Editorial (संपादकीय)

कृषि में ड्रोन का उपयोग

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कृषि में ड्रोन का उपयोग

कृषि में ड्रोन का उपयोग – जैसा कि देखा जा रहा है, वर्तमान परिस्तिथियां भारतीय कृषि के अनुकूल नहीं है, पहले कोरोना महामारी और अब टिड्डी दल का प्रकोप देखा जा सकता है। कोरोना महामारी के दौर में भीड़-भाड़ तथा दूर-दराज के क्षेत्रों में काम करना एक मुश्किल कार्य है। इन परिस्तिथियों को देखते हुए कृषि में भी उन्नत बदलाव लाने की आवश्यकता समय की मांग बनती जा रही है। कृषि में लगातार बढ़ती प्रौद्योगिकी का प्रभाव एक सकारात्मक प्रचलन के रूप में देखा जाना चाहिए, क्योंकि यह दिन-प्रतिदिन बढ़ती आबादी के भरण-पोषण का उपयोगी उपाय सिद्ध हो सकता है।

खाद्य सुरक्षा, भारतीय कृषि के लिए बड़ा सवाल है जिसे पर्यावरणीय क्षरण, प्रदूषण और पानी की कमी की पृष्ठभूमि के रूप में लिया जाना चाहिए और इसका प्रभावी समाधान एक उच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। यही सब वह क्षेत्र है जहां ड्रोन का उपयोग एक स्थायी समाधान की गारंटी दे सकता है। कृषि क्षेत्र में ड्रोन तकनीक एक अभूतपूर्व नवाचार है, जिसका कृषि में दूरगामी प्रभाव पडऩे वाला है, जो हमारे वंशानुगत खेती करने के तौर-तरीकों तथा व्यापार करने के तरीके को बदल देगा। उच्च तकनीक वाले ड्रोन किसानों और ड्रोन पायलटों को खेती की प्रक्रिया के कुछ पहलुओं में सुधार एवं कृषि दक्षता बढ़ाने में मदद करते है। फसल की निगरानी से लेकर रोपण, पशुधन प्रबंधन, कीटनाशक एवं उर्वरक छिड़काव, सिंचाई एवं भू-मानचित्रण में ड्रोन तकनीक का उपयोग होता है।

ड्रोन या मानव रहित विमान

मानव रहित विमान (यूएवी) एक फ्लाइंग डिवाइस जो एक ऑटो-पायलट और जीपीएस निर्देशांक की मदद से पूर्व-निर्धारित निर्देशों के साथ उड़ान भर सकता है ।
कभी-कभी शब्द यूएवी का उपयोग ग्राउंड स्टेशन और वीडियो सिस्टम सहित पूर्ण प्रणाली को संदर्भित करने के लिए किया जाता है।

ड्रोन के प्रमुख पार्ट्स

  • ड्रोन मुख्य फ्रेम
  • प्रोपेलर या पंखे
  • मोटर
  • बैटरी
  • सेन्सर्स (जीपीएस)
  • फ्लाइट कंट्रोलर
  • सिग्नल रिसीवर

ड्रोन को चलाने के लिए कुछ ग्राउंड सेटअप जैसे- कम्युनिकेशन बॉक्स, रिमोट कंट्रोलर, लैपटॉप इत्यादि की भी आवश्यकता होती है।

ड्रोन के प्रमुख अनुप्रयोग क्षेत्र

  • रक्षा क्षेत्र
  • कृषि क्षेत्र
  • खोज एवं बचाव
  • मनोरंजन एवं चलचित्र
  • वन्यजीव आंकलन
  • स्वास्थ सुरक्षा
  • आपदा प्रबंधन
  • सुरक्षा एवं कानून अनुपालन

