Editorial (संपादकीय)

किसानों को दिया डेढ़ गुना एमएसपी का लॉलीपॉप

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11 लाख करोड़ का मिलेगा कृषि ऋण

केंद्रीय वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली ने गत दिनों संसद में आम बजट 2018-19 पेश करते हुए कहा कि देश की आजादी के 75वें साल में वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का प्रयास किया है। बजट में कृषि क्षेत्र के लिए अनेक नई पहलों की घोषणा करते हुए कहा, ‘हम किसानों की आमदनी बढ़ाने पर विशेष जोर दे रहे हैं। हम कृषि को एक उद्यम मानते हैं और किसानों की मदद करना चाहते हैं, ताकि वे कम खर्च करके समान भूमि पर कहीं ज्यादा उपज प्राप्त कर सकें और उसके साथ ही अपनी उपज की बेहतर कीमतें भी ले सकें।’

नई दिल्ली। सरकार ने चुनावी साल के बजट में किसान और गांव को सौगातों की बौछार कर दी है। किसानों को खरीफ फसलों की लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने का ऐलान कर 2022 तक देश के अन्नदाताओं की आय दोगुनी करने का लक्ष्य रखा है। यह लालीपॉप चुनाव में कितना कारगर होगा वक्त बताएगा। हालांकि अब सभी खरीफ फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा से देश के 46 प्रतिशत छोटे व सीमांत किसानों को इसका फायदा मिलेगा। किसानों को कर्ज देने के लिए 11 लाख करोड़ रुपए का फंड रखा गया है। बजट में गांवों में हाट बाजार खोलने के लिए दो हजार करोड़ रुपए का फंड और बाजारों को सड़कों से जोडऩे पर ग्रामीणों का जीवन स्तर सुधरेगा। आलू, प्याज व टमाटर को अधिक समय तक सुरक्षित रखने के लिए मिशन ऑपरेशन ग्रीन के तहत 500 करोड़ रुपए का फंड रखा गया है। पशुपालकों व मछुआरों को भी अब किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ मिलने से उन्हें लोन लेने में दिक्कत नहीं होगी। गांवों को शहर से जोडऩे के लिए 19 हजार करोड़ की लागत से सड़कों का जाल बिछाया जाएगा। बांस को वन क्षेत्र से अलग कर सरकार ने ईज ऑफ लिविंग पर जोर दिया है। कृषि प्रोसेसिंग सेक्टर के लिए 1400 करोड़ रुपए का प्रावधान है। कृषि सिंचाई के लिए इस बार 9429 करोड़ रुपए रखा गया है जो पिछली बार से 2037 करोड़ रुपए अधिक है। आठ करोड़ गरीब महिलाओं को उज्जवला के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन व चार करोड़ गरीबों के घरों में बिजली कनेक्शन दिया जाएगा।
58080 करोड़ का कृषि मंत्रालय का बजट

  • आलू, टमाटर और प्याज के लिए 500 करोड़ का आपेशन ग्रीन्स
  • औषधीय एवं सुगंधित पौधों की खेती के लिए 200 करोड़
  • 22 हजार ग्रामीण हाटों को ग्रामीण कृषि बाजारों के रूप में विकसित किया जाएगा
  • 22 हजार ग्रामों और 585 एपीएमसी में कृषि विपणन (कलस्टर मॉडल) के लिए 2,000 करोड़
  • खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए 1,400 करोड़ रुपये
  • किसान क्रेडिट कार्डों की सुविधा अब मत्स्य पालन एवं पशु पालन करने वाले किसानों को भी
  • दोनों क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 10,000 करोड़
  • बांस उत्पादन प्रोत्साहित करने 1290 करोड़ रुपये का राष्ट्रीय बांस मिशन
  • 42 मेगा फूड पार्क में अत्याधुनिक परीक्षण सेन्टर
  • श्वेत क्रांति के लिए 2020 करोड़
  • प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए 9429 करोड़
  • फसल बीमा के लिए 13 हजार करोड़

श्री जेटली ने यह घोषणा करते हुए कहा कि सरकार ने अब तक अघोषित सभी खरीफ फसलों के लिए उत्पादन लागत से कम से कम डेढ़ गुना एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) तय करने का निर्णय लिया है। यह ऐतिहासिक निर्णय देश के किसानों की आमदनी दोगुनी करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा और केंद्र एवं राज्य सरकारों के साथ सलाह-मशविरा कर नीति आयोग एक अचूक व्यवस्था कायम करेगा, जिससे कि किसानों को उनकी उपज की पर्याप्त कीमत मिल सके।
सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण को वर्ष 2017-18 के 10 लाख करोड़ रुपये से बढ़ाकर वर्ष 2018-19 में 11 लाख करोड़ रुपये करने की घोषणा की। सरकार के विजऩ को आगे बढ़ाते हुए वित्त मंत्री ने बजट 2018-19 में 500 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ ‘ऑपरेशन ग्रीन्स’ लांच करने की घोषणा की, ताकि जल्द नष्ट होने वाले जैसे कि आलू, टमाटर और प्याज की कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव की समस्या से निपटा जा सके। ‘ऑपरेशन फ्लड’ की तर्ज पर शुरू किया गया ‘ऑपरेशन ग्रीन्स’ इस क्षेत्र में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), कृषि-लॉजिस्टिक्स, प्रसंस्करण सुविधाओं और प्रोफेशनल प्रबंधन को बढ़ावा देगा।
जैविक खेती
इसके अलावा, श्री जेटली ने कहा कि सरकार ने बड़े पैमाने पर जैविक खेती को बढ़ावा दिया है। बड़े क्लस्टरों, विशेषकर प्रत्येक 1000 हेक्टेयर में फैले क्लस्टरों में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और ग्रामीण उत्पादक संगठनों (वीपीओ) में जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका कार्यक्रम के तहत क्लस्टरों में जैविक खेती करने के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) को भी प्रोत्साहित किया जाएगा।

ग्रामीण बाजार
मौजूदा 22,000 ग्रामीण हाटों को ग्रामीण कृषि बाजारों (ग्राम) के रूप में विकसित करने की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में 86 प्रतिशत से भी अधिक छोटे एवं सीमांत किसान हैं जो सीधे एपीएमसी और अन्य थोक बाजारों में लेन-देन करने की स्थिति में हमेशा नहीं होते हैं। इन ‘ग्रामों’ में मनरेगा तथा अन्य सरकारी योजनाओं का उपयोग करके भौतिक बुनियादी ढांचे को बेहतर किया जाएगा और इन्हें इलेक्ट्रॉनिक ढंग से ई-नाम से जोड़ा जाएगा।
मण्डी विस्तार
श्री जेटली ने कहा कि पिछले बजट में सरकार ने ई-नाम को मजबूत करने और 585 एपीएमसी में ई-नाम की कवरेज बढ़ाने की घोषणा की थी। इनमें से 470 एपीएमसी को ई-नाम नेटवर्क से जोड़ दिया गया है और शेष एपीएमसी को मार्च 2018 तक इससे जोड़ दिया जाएगा। इसके अलावा 22,000 ग्रामीण कृषि बाजारों (ग्राम) और 585 एपीएमसी में कृषि विपणन से संबंधी बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए 2000 करोड़ रुपये की राशि वाला कृषि-बाजार ढांचागत कोष बनाया जाएगा।
खाद्य प्रसंस्करण
खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के लिए आवंटन को वर्ष 2017-18 के 715 करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान से दोगुना कर वर्ष 2018-19 के बजट अनुमान में 1400 करोड़ रुपये करने की घोषणा करते हुए श्री जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना खाद्य प्रसंस्करण में निवेश को बढ़ावा देने वाला प्रमुख कार्यक्रम है।
मत्स्य एवं पशुपालन
मत्स्य पालन एवं पशुपालन क्षेत्र के छोटे और सीमांत किसानों की कार्यशील पूंजी संबंधी जरूरतों की पूर्ति में मदद के लिए एक प्रमुख कदम की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री ने किसान क्रेडिट कार्डों (केसीसी) की सुविधा इस क्षेत्र को भी देने की बात कही। इससे पशु, भैंस, बकरी, भेड़, मुर्गी एवं मत्स्य पालन के लिए फसल ऋण और ब्याज सब्सिडी का लाभ मिलेगा, जो अब तक केसीसी के तहत केवल कृषि क्षेत्र को ही उपलब्ध था। इसके अलावा वित्त मंत्री ने मत्स्य पालन क्षेत्र के लिए मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि बुनियादी ढांचागत विकास कोष (एफएआईडीएफ) और पशुपालन क्षेत्र की ढांचागत जरूरतों के वित्तपोषण के लिए पशुपालन बुनियादी ढांचागत विकास कोष (एएचआईडीएफ) बनाने की भी घोषणा की।
बांस मिशन
श्री जेटली ने बांस को ‘हरित सोना’ की संज्ञा देते हुए 1290 करोड़ रुपये के पुनर्गठित राष्ट्रीय बांस मिशन लांच करने की घोषणा की, जो पूर्ण बांस मूल्य श्रृंखला के मार्ग की बाधाएं दूर करने और समग्र रूप से बांस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए क्लस्टर से जुड़ी अवधारणा पर आधारित है। बांस उत्पादकों को उपभोक्ताओं से जोडऩे, संग्रह, एकत्रीकरण, प्रसंस्करण एवं विपणन के लिए सुविधाओं के सृजन, एमएसएमई, कौशल निर्माण और ब्रांड निर्माण पर फोकस होने की बदौलत यह घोषणा किसानों के लिए अतिरिक्त आमदनी और विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के कुशल एवं अकुशल युवाओँ के लिए रोजगार अवसर सृजित करने में अहम योगदान देगी।
श्री जेटली ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में वायु प्रदूषण की चुनौती से निपटने के लिए हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकारों के प्रयासों में आवश्यक मदद देने और खेत में ही फसल अपशिष्ट के प्रबंधन के लिए आवश्यक मशीनरी पर सब्सिडी देने के लिए एक विशेष योजना क्रियान्वित की जाएगी।

विशेष टिप्पणी
सोमपाल शास्त्री
पूर्व केन्द्रीय मंत्री

कृषि क्षेत्र में निवेश को लेकर सरकार गंभीर नहीं

बजट में कृषि क्षेत्र के लिए की गई घोषणाओं को देखकर लगता है कि सरकार कृषि क्षेत्र में निवेश को लेकर गंभीर नहीं है। सरकार ने खरीफ की फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को डेढ़ गुना करने की बात की है पर रबी की फसल का कोई जिक्र नहीं किया जो कि दो महीने के बाद बाजार में में आएगी, तब तक सरकार चुनावी मोड में आ चुकी होगी।

बजट में कहा गया है कि वह राज्य सरकारों से चर्चा करके इसके तौर-तरीके निर्धारित करेगी। इस प्रक्रिया में भी समय लगेगा। एक तरफ सरकार एमएसपी को बढ़ाने की बात कर रही है वहीं दूसरी तरफ इसी सरकार ने एमएसपी पर राज्य सरकारों की तरफ से दी जाने वाली राशि को एक अधिसूचना जारी करके रोकने पर मजबूर कर दिया ।
अधिसूचना में कहा गया कि यदि राज्य एमएसपी पर बोनस देते हैं तो भारतीय खाघ निगम (एफसीआई) उसकी फसल को नहीं खरीदेगा। अभी तो हालत यह है कि सरकार द्वारा निर्धारित एमएसपी भी किसानो को नहीं मिल पा रही है तो बढ़ी हुई एमएसपी मिलने की क्या आशा की जा सकती है? कृषि सिंचाई के लिए फिलहाल 10 लाख करोड़ रूपए के निवेश की जरूरत है। यदि राज्य सरकारें इसमें 5 लाख करेाड़ रुपये भी दे तो सरकार को बजट के इस मद में 50 हजार करोड़ रुपये रखने चाहिए थे लेकिन सरकार ने रखे 2600 करोड़ रूपये। इस हिसाब से तो कृषि सिंचाई की जरूरत पूरी होने में ही सैकड़ों साल लग जाएंगे।
बजट में ग्रामीण हाटों को बजार में बदलने की घाषणा की गई है यानी इसकी आधारभूत संरचाना का विकास किया जाएगा पर यदि किसी हाट की चारदीवारी बना दी जाए तो इससे किसान की आय कैसे बढ़ेगी यह समझ से परे है।
वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए 20 फीसदी कृषि विकास दर की जरूरत है पर फिलहाल यह दर 2.1 फीसदी है। कृषि क्षेत्र की प्रगति के लिए आशावान बजