उद्यानिकी (Horticulture)

किसानों को समृद्ध करने सरकारी कवायद

भोपाल (विशेष प्रतिनिधि)। प्रदेश के किसानों को समृद्ध बनाने तथा उनकी आय दोगुनी करने के प्रयास में शिवराज सरकार नित नये प्रयास तथा अनेक योजनाएं लागू कर रही है। चुनावी वर्ष में किसानों को साधने का यह प्रयास कितना कारगर होगा यह समय के गर्भ में है। परन्तु वर्तमान में किसानों को मुख्यमंत्री किसान समृद्धि योजना, समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीदी, उस पर बोनस, तेन्दूपत्ता की तुड़ाई दर में वृद्धि तथा फसलों के नुकासन पर राहत राशि में बेतहाशा बढ़ोत्तरी की गई है।

मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना

26 मई तक गेहूं बेचने वाले किसानों को मिलेगी प्रोत्साहन राशि

प्रदेश में प्रमुख कृषि फसलें गेहूं, चना, मसूर, सरसों एवं धान की उत्पादकता बढ़ाने और फेयर एवरेज क्वालिटी (एफ.ए.क्यू) गुणवत्ता उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिये मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना शुरू की गई है। योजना में खरीफ 2016 में धान और रबी 2016-17 में गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर प्राथमिक साख सहकारी समितियों के माध्यम से खरीदी गई मात्रा पर 200 रूपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि किसान के बैंक खाते में जमा करवायी जाएगी। इसके साथ ही रबी 2017-18 में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूूं खरीदी कराने वाले किसानों के खाते में 265 रूपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि जमा करवायी जायेगी। यह राशि इस वर्ष 15 मार्च से 26 मई तक गेहूं बेचने वाले किसानों के खाते में जमा करवायी जाएगी। इसके अलावा रबी सीजन में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चना, मसूर एवं सरसों उपार्जित कराने वाले किसानों को 100 रूपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि किसानों के खाते में जमा करवायी जायेगी।
योजना के क्रियान्वयन के लिये जिले में कलेक्टर की अध्यक्षता में समिति गठित किये जाने के निर्देश दिये गए हैं। प्रमुख सचिव किसान-कल्याण तथा कृषि विकास डॉ. राजेश राजौरा ने जिला कलेक्टर्स को पत्र लिख कर योजना के क्रियान्वयन संबंधी निर्देश दिये हैं। क्रियान्वयन समिति में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत, अतिरिक्त कलेक्टर राजस्व, उप पंजीयक सहकारी संस्थाएँ, जिला खाद्य अधिकारी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला केन्द्रीय सहकारी बैंक, जिला प्रबंधक नागरिक आपूर्ति निगम और जिला प्रबंधक मार्कफेड को सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। समिति में सदस्य सचिव उप-संचालक किसान-कल्याण तथा कृषि विकास को बनाया गया है।
एमएसपी से कम या ज्यादा फिर भी मिलेगा लाभ
किसान-कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने स्पष्ट किया है कि कृषि उत्पाद मण्डी में न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे बेचा गया हो अथवा न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊपर बेचा गया हो, दोनों ही स्थिति में मुख्यमंत्री कृषक समृद्धि योजना का लाभ पंजीकृत किसानों को दिया जायेगा। रबी 2016-17 में गेहूं तथा खरीफ 2017 में धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य ई-उपार्जित कराये गये समस्त किसानवार डाटाबेस का सत्यापन एवं प्रमाणीकरण के बाद जानकारी संचालक किसान-कल्याण को उपलब्ध करवायी जायेगी। सत्यापित डाटाबेस के आधार पर 200 रूपये प्रति क्विंटल प्रोत्साहन राशि जिलों को उपलब्ध करवायी जायेगी। कलेक्टर की अध्यक्षता वाली समिति किसानों के डाटाबेस का परीक्षण कर पुष्टि करेगी। इसके बाद किसानों के बैंक खाते में प्रोत्साहन राशि जमा करवायी जायेगी।
एमएसपी पर चना खरीदी का लक्ष्य तय नहीं
केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने मध्य प्रदेश में रबी 2017-18 सीजन के लिए मसूर और सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद के लक्ष्य तय कर दिए हैं जबकि चने की खरीद का लक्ष्य अब तक तय नहीं हो सका है। उसके लिए अभी और इंतजार करना होगा। यह खरीद आगामी 10 अप्रैल से होगी।

                             गेहूं खरीदी
गेहूं खरीदी के लिए प्रदेश में 2,978 केन्द्रों का गठन किया गया है। कुल 15 लाख 35 हजार 962 कृषकों का पंजीयन किया गया है। खरीदी के संबंध में अभी तक 3 लाख 9 हजार 943 कृषकों को एसएमएस से सूचना दी गई है। इनमें से 1 लाख 36 हजार 575 कृषकों से 6 लाख 52 हजार 60 मीट्रिक टन गेहूं की खरीदी हो गई है। अभी तक 801 करोड़ 12 लाख रुपये का भुगतान हो चुका है।

प्रदेश सरकार ने मसूर की खरीद के लिए 3.30 लाख टन का प्रस्ताव रखा था लेकिन केंद्र ने केवल 1.36 लाख टन की ही मंजूरी प्रदान की है। इसी प्रकार सरसों के लिए 4.80 लाख टन के प्रस्ताव पर 3.90 लाख टन खरीदारी की इजाजत दी गई है। दोनों फसलों के प्रस्ताव और तय लक्ष्य में क्रमश: करीब 2 लाख और एक लाख टन की कमी की गई है। प्रदेश सरकार ने चने की खरीद के लिए 21 लाख टन का प्रस्ताव केंद्र सरकार के समक्ष रखा है, जिस पर निर्णय आना अभी बाकी है। 10 अप्रैल से शुरू होने वाली यह खरीद 60 दिन तक चलेगी और इसे कृषि उपज मंडियों के अलावा अन्य खरीदी केंद्रों पर भी खरीदी की जाएगी।

फसलों के नुकसान पर अब अधिकतम 1.20 लाख मिलेंगे
राज्य शासन द्वारा फरवरी 2018 में हुई ओलावृष्टि से फसलों के नुकसान तथा भविष्य में होने वाली इसी प्रकार की फसलों के नुकसान पर दिये जाने वाली राहत राशि में वृद्धि की गई है। इस संबंध में राजस्व पुस्तक परिपत्र खण्ड-6 क्रमांक 4 में संशोधन कर दिया गया है।
जानकारी के मुताबिक कम मूल्य की फसल की क्षति होऩे पर अनुदान सहायता उस मूल्य के बराबर देय होगी। एक कृषक को सभी फसलों के मामलों में देय राशि 5 हजार रूपये से कम नहीं होगी। पहले यह राशि 2 हजार रूपये थी। इसी तरह, फसल हानि के लिये अथवा फलदार पेड़, उन पर लगे संतरा, नीबू, पपीता, केला, अंगूर, अनार आदि की फसलों और पान बरेजा आदि की हानि होने पर किसी भी खातेदार को आर्थिक अनुदान सहायता अधिकतम एक लाख 20 हजार रूपये तक दी जा सकेगी। पहले अनुदान सहायता की अधिकतम सीमा 60 हजार रूपये थी।

तेंदूपत्ता की तुड़ाई दर 2000 रु. हुई
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने इस वर्ष से तेन्दूपत्ता श्रमिकों के लिए तुड़ाई दर 1200 रु. से बढ़ाकर 2000 रुपए कर दी है। इससे लगभग 23 लाख संग्राहकों को 150 करोड़ रुपए की अतिरिक्त आमदनी होगी।

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