Editorial (संपादकीय)

रबी फसलों का प्रबंधन गंभीरता से करें

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20 नवम्बर 2022, भोपालरबी फसलों का प्रबंधन गंभीरता से करें  – रबी फसलों के प्रबंधन में विकसित तकनीकी का अधिक से अधिक अंगीकरण करके अतिरिक्त उत्पादन प्राप्त करना आज की आवश्यकता है। कहावत है तीन दिन खरीफ के तो तेरह दिन रबी बुआई के लिये मिलते हैं। मतलब यह कि खरीफ का 5 गुना अधिक समय केवल बुआई व्यवस्था के लिये हमारे पास होता है तो अच्छे से अच्छे प्रबंध किया जाना कोई असंभव बात नहीं है। बंडों में भरे अनाज की छंटाई/छनाई करके स्वस्थ्य सुडोल बीज निकाला जा सकता है उस पर फफूंदनाशी का लेप लगाकर बीज को अच्छे अंकुरण के लिये सुनिश्चित किया जाना चाहिए अनुसंधान के आंकड़े बताते हैं कि एक बार किसी भी युक्ति से यदि अंकुरण अच्छा हो जाये  ‘पोई’ बाहर आ जाये तो समझ लो जग जीत लिया। मसूर, मटर, चने की अंकुरण क्षमता तो प्राकृतिक रूप से अच्छी रहती है। कृषक मार खा जाता है तो केवल अलसी में जहां मानव भूल से अच्छा अंकुरण एक चुनौती बन जाती है कारण केवल अलसी की चिकनी परत, साथ में गहरी बुआई इस कारण ध्यान देना होगा कि बोते समय बीज उचित गहराई पर जाये तथा आवश्यकता से अधिक ना गिर जाये. उर्वरक का उपयोग वर्तमान की वर्षा द्वारा भूमि में पर्याप्त नमी के दोहन करने की दिशा में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिये एक सफल कदम होगा बशर्ते उर्वरक बीज के नीचे गिरे ताकि भूमि के क्षेत्र विशेष में जहां बीज तथा उर्वरक है की नमी अलग-अलग उपलब्ध हो कोई संघर्ष की स्थिति पैदा ना हो पाये। भूमि में क्षेत्र विशेष से पोषक तत्वों का बढ़वार में भी इसी प्रकार का संघर्ष हो सकता है यदि सिफारिश से अधिक मात्रा में बीज दर का उपयोग किया गया है यह एक राष्टï्रीय स्तर की हानि मानी जाना चाहिए जो भूखों के लिये उपयोगी हो सकता है। उसे भूमि में बुआई के नाम पर केवल इस धारणा के भ्रम में की अधिक बीज अधिक उत्पादन पर बर्बाद किया जाता है जिस पर रोक जरूरी है। बोनी किस्मों की बुआई में गहराई की भी अहम भूमिका होती है क्योंकि प्रकृति ने उनकी गर्दन ही तुलनात्मक दृष्टिï में छोटी बनाई है। यदि बीज 4 सेमी से अधिक गहरा गया तो पोई भूमि में ही दबकर दम तोड़ देगी। चने की इल्ली की रोकथाम इल्ली आने के बाद न की जाये बल्कि चना बुआई के समय से ही शुरू किया जाये खेत में से सोयाबीन के स्वयं उगे पौधे उखाडक़र खाद के गड्ढï़े में डालें, टी आकार की खूटियां लगायें तथा असिंचित चने में दो-चार किलो सफेद ज्वार फेंक दें ताकि पक्षी आकर्षित होकर आयें और इल्ली चट कर जाये। बौनी गेहूं में पहली सिंचाई बुआई के 21वें दिन अवश्य दें क्योंकि किरीट जड़ से कल्ले  फूटने की स्थिति में नमी की कमी नहीं हो पाये। शीतकालीन वर्षा के होते ही एक छिडक़ाव डाईथेन एम 45 का सुरक्षात्मक रूप में देकर झुलसा तथा गेरूआ रोग से बचने का उपाय करें। रबी मौसम में प्रकृति का भरपूर सहयोग फसलों को मिलता है जिससे उनके पलने-पुसने एवं बढ़वार अच्छी हो सकती है। यदि छोटी-छोटी मानव भूल न की जाये तो रबी के उत्पादन से भंडार भर सकते हंै।

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