किसानों की सफलता की कहानी (Farmer Success Story)

गन्ना फसल से मिली पहचान, अब गुड़ निर्माण बढ़ा रहा शान

  • दिलीप दसौंधी, मंडलेश्वर

24 अप्रैल 2022, गन्ना फसल से मिली पहचान, अब गुड़ निर्माण बढ़ा रहा शान – खरगोन जिले की कसरावद तहसील के ग्राम बलगांव के उन्नत कृषक श्री मनोज पटेल उद्यानिकी फसलों में रूचि रखते हैं। खासतौर से गन्ना और केले की फसल लेते हैं। करीब 85 बीघा जमीन है। सिंचाई के लिए नर्मदा के अलावा स्वयं का कुंआ है। 30 एकड़ में केला लगाया है, जबकि 5 एकड़ में गन्ना लगाया है। केले और गन्ने की फसल ने जहाँ पहचान दिलाई है, वहीं अब गुड़ निर्माण इनकी शान बढ़ा रहा है।

श्री पटेल ने कृषक जगत को बताया कि केले की फसल ने जहाँ पिताजी को पहचान दिलाई, वहीं विगत तीन सालों से वे गन्ने से गुड़ बनाकर बेच रहे हैं। गुड़ के लिए गन्ने की किस्म 419 और 86032 किस्म का बीज स्वयं ने लगाया। गन्ने की फसल पूर्णत: जैविक है। इसमें किसी उर्वरक या कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया गया है। गत वर्ष प्रथम गन्ने का उत्पादन 250 क्विंटल/बीघा और द्वितीय गन्ने का 220 क्विंटल/बीघा का उत्पादन मिला। उत्पादित गन्ने को घटवां और सरवरदेवला के शक्कर कारखाने भेजा जाता है, जहाँ 300 रुपए क्विंटल का भाव मिल जाता है।

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गुड़ बनाने की प्रक्रिया बताते हुए श्री पटेल ने कहा कि पहले गन्ने को मशीन में डालकर इसका रस टैंक में एकत्रित किया जाता है। इसके बाद रस का मैल साफ करने के लिए जंगली भिंडी का रस डाला जाता है। फिर 4 कड़ाहियों में चरणबद्ध तरीके से साफ करते हुए इसे छानकर गुड़ बनने तक उबाला जाता है और फिर इसे कंडे और चौकोर सांचे में डाल कर आकार दिया जाता है। गुड़ के कंडे का वजन करीब सवा किलो और चौकोर का करीब एक किलो होता है। 50 ग्राम के क्यूब में भी गुड़ बनाया जाता है। इलायची, अदरक, सूखे मेवे और केसर के स्वाद में भी गुड़ बनाया जाता है। जिसकी कीमत 80 से लेकर 140 रुपए प्रतिकिलो तक है। सामान्य गुड़ 70 रु किलो बिकता है। इस गुड़ की बिक्री स्थानीय के साथ ही कसरावद,खरगोन, धामनोद और पुणे तक ऑर्डर पर की जाती है। पहले साल में 100 क्विंटल गुड़ बना, फिर 150 क्विंटल हुआ। इस साल 200 क्विंटल तक गुड़ बनेगा।  सम्पर्क – 8319242134

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