र), “सीमांत किसानों” के लिए बनाया गया है, जबकि 10 लीटर की क्षमता वाला कॉम्पैक्ट ट्रॉली स्प्रेयर “छोटे किसानों” के लिए बनाया गया है। ये छिड़काव यंत्र दो अलग-अलग टैंकों, प्रवाह नियंत्रण और दबाव नियंत्रक से युक्त होते हैं, ताकि फसलों को जल की विभिन्न आवश्यकताओं, , कीटों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशक/फफूंदीनाशक का उचित उपयोग बनाए रखना, , छोटे क्षेत्र में मृदा नमी का स्तर बनाए रखना और खरपतवार नियंत्रण किया जा सके। यह प्रणाली सौर-क्षमता आधारित बैटरियों पर कार्य करता है । ये छिड़काव वाले यंत्र (स्प्रेयर) विकसित करने में सरल और सीखने तथा लागू करने में आसान हैं इसलिए भारतीय किसानों के सामने आने वाले जल संकट को दूर करने में मददगार साबित होंगे।

स्प्रेयर के दोहरा-चैंबर (दो-स्तरीय) डिजाइन से किसी भी समय में दो प्रकार के तरल पदार्थ ले जा सकते हैं । सीएसआईआर-सीएमईआरआईमें किए गए प्रयोगों के अनुसार, उपयोगकर्ता किसानों ने सूचित किया है कि इस स्प्रेयर का उपयोग करते समय 75% जल और 25% समय की बचत होती है। सीएसआईआर-सीएमईआरआई के निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) हरीश हिरानी ने बताया,“कृषि क्षेत्र में जल के उपयोग को कम करके, ये कई प्रकार के तरीके कृषि क्षेत्र में क्रांति ला सकते हैं। इस क्रांतिकारी तकनीक से शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में भी खेती में मदद मिलेगी, ।”

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