खरीफ की प्रमुख 12 फसलों के लिए बीज उपचार विधि; धान, बाजरा, मक्की, ग्वार, मूंग, उड़द, लोबिया, अरहर, सोयाबीन, मूंगफली, तिल एवं अरण्ड
27 मई 2024, खरगोन: खरीफ की प्रमुख 12 फसलों के लिए बीज उपचार विधि; धान, बाजरा, मक्की, ग्वार, मूंग, उड़द, लोबिया, अरहर, सोयाबीन, मूंगफली, तिल एवं अरण्ड – खरीफ के मौसम में बोई जाने वाली फसलों में धान, बाजरा, मक्की, ग्वार, मूंग, उड़द, लोबिया, अरहर, सोयाबीन, मूंगफली, तिल एवं अरण्ड सम्मिलित हैं। फसलों में अधिक पैदावार लेने के लिए उन्न्त किस्म के बीजों के साथ-साथ बीज का स्वस्थ होना भी अत्यंत आवश्यक है। इनमें से कुछ फसलों में कुछ ऐसी बीमारियां आती हैं जो रोगग्रस्त बीजों द्वारा फसलों में फैलती हैं और काफी नुकसान पहुंचाती हैं। इसके इलावा फसल की गुणवत्ता पर भी इन बीमारियों का विपरीत असर पड़ता है। अतः अच्छी पैदावार हेतु अच्छी किस्मों के साथ-साथ रोग-रहित बीज का प्रयोग अति आवश्यक है। बीज का उपचार करने में बिल्कुल ही कम लागत आती है।
1. धान- सबसे पहले स्वस्थ बीज का चुनाव करें। इसके लिए 10 लीटर पानी में एक किलोग्राम साधारण नमक घोलकर अच्छी तरह हिला कर मिलाएं। उसके बाद 2-3 किलोग्राम बीज बारी-बारी से इस नमक वाले पानी में डालें और हिलायें। ऊपर तैरते अस्वस्थ बीज व हल्के बीज को अलग करके नष्ट कर दें। इसी तरह सारा बीज नमक के घोल में से निकालें। उसके बाद नीचे बैठे भारी बीज को चलते या बहते पानी से 2-3 बार धोएं ताकि बीजों पर नमक का असर ना रह पाए क्योंकि बीजों पर नमक रहने से अंकुरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। उसके बाद 10 लीटर पानी में 10 ग्राम ऐमिसान या 10 ग्राम कार्बेन्डाजिम, बाविस्टीनद्ध व 2.5 ग्राम पौसामाईसिन या 1 ग्राम स्ट्रैप्टोसाईक्लिन घोल लें और इस घोल में 10-12 किलो बीज 24 घंटे तक भिगोकर बीज को उपचारित करें। बीज को छाया में सुखाकर बीजाई करें।
2. बाजरा- 10 प्रतिशत नमक के घोल में बीज को डालकर 10 मिनट तक चलाएं और ऊपर तैरते हुए अरगट पिंडों को निकाल दें और बाद में जलाकर नष्ट कर दें। घोल में नीचे बैठे भारी स्वस्थ बीज को बाहर निकाल लें और साफ पानी से अच्छी तरह धो लें जिससे कि बीज की सतह पर नमक का कोई अंश न रहने पाये। यदि नमक का कोई अंश बीज की सतह पर किसी कारणवश रह जाता है तो उससे बीज के अंकुरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अंत में घुले हुए सारे बीज को छाया मे सुखा लें। ऐसे बीज को बोने से पहले 2 ग्राम एमीसान तथा 4 ग्राम थाईरम प्रति किलोग्राम बीज से सुखा उपचार करें। बीज की सिफारिश की गई मात्रा (1.5-2.00 किलोग्राम प्रति एकड़) प्रयोग करें।
3. मक्की- देसी मक्की के लिए 6 कि.ग्रा. व साठी मक्की के लिए 8 कि.ग्रा. बीज प्रति एकड़ प्रयोग करें। भूमि एवं बीज से लगने वाली बीमारियों से बचाव के लिए 4 ग्राम थाईरम प्रति किलो बीज से सूखा उपचारित करें।
4. तिल- दो किलोग्राम बीज प्रति एकड़ को 6 ग्राम थाईरम मिला कर सूखा उपचार करें।
5. मूंगफली- इस फसल में दीमक व सफेद लट की समस्या की रोकथाम के लिए 15 मि.ली. क्लोरपायरिफास 20 ई0सी0 या क्विनलफास 25 ई0सी0 से प्रति किलोग्राम बीज का उपचार करें। उसके बाद 3 ग्राम थाईरम या एमिसान या कैप्टान से प्रति किलोग्राम बीज का सूखा उपचार करें। विभिन्न किस्मों के अनुसार 32-60 किलोग्राम बीज का प्रति एकड़ प्रयोग करें।
6. मूंग, उड़द, अरहर, लोबिया तथा सोयाबीन – इन फसलों के लिए राईजोबियम कल्चर के अलग अलग टीके तैयार किये गए हैं। ये टीके चौ0 च0 सिंह हरियाणा विश्व विद्यालय, हिसार के किसान सेवा केन्द्र व सूक्ष्म जीव विज्ञान विभाग से प्राप्त किये जा सकते हैं। टीके का एक पैकेट एक एकड़ के बीज के लिए पर्याप्त है। एक खाली बाल्टी में 2 कप 200 मि.ली. पानी में 50 ग्राम गुड़ घोलिये। एक एकड़ के इस बीज पर गुड़ का घोल डालें और ऊपर से राईजोबियम का टीका छिड़कें। बीजों को हाथ से अच्छी तरह मिला लें तथा बिजाई से पहले बीज को छाया में सुखा लें। अब ये टीके तरल अवस्था में भी उपलब्ध हैं। उनको भी बीज पर छिड़क कर हाथ से अच्छी तरह मिलाकर बिजाई करें। जड़ गलन की रोकथाम के लिए 4 ग्राम थाईरम द्वारा प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार करें।
7. ग्वार- बीज उपचार हेतू 6 लीटर पानी में 6 ग्राम स्ट्रैप्टोसाइक्लिन घोल लें और इस घोल में 5-6 किलोग्राम ग्वार बीज आधा घण्टा तक भिगोयें तथा बीज को इस घोल से निकाल कर छाया में सुखा लें। इसके बाद बीज को राइजोटीका व फास्फोटीका कल्चर से एक एकड़ बीज के लिए प्रति पैकेट के हिसाब से कल्चर के साथ दी गई विधि अनुसार उपचारित करके छाया में सुखाकर बिजाई करें।
8. अरण्ड- बीज जनित रोगों से बचाव के लिए थिरम या केप्टान 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज या बाविस्टीन 2 ग्राम प्रति किलो ग्राम बीज की दर से उपचार करना लाभदायक है।