कृषि क्षेत्र में ड्रोन के अनुप्रयोग

कृषि क्षेत्र में दक्षता बढ़ाने के लिए ड्रोन का प्रयोग एक बड़े बदलाव की नीव रख सकता है। ड्रोन तकनीकी कुशल मानव संसाधनों की कमी और अन्य भारी मशीनों और उपकरणों के लिए भी विकल्प सिद्ध हो सकता हैं। कुछ हद तक, यह कृषि प्रबंधन करने का एक सस्ता और किफायती तरीका है। ड्रोंस में नियर इन्फ्रारेड सेंसरों और मल्टी स्पेक्ट्रल कैमरों का उपयोग किया जाता हैं, उच्च गुणवत्ता वाले डेटा एकत्र किया जाता हैं, पोस्ट-प्रोसेसिंग और उच्च प्रसंस्करण में भू-रेफर्ड रिफ्लेक्शन मैप्स, एलिवेशन और वनस्पति सूचकांक का निर्माण करते हैं। जो लोग कृषि में तकनीकी सुधार एवं भागीदारी की तलाश में हैं, उनके लिए यह स्मार्ट खेती का बहुत ही अच्छा अवसर हो सकता है। एकत्रित उच्च गुणवत्ता के डेटा को पौध-स्वास्थ्य निगरानी कीटनाशक छिड़काव, प्लांट काउंटिंग, शेड्यूलिंग, सीडिंग और कटाई के उपयोग किया जा सकता है।

कैंपस में कृषि भूमि सर्वे के लिए तैयार किया गया मिशन प्लान

कुछ महत्वपूर्ण अनुप्रयोग

सिंचाई निगरानी और प्रबंधन: ऐसे ड्रोन जो हाइपरस्पेक्ट्रल, मल्टीस्पेक्ट्रल तथा थर्मल सेंसर से लैस होते है, किसी खेत का कौन सा हिस्सा सूखा है या पानी की जरूरत हैं, की पहचान कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, जब एक बार फसल बड़ी हो जाती है तो ड्रोन वनस्पति सूचकांक की गणना कर सकता है, साथ ही साथ फसल का घनत्व और स्वास्थ्य, उष्मा उत्सर्जन की मात्रा गणना कर सकता है। इस जानकारी के आधार पर, संवेदनशील फसलों के जल निकासी को अधिकतम और पानी के जमाव से बचाया जा सकता है ।

फसल मानचित्रण और सर्वेक्षण: एनआईआर ड्रोन सेंसर के उपयोग से, प्रकाश अवशोषण के आधार पर पौधे के स्वास्थ्य का निर्धारण किया जा सकता हैं, जिससे समग्र भूमि के स्वास्थ्य के बारे में एक दृष्टिकोण मिल जाता है ।

भू और क्षेत्र विश्लेषण: ड्रोन को फसल चक्र की शुरुआत से ही कार्यान्वित किया जा सकता है। ये ड्रोंस शुरुआती भू-विश्लेषण के लिए सटीक 3-डी नक्शे तैयार करते हैं, बीज बोने की योजना बनाने में उपयोगी पैटर्न प्रदान करते है। रोपाई के बाद ड्रोन से प्राप्त भू-विश्लेषण का डाटा सिंचाई एवं नाइट्रोजन-स्तर प्रबंधन के काम आता है। इस तरह की सतत निगरानी जल संसाधनों का बेहतर उपयोग करने में मदद कर सकती है तथा फसल पोषक तत्वों के स्तर का प्रबंधन अधिक प्रभावी ढंग से कर सकती है।

छिड़काव: ड्रोन जमीन को स्कैन करते हैं तथा तरल की सही मात्रा का छिड़काव फसल पर करते है। जमीन से सटीक दूरी और कवरेज के लिए वास्तविक समय में छिड़काव किया जाता है, जो जीपीएस से समकालिक होता है। परिणामस्वरुप दक्षता में वृद्धि के साथ-साथ रसायनों का मिट्टी में घुलना एक अप्रत्यक्ष हानिकारक प्रभाव डालता है। विशेषज्ञों का मानना है कि ड्रोन हवाई छिड़काव की कार्यक्षमता पारंपरिक मशीनरी की तुलना में पांच गुना ज्यादा होती है।

वास्तविक समय में पशुधन की निगरानी: कुछ ड्रोन, थर्मल इमेजिंग कैमरों से लैस होतें हैं जो एकल पायलट को पशुधन प्रबंधन और निगरानी करने में सक्षम बनाते हैं। यह तकनीकी किसानों को पशुधन का अधिक से अधिक आवृत्ति में और कम समय में प्रबंधन एवं देखरेख करने की सुविधा प्रदान करता है। ड्रोन ऑपरेटर आसानी से झुंड में जांच कर सकता है कि कोई पशु घायल या गुमशुदा टी नहीं है, साथ ही ऐसे पशुओं की वास्तविक समय में निगरानी कर सकता है जो बच्चो को जन्म देने वाले हैं।

