किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

संतरा साथ लाया समृद्धि के द्वार

(जगदीश फरक्या)

मंदसौर। म.प्र. के मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ कृषि सलाहकार परिषद की प्रथम बैठक में म.प्र. को देश की हार्टीकल्चर राजधानी बनाने की बात कहते किंतु दूसरी और पहले से ही म.प्र. में हार्टीकल्चर फसलों में क्रांति लायें किसानों की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। म.प्र. में हार्टीकल्चर फसलों में अंगूर, स्ट्राबेरी, हाइड्रोपोनिक तकनीक मिर्च, पपीता, केला, अमरूद आदि का उत्पादन कर कृषक रिकॉर्ड बना रहे हैं। ऐसे में हार्टीकल्चर राजधानी बनाने से पूर्व जो कृषक हार्टीकल्चर से जुड़े हुए हैं उन्हें ही प्रोत्साहन मिले तो वास्तव में म.प्र. हार्टीकल्चर राजधानी के रूप में उभरेगा। खैर…. राजधानी बनेगी तब समझेंगे अभी हम आपको ले चलते हैं हार्टीकल्चर में अग्रणी मंदसौर जिले में यहां काला सोना, अफीम, सफेद सोना लहसुन, लाल सोना प्याज के साथ-साथ जिले में नारंगी सोने के रूप में संतरा भी कृषकों की प्रगति का द्वार खोलता नजर आ रहा है।

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मल्हारगढ़ बना रहा अपनी पहचान

वैसे तो जिले के गरोठ विकासखंड में कई संतरे के बगीचे देखे जा सकते हैं। अब मल्हारगढ़ विकासखंड भी संतरा उत्पादन में अपनी पहचान बना रहा है। जिले की आखिरी सीमा राजस्थान से लगा मल्हारगढ़ तहसील का ग्राम उमरिया भी संतरा उत्पादन में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। ग्राम में श्री बाबूलाल पाटीदार कुल भूमि 17 बीघा में से 7 बीघा पर श्री पाटीदार ने 7 वर्ष पूर्व नागपुर (महाराष्ट्र) से 685 पौधे लाए थे। 3 फीट की ऊँचाई वाले पौधे 35 रू. प्रति नग क्रय कर रोपे थे। चार वर्ष बाद संतरे के बगीचे ने फल देना प्रारंभ किया जिससे 40 क्विंटल उत्पादन हुआ एवं 35 रू. प्रति किलो के हिसाब से चित्तौडग़ढ़ मंडी में विक्रय किया।

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बंपर उत्पादन की उम्मीद

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5वें वर्ष 250 क्विंटल उत्पादन हुआ इसके विक्रय से बगीचे की लागत निकल गई। इस वर्ष अनुमानित 600 क्विंटल बंपर उत्पादन होगा और उम्मीद है लाखों में विक्रय होगा। श्री पाटीदार के 26 वर्षीय पुत्र श्री सुरेश भी बगीचा के रखरखाव में अपने पिताजी के साथ हम कदम है श्री बाबूलाल पाटीदार बताते हैं कि इस वर्ष बगीचे में डेढ़ लाख रु. रखरखाव देशी खाद, कीटनाशक, फफूंदनाशक, मजदूरी पर व्यय कर चुके हैं। अच्छी देखरेख में बगीचा 20 वर्षों तक फल देगा। बगीचे में साल भर सिंचाई करनी पड़ती है। फूल आने के समय 45 दिन पूर्व सिंचाई बंद की जाती है।

बगीचे में आई संतरे की बहार पर श्री बाबूलाल पाटीदार का 5 वर्षीय पोता संतरा देखकर उत्साहित होता है। भविष्य में संतरे की आय से खेत में कुँआ एवं मकान निर्माण एवं तार फेंसिग पर व्यय करेंगे। श्री पाटीदार ने अपनी शेष 10 बीघा भूमि पर लहसुन एवं अमरूद के 700 पौधे इलाहाबादी सफेदा प्रजाति के लगाये हैं। अमरूद में अगले वर्ष उत्पादन संभव है। संतरा बगीचा में 60 हजार की ड्रिप भी 50 प्रतिशत अनुदान पर लगाई है।

मजदूरों की समस्या

क्षेत्र में प्रगतिशील कृषकों की श्रेणी में आने वाले श्री बाबूलाल पिता श्री परसराम पाटीदार बताते हैं कि मजदूरों की समस्या के कारण उनका रूझान बगीचे की तरफ आया तभी से वह इस और पूरा ध्यान देते हैं। संतरे की अन्य जानकारी श्री बाबूलाल पाटीदार के मो.: 7869088996 पर सम्पर्क कर सकते हैं।

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