उद्यानिकी (Horticulture)

पोषक तत्वों से भरपुर हरी पत्तेदार सब्जियों की वैज्ञानिक खेती

लेखक: डॉ. मुकेष सिंह, डॉ.गायत्री वर्मा, डॉ.डी.के.तिवारी, डॉ.एस.एस.धाकड एवं डॉ.जी.आर. अम्बावतिया, कृषि विज्ञान केन्द्र, षाजापुर, म.प्र., राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विष्वविद्यालय,ग्वालियर (म.प्र)

20 मई 2025, भोपाल: पोषक तत्वों से भरपुर हरी पत्तेदार सब्जियों की वैज्ञानिक खेती – हरी पत्तेदार सब्जियों हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण है भारतवर्ष में उगाई जाने वाली हरी पत्तेदार सब्जियों में पालक, मैथी एवं चौलाई प्रमुख है पोषण में इनकी महत्ता किसी से छिपी नही है. बच्चों के उत्तम विकास व विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं के लिए हरी पत्तेदार सब्जियों अधिक उपयोगी है इनमें प्रोटीन, वसा, विटामिन बी-2 विटामिन सी, विटामिन के एवं खनिज पदार्थ जैसे लोहा, कैल्शियम, फास्फोरस एवं रेसा प्रचुर मात्रा में विद्यमान रहता है। रेशेयुक्त सब्जियों सस्ती व आसानी से उलब्ध होने के साथ-साथ भोजन को शीघ्र पाचनशील, स्वादिष्ट, संतुलित व पौष्टिक बनाने में मदद करती है।

Advertisement
Advertisement

हमारा प्रतिदिन का भोजन कितना ही मंहगा क्यों न हो भोजन का संतुलित होना अधिक महत्वपूर्ण है। यह आवश्यक नही कि गोभी, टमाटर या अन्य कोई सब्जी खूब महंगी है तो हम उसी का ही सेवन करें। हरी पत्तेदार सब्जियों के प्रयोग के साथ-साथ अन्य सब्जियों जैसे जडवाली, सलादवाली सब्जियों का प्रयोग करना ही स्वास्थ्यवर्धक व लाभप्रद है।

हरी पत्तेदार सब्जियों में महत्वपूर्ण विटामिन एवं खनिज लवण:-

क्रमांकहरी पत्तेदार सब्जियॉविटामिन (प्रति 100 ग्राम खाने लायक हिस्सा)खनिज (प्रति 100 ग्राम खाने लायक हिस्सा)
विटामिन ए (बीटा कैरोटिन) कि.ग्रा.विटामिन सी कि.ग्रा.आयरन (मि.ग्रा.)कैल्सियम (मि.ग्रा.)
1-पालक5580281-1473
2-मैथी2340521-93395
3-हरी चौलाई
5520993-49397
4-सहजन की पत्तियॉ
67802200-85440
5-पत्ता गोभी
1201240-8039
6-सलाद990102-4050
7-पुदीना16202715-6200
8-सरसों का साग
26223316-3155
9-मूली के पत्ते5295810-09265

जलवायु:- इनकी खेती जहॉ तापमान बहुत अधिक नही पाया जाता है वहॉ पालक को पूरे वर्ष उगाया जा सकता है लेकिन सर्दियों में यह सबसे अच्छा पनपता है। मैथी ठण्डे मौसम की फसल है और कुछ सीमा तक पाला भी सहन कर सकती है।
भूमिः- इनकी खेती सभी प्रकार की भूमि में आसानी से की जा सकती है किन्तु बलुई दोमट मिट्टी व अच्छी खाद युक्त भूमि एवं काली व चिकनी मिट्टी की अपेक्षाकृत अच्छी रहती है।

Advertisement8
Advertisement

उन्नत किस्में:-

  • पालक – आलग्रीन, पूसा ज्योति, पूसा हरित, जोबनेरग्रीन, एच. एस. 23 ।
  • मैथी:- पूसा अर्ली बंचिग, आर. एम.टी. -1 ,पूसा कसूरी।
  • चौलाई:- छोटी चौलाई, बडी चौलाई, कोयम्बटूर -1
  • खाद व उर्वरक:- बुवाई से पूर्व 100 क्वि. अच्छी व सडी हुई गोबर की खाद, 25 किलो ग्राम नत्रजन, 100 कि. ग्रा. फास्फोरस तथा 40 कि. ग्रा. पोटाष/हे. की दर से भूमि में मिलाकर बुवाई करें। प्रत्येक कटाई के बाद 25 कि. ग्रा. नत्रजन/हे. छिटक कर देवे। इससे अधिक उपज प्राप्त होती है।

बुआई:-

फसलकतार से कतार की दूरीबीज से बीज की दूरी
पालक20 सेमी.3-4 सेमी.
मैथी20-25 सेमी.3-4 सेमी.
चौलाई (छोटी)20-25 सेमी.4-5 सेमी.
चौलाई (बडी)30-35 सेमी.4-5 सेमी.

