सेंचुरियन ईज़ी से सोयाबीन खरपतवारों का नियंत्रण होगा आसान
04 अगस्त 2025, इंदौर: सेंचुरियन ईज़ी से सोयाबीन खरपतवारों का नियंत्रण होगा आसान – राष्ट्रीय कृषि अखबार कृषक जगत द्वारा किसान सत्र के अंतर्गत गत दिनों ‘ सोयाबीन में घास खरपतवार का प्रभावी नियंत्रण ‘ विषय पर ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन किया गया। प्रमुख वक्ता प्रसिद्ध कम्पनी यूपीएल एसएएस के श्री प्रताप रणखांब, हेड ,फील्ड मार्केटिंग, श्री बिस्वजीत बोरा ,पोर्टफोलियो लीड ( हर्बीसाइड्स ) ,श्री प्रशांत वानी,स्टेट बिजनेस हेड तथा श्री रूपबसंत नागर, हेड प्रोडक्ट डेवलप थे। इस वेबिनार में मध्यप्रदेश के अलावा राजस्थान , छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड के कृषक भी शामिल हुए। प्रश्नोत्तरी में जहां वक्ताओं ने किसानों की समस्याओं का समाधान किया ,वहीं कृषि ज्ञान प्रतियोगिता में किसानों ने सटीक उत्तर दिए। कम्पनी द्वारा विजेता किसानों को आकर्षक उपहार देने की घोषणा की गई। वेबिनार का संचालन कृषक जगत के संचालक श्री सचिन बोंद्रिया ने किया।
श्री रणखंब ने कहा कि सोयाबीन फसल में खरपतवार से बहुत नुकसान होता है। कटाई के समय चारा आने से भी परेशानी बढ़ जाती है। किसानों ने यूपीएल पर भरोसा जताते हुए सीड ट्रीटमेंट के लिए इलेक्ट्रॉन और खरपतवार नियंत्रण के लिए आइरिस का इस्तेमाल किया। आधुनिक तकनीक वाला नया उत्पाद सेंचुरियन ईज़ी को अब तक एक लाख किसान इसका इस्तेमाल कर चुके हैं। किसानों तक पहुँचने के लिए यूपीएल टीम द्वारा फील्ड में डेमोस्ट्रेशन के साथ किसानों के साथ मीटिंग भी की जाती है। यह नया उत्पाद किसानों को उनके नजदीकी डीलर के पास उपलब्ध होगा।
सेंचुरियन : नाम के अनुरूप काम – श्री बोरा ने दृश्य – श्रव्य माध्यम से बताया कि मप्र सोयाबीन के नाम से जाना जाता है। इसके बाद छग और महाराष्ट्र में सोयाबीन उगाई जाती है। पूरे देश में सोयाबीन का रकबा 300 लाख एकड़ का है। सोयाबीन में मुख्य चुनौती खरपतवार प्रबंधन की है। यूपीएल का व्यवसाय 130 देशों में है । किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए कीट प्रबंधन एवं रोग प्रबंधन के लिए कई उत्पाद किसानों को कृषक सेवा केंद्र के माध्यम से उपलब्ध कराए हैं। खरपतवार प्रबंधन के लिए सेंचुरियन ईज़ी को सोच से आगे का उत्पाद बताते हुए कहा कि अत्याधुनिक पेटेंट तकनीक का का उपयोग आसान है और यह खरपतवार पर प्रभावी नियंत्रण तो करता ही है , फसल को भी सुरक्षित रखता है। किसान जिद्दी खरपतवारों से परेशान थे। कई दवाइयों का मिश्रण करके इस्तेमाल करना पड़ रहा था। सेंचुरियन ईज़ी ने इस झंझट को खत्म कर दिया है। अब एक घोल से ही लक्षित खरपतवार नियंत्रित होंगे। सेंचुरियन ईज़ी फ्लोयम के ज़रिए पूरे पौध तंत्र में फैल जाता है। यह खरपतवार की जड़ और अंकुर दोनों के विकास को रोकता है। जिद्दी खरपतवारों के लिए नए फार्मुलेशन के साथ इसे तैयार किया गया है। खरपतवारों के नियंत्रण के लिए सेंचुरियन ईज़ी सम्पूर्ण समाधान है। 2 -4 पत्ती अवस्था वाले खरपतवारों के लिए उपयुक्त इस उत्पाद की 400 मिली लीटर / एकड़ मात्रा को 200 लीटर पानी के साथ घोलकर स्प्रे करना है। स्प्रे के लिए फ्लैट फैन या फ्लड जेट नोज़ल का इस्तेमाल करना चाहिए। छिड़काव के बाद यदि दो -तीन घंटे बारिश न हो तो यह पूरा असर दिखाता है। यह उत्पाद सोयाबीन, कपास और प्याज़ फसल के लिए अनुशंसित है। लेकिन मक्का , गन्ना, गेहूं और धान में इसका प्रयोग वर्जित है।
सेंचुरियन ईज़ी अकेला ही सक्षम – श्री नागर ने कहा कि सोयाबीन फसल में नमी पर नियंत्रण नहीं होने से खरपतवार की समस्या बढ़ जाती है। पहले हाथ से निंदाई , कुल्पा /डोरे चलाकर अवांछित घास हटाते थे। जो खर्चीला होने के साथ पूरा समाधान नहीं देता था। किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए प्रतिबद्ध यूपीएल ने कई अच्छे खरपतवारनाशी तैयार किए हैं। बुआई के समय अमिकस का उपयोग किया जा सकता है। इसके अलावा अन्य समाधान के रूप में ब्रांड स्पेक्ट्रम उत्पाद आइरिस है, जो सभी तरह के खरपतवारों का प्रभावी नियंत्रण करता है। इन दिनों देखने में आ रहा है कि अलग-अलग खरपतवारनाशक के इस्तेमाल के बाद भी खरपतवार उग रहे हैं। इसका कारण लगातार इस्तेमाल से इनका प्रभाव कम होना है। इसी समस्या के समाधान के लिए यूपीएल ने सेंचुरियन ईज़ी पेश किया है ,जो खरपतवारों का समूल नाश कर फसल को सुरक्षित रखता है। सेंचुरियन ईज़ी अकेला ही खरतपवार नियंत्रण के लिए सक्षम है।