बीज रोपण: ड्रोन से बीज रोपण, अपेक्षाकृत एक नई तकनीक है और यह व्यापक रूप से उपयोग नहीं किया जाता है, लेकिन कुछ कंपनियां ड्रोन रोपण के साथ प्रयोग कर रही हैं। अनिवार्य रूप से, निर्माता सिस्टम के साथ भिन्न- भिन्न प्रयोग कर रहे हैं, जो बीज को तैयार मिट्टी में सीधे प्रविष्ट कराने की क्षमता रखते हैं।

भारत में उपलब्ध कृषि ड्रोन बनाने वाली कुछ कंपनियां

  • DJI लोकप्रिय उड़ान प्लेटफार्मों, सेंसर पैकेज और हवाई फसल सर्वेक्षण के लिए सॉफ्टवेयर
  • AgEagle सटीक कृषि के लिए डेटा अधिग्रहण ड्रोन
  • American Robotics ड्रोन डेवलपर कृषि स्वचालन में विशेषज्ञता
  • Sensfly हवाई फसल विश्लेषण प्रणाली सहित भू-स्थानिक डेटा के संग्रह और विश्लेषण के लिए ड्रोन
  • AGERpoint&LiDAR सक्षम ड्रोन का उपयोग करके सटीक कृषि डेटा कैप्चर करने के लिये ड्रोन

निष्कर्ष

वर्तमान समय में, खेती में बढ़ते नित नए प्रयोगों को छोटे स्तर पर संचालित करने की आवश्यकता है। आधुनिक समय की मांग के अनुसार, कृषि में ड्रोंस के प्रयोगों को जगह देनी चाहिए। इसलिए समय की मांग यह है की भारत में भी सरकार के द्वारा ड्रोंस एवं डिजिटल तकनिकी के प्रति किसानों, लोगों को जागरूक किया जाए। हां, आर्थिक समस्या, भारतीय किसानों के लिए एक बड़ा मुद्दा है लेकिन यथासंभव सरकारी मदद के प्रावधान से इस समस्या का हाल किया जा सकता है। जागरूकता की पहल किसान मेलों, कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केंद्र से की जा सकती है। कृषि ड्रोन किसान की निगरानी करने की क्षमता में वृद्धि करने में सहायक है तथा दूरस्थ कृषि व्यवसाय के प्रबंधन को भी संभव बनाता है। अंतत: यह कहा जा सकता है की ऐसी तकनीकी जो एक सैन्य कार्यो के लिए विकसित की गयी थी अब ग्रीन-टेक्नोलॉजी के रूप में विभिन्न क्षेत्रों के विकास के लिए तत्पर है।

भारत में ड्रोन उपयोग की कुछ सीमायें

  • भारत में कृषि क्षेत्र में ड्रोन के प्रयोग के कानूनी प्रावधान हैं। नागरिक उड्डयन महानिदेशक ने ड्रोन के लिए अपनी नीति की घोषणा की है। 1 दिसंबर, 2018 से प्रभावी होने वाली नई नीति यह परिभाषित करती है कि ड्रोन को छोटे एवं दूरस्थ पायलट वाले विमान के रूप में वर्गीकृत किया गया, उन्हें कैसे उड़ाया जा सकता है और उन्हें किस प्रतिबंध के तहत संचालित करना होगा इसकी विस्तृत जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध है। ड्रोन संचालकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन्स का पालन करें जब एक 250 ग्राम,से ज्यादा भार का ड्रोन उड़ान भरता है।
  • ड्रोंस को संचलित करने की कुशल एवं तकनीकी व्यक्तियों की आवश्यकता होती है, जो भारत जैसे देश थोड़ा मुश्किल है।
  • उच्च गुणवत्ता के डाटा पाने की लिए कुछ महगे उपकरणों की जरूरत होती है, जिससे ड्रोंस की प्रारंभिक लागत ज्यादा होती है, जो भारत में छोटे किसानों के द्वारा इस तरह की तकनीकी को चुनने में असफल बनाती है।
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