बुआई की विधि:- बीज बुवाई के लिए सर्वप्रथम क्यारियों में खाद डालकर अच्छी तरह से मिला दें और भुरभुरी कर लेवे। यदि नमी न हो तो बुआई के पहले क्यारियों में पलेवा या सिंचाई कर पर्याप्त नमी बना ले। तत्पष्चात बीजो की बुवाई करें । बीज 10-15 सेमी. की दूरी पर बनी लाइनों में बोये। आवष्यकता से अधिक या अधिक घने हो जाने पर कुछ पौधों को निकाल देवे । पत्तियों की कटाई करते समय यह ध्यान रखे कि कटाई जमीन की सतह से 3-5 सेमी. ऊपर से ही करे।

Advertisement8
Advertisement

हरी पत्तेदार सब्जियों की बीज दरए बुवाई का उपयुक्त समय एवं कटाईरू.

क्रमांकसब्जियॉबीज दर /हे.
(कि.ग्रा.)
बुवाई का समयपत्तियों की कटाई (सप्ताह)कटाई अंतराल (दिन)कुल कटाई संख्या
1-पालक25-30  सितम्बर से अक्टूबर4-515-205-6
2-विलायती पालक15-20सितम्बर से अक्टूबर4-515-205-6
3-मैथी (देषी)20-25सितम्बर से मध्य नवम्बर3-410-154-5
4-मैथी (कसूरी)10-15सितम्बर से मध्य नवम्बर3-410-154-5
5-चौलाई (छोटी)2-2-5फरवरी-मार्च4-515-184-5
6-चौलाई (बडी)5-7फरवरी-मार्च व जून-जुलाई3-410-155-6

खरपतवार नियंत्रण:- क्यारियों से खरपतवार निकालकर क्यारी सदैव साफ सुथरी रखनी चाहिए ताकि पौधों के बढ़ने में कोई असुविधा न हो । यदि आवष्यकता पडे तो समय-समय पर हल्की निंदाई गुडाई भी करते रहे। इनसे पत्तियों की पैदावार गुणवत्ता युक्त और अधिक प्राप्त होती है। तथा कीडों का प्रकोप भी कम होता है।
ंिसंचाई:- सब्जियों की किस्म, मिट्टी की दषा व मौसम को ध्यान में रखकर समय-समय पर सिंचाई करते रहना चाहिए । रोपण किये गये पौधों की अपेक्षा पुराने पौधों को अपेक्षाकृत कम सिंचाई की आवष्यकता पडती है। वर्षा ऋतु के अधिक पानी को बाहर निकालने की भी पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। बीज की बुवाई सदैव नमीयुक्त स्थिति में करनी चाहिए। सूखे खेत में बीज की बुवाई करने या बीज की बुवाई के तुरंत बाद सिंचाई करने पर मिट्टी बैठ जाती है। और अंकुरण अच्छा नही होता हैं।

प्रमुख कीट:-

  1. मोयला व पत्ती छेदक कीट:- मोयला पत्तियों से रस चूसकर हानि पहुॅचाता है जबकि पत्ती छेदक कीट पत्तियों में छेद कर नुकसान पहॅचाता है।
    रोकथामः- मेलाथियान 5 प्रतिषत चूर्ण 20 से 25 कि. ग्रा./हे. की दर से भुरकाव करें। भुरकाव से कटाई के बीच कम से 3-4 दिन का अंतराल रखें।

प्रमुख रोगः-

  1. आर्द्र गलन – पौधों के उगते ही रोग लग जाता है। जिससे पौधे मरने लगते है। ओर खेत खाली होने लगता है। यह रोग भूमि एवं बीजों के माध्यम से फैलता है।
    रोकथामः- बुवाई से पूर्व बीजों को 3 ग्रा. थायरम/कि. बीज की दर से बीज उपचार कर बुवाई करें।
  2. पत्ती धब्बा:- इस रोग के प्रकोप से पत्तियों पर भूरे रंग के धब्बे पड जाते है जिससे यह सब्जियॉ बाजार में बेचने योग्य नही रह जाती है।
    रोकथाम – जिनेब 2 ग्राम या मेन्कोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर 15 दिन के अंतराल पर छिडकाव करे।
  3. पाउडरी मिल्ड्यू (छाछया) इस रोग में पत्तियों पर सफेद चूर्णी धब्बे दिखाई देते है।
    रोकथाम :- घुलनषील गंधक 2 ग्रा. या डायनोकेप 48 ई.सी. एक एम. एल. प्रति ली. पानी में मिलाकर छिड़काव करे। यह आवष्यकतानुसार 10 दिन के अंतर से दोहराऐं ।
    कटाई:- बआई के 25-30 दिन बाद प्रथम कटाई करें, बाद में 15-20 दिन के अंतर पर कटाई करते रहे।

उपजः

क्रमांकनाम फसलउपज क्विंटल/हे.कटाई की संख्या
1-पालक100-1504-8
2-मैथी80-1003-5
3-चौलाई70-1006-7

दैनिक भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियो का समावेष अवष्य करेः- पालक, चौलाई, मैथी, सहजन की पत्ती, मूली पत्ते, सरसों के कोमल पत्ते, बथुआ आदि का सामान्यतः समस्त देष में उपभोग किया जाता है। इन पत्तेदार सब्जियों के लाभो को ध्यान में रखते हुए अपने दैनिक भोजन में इनको शामिल किया जाना चाहिए। जिन परंपरागत व्यंजनों में पत्तेदार हरी सब्जियों का इस्तेमाल किया जाता है। इनके निम्नलिखित व्यंजनों में भी पत्तेदार हरी सब्जियों का इस्तेंमाल किया जा सकता हैं जैसे –

  1. पत्तेदार सब्जियॉ (मैथी, पालक, चौलाई आदि) मिलाकर दाल तैयार करना ।
  2. चने का आटा मिलाकर पत्तेदार सब्जियॉ तैयार करना ।
  3. पत्तेदार सब्जियॉ सहित मिश्रित सब्जियॉ तैयार करना ।
  4. गाजर, मूली, शलजम आदि के पत्तों और अन्य पत्तेदार सब्जियांें से भुजिया तैयार करना।
  5. हरी सब्जियॉ (पालक, बथुआ, आदि) से रायता तैयार करना ।
  6. पत्तेदार सब्जियों में नारियल अथवा मूंगफली मिलाकर चटनियां बनाना ।
  7. खिचडी, उपमा आदि जैसे पकवानों में पत्तेदार सब्जियॉ मिलावे।
  8. पत्तेदार सब्जियों में थोडा पानी डालकर थोडी देर के लिए उबाले और उन्हे मिलाकर पूरियों के लिए आटा गूॅथे ।
  9. पराटा, चपाती एवं मिस्सी रोटी आदि तैयार करने के लिए अनाज के आटे में पत्तेदार सब्जियॉ काट कर मिलायें ।

हरी पत्तेदार सब्जियों को बेहतर ढंग से पकाने की विधिः- हरी पत्तेदार सब्जियों को पकाते समय सब्जियों के पौष्टिक तत्व काफी मात्रा में नष्ट हो जाते है अतः ध्यान रखें कि-

  • जिस पानी में पत्तेदार सब्जियॉ पकायी गई हो उस पानी को न फेंके, इसे दाल, सूप में इस्तेमाल करे यदि बच गया हो तो इससे आटा गूॅथे ।
  • जब इनका प्रयोग सलाद के रूप में करना हो तो काटने से पूर्व अच्छी तरह से धो लें।
  • पकाने के लिए कम से कम मात्रा में पानी का प्रयोग करे।
  • पत्तेदार सब्जियों को थोडी देर ही पकावे ।
  • इन्हे ढके हुए बर्तन में पकाए ।
  • पत्तेदार सब्जियों को ज्यादा न तलें ।

हरी पत्तेदार सब्जियों को सुखाकर पूरे वर्ष इस्तेमाल करेः- पत्तेदार सब्जियॉ जब कम मूल्य पर बहुतायत में उपलब्ध हो तो इन्हे थोक में खरीदा जा सकता है। इन्हे साफ कर 2 प्रतिषत नमक के घोल में डुबोकर धूप में सुखाने के लिए एक साफ चादर पर फैला देना चाहिए। जब यह पूरी तरह सूख जावे तो इन्हे हाथो से रगडकर मोटा-मोटा चूरा बना ले। और इन्हे एअर टाइट डिब्बें में रख लें। जब ताजा पत्तेदार सब्जी उपलब्ध न हो तब इनका इस्तेमाल करे।

(नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़,  टेलीग्रामव्हाट्सएप्प)

(कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें)

कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

Advertisement8
Advertisement

www.krishakjagat.org/kj_epaper/

कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें:

www.en.krishakjagat.org

Advertisements
Advertisement5
Advertisement