श्री वानी ने कहा कि पिछले कुछ सालों से खरपतवारनाशकों का प्रतिरोध कम हुआ है।ऐसी वर्तमान परिस्थिति में सेंचुरियन ईज़ी का जल्दी इस्तेमाल कर खरपतवार को नियंत्रित किया जा सकता है। इससे फसल में पीलापन नहीं आएगा। इस उत्पाद का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं है। इसके प्रयोग से फसल भी सुरक्षित रहती है। किसानों के फीडबैक में सेंचुरियन ईज़ी को अति उत्तम उत्पाद बताया है। सेंचुरियन ईज़ी ने किसानों की कई उत्पादों के घोल मिलाकर बनाने की तकलीफ को कम कर दिया है। हमारी टीम द्वारा हर 5 -10 गांवों में कीट नियंत्रण, फंगस
आदि समस्याओं के लिए मार्गदर्शन दिया जा रहा है। सेंचुरियन ईज़ी का जितना जल्दी इस्तेमाल करेंगे , खरपतवार पर उतना अधिक नियंत्रण होगा और फसल भी सुरक्षित रहेगी।
प्रश्नोत्तरी – श्री रूपसिंह चौहान , गरड़ावद ( धार ) ने डुंगली नामक खरपतवार, जिसमें लाल गठानें रहती हैं , का समाधान चाहा। श्री नागर ने कहा कि खरपतवार की फोटो भेजिए। धार टीम से जानकारी लेकर समाधान करेंगे। बोखनी खरपतवार से भी निजात दिलाने की बात कही तो श्री नागर ने कहा कि 5 साल से इस पर अनुसंधान हो रहा है। अगले साल इसका निदान बताएंगे। शिवना ( खरगोन ) के श्री हरीश गंगराड़े कहा कि सोयाबीन की फसल में खरपतवार का उचित नियंत्रण नहीं हो पाता है। अभी फसल 45 दिन की हो गई है। श्री नागर ने कहा कि देरी से छिड़काव करने पर प्रभावी नियंत्रण नहीं मिलेगा। सही समय पर छिड़काव से पोषक तत्वों का लाभ फसल को मिलेगा। श्री विनोद चौहान , खरगोन ने सोयाबीन की 45 दिन की फसल में हरी इल्ली की शिकायत की। श्री नागर ने कहा कि यूपीएल ने बाज़ार में कीटनाशी भी उतारे हैं। इल्लियों पर नियंत्रण हेतु अर्गाइल नामक उत्पाद का इस्तेमाल कर सकते हैं। श्री करण पटेल , जिनवान्या (हरदा ) ने सोयाबीन की हाइट नहीं बढ़ने की समस्या बताई। 15 दिन की अवस्था में खरपतवारनाशक डाला। कुछ दिन बाद खरपतवार फिर निकल आए। हम जायद में मूंग की फसल भी लेते हैं। यहां वर्षा भी अधिक हो रही है । हमें भ्रम है कि नमी से ऐसा हुआ है। श्री नागर ने कहा कि जो अनुशंसित मात्रा है, वही समय पर डालें। अन्यथा दवा का प्रभाव कम हो जाएगा। श्री नागर ने कहा कि सोयाबीन की फसल में पानी नहीं ठहरना चाहिए। अधिक नमी के कारण ही बढ़वार नहीं हो रही है। श्री महेंद्र सिंह पंवार ( पिपलोदा ) शाजापुर ने कहा कि आइरिस का 12 -15 दिन की सोयाबीन फसल में प्रयोग किया था। इससे पत्तियां जल जाती हैं। खरपतवार फिर से आ जाता है। जवाब में श्री नागर ने कहा कि आइरिस के गुण के कारण कुछ दिन पत्तियों का नुकसान होता है , लेकिन फसल पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। यह कुछ दिन बाद रिकवर हो जाती है। ऐसा खरपतवारनाशक के देरी से इस्तेमाल के कारण होता है। सही समय यानी दो पत्ती अवस्था में ही छिड़काव कर देना चाहिए।
कृषि ज्ञान प्रतियोगिता – पहला सवाल पूछा गया कि सेंचुरियन ईज़ी की कितनी मात्रा अनुशंसित की गई है ? इसका सही ज़वाब श्री सुखदेव ( उत्तराखंड ) ने 400 मिली लीटर / एकड़ बताया। दूसरा सवाल पूछा गया कि सेंचुरियन ईज़ी को उपयोग करने का सही समय क्या है? श्री विनोद चौहान , खरगोन ने सही ज़वाब दिया कि जब खरपतवार 2 -4 पत्ती की अवस्था में हो और सोयाबीन की फसल 15 -20 दिन की हो गई हो तब इसका उपयोग करना चाहिए। दोनों विजेताओं को यूपीएल की ओर से आकर्षक उपहार देने की घोषणा की गई।
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