वैज्ञानिक तरीके से केले की खेती करने का ‘ संतोष ’
27 सितम्बर 2021, इंदौर । वैज्ञानिक तरीके से केले की खेती करने का ‘ संतोष ’ – यदि किसान वैज्ञानिक तरीके से केले की खेती करें तो निश्चित रूप से आर्थिक सम्पन्नता पाई जा सकती है। यह कहना है धार जिले की मनावर तहसील के ग्राम सात तलाई के उन्नत केला उत्पादक किसान श्री संतोष लछेटा का। इन्होंने वर्ष 2015 में पहले साल में ही 24 लाख का केला ईरान भेजा था। श्री लछेटा को अमित सिंह मेमोरियल फाउंडेशन, नई दिल्ली और राष्ट्रीय केला अनुसन्धान केंद्र तिरुचिरापल्ली द्वारा सम्मानित किया जा चुका है।
श्री संतोष लछेटा ने कृषक जगत को बताया कि 2015 से पहले परम्परागत कपास, सोयाबीन, गेहूं के अलावा सफ़ेद मूसली और हल्दी की खेती करते थे। लेकिन इसके बाद जब जैन इरिगेशन के जलगाँव स्थित फार्म हाऊस पर ड्रिप से केला, अनार, निम्बू, मोसम्बी आदि फसलों को दो दिवसीय भ्रमण के दौरान देखा तो केले की फसल लेने की इच्छा हुई। श्री लछेटा ने बताया कि केला लगाने से पहले मिट्टी की गहरी जुताई की गई, मिट्टी का परीक्षण कराया गया और जैन इरिगेशन द्वारा निर्देशित डबल ड्रिप लगाई और फिर डॉ. केबी पाटिल के मार्गदर्शन में 20 अप्रैल 2015 को 5 एकड़ में केले के 8 हजार पौधे लगाए, जिसका प्रबंधन वैज्ञानिक तरीके से किया गया। बीआई,ऑपरेशन फ्रूट केयर, बंच कवर आदि का कार्य अंतर्राष्ट्रीय निर्यात मापदंडों के अनुसार किया गया। जब केला पककर तैयार हुआ तो ईरान से खरीदार मेरे खेत पर आए और केला फसल को देखकर उसे स्वीकृत किया और पहले साल में ही 24 लाख का गुणवत्तायुक्त केला ईरान भेजा गया।
श्री लछेटा ने बताया कि इस वर्ष गत 3 अप्रैल को पांच एकड़ में केले की हार्वेस्टिंग की गई, जिसमें प्रति पौधे के फल का वजन 28 किलो रहा। केले का भाव 1350-1450 रुपए/क्विंटल मिला और 22 लाख की फसल बेची।
श्री संतोष लछेटा को वर्ष 2019 में स्व. अमित सिंह मेमोरियल फाउंडेशन, नई दिल्ली द्वारा ‘अमित उद्यान रत्न अवॉर्ड’ तथा भाकृअप -राष्ट्रीय केला अनुसंधान केंद्र, तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु द्वारा ‘श्रेष्ठ केला उत्पादक अवॉर्ड 2021’ से सम्मानित किया जा चुका है। वैज्ञानिक तरीके से केले की खेती कर श्री लछेटा फसल से धन और सम्मान के साथ मन का ‘संतोष’ भी अनुभव कर रहे हैं। मो.: 9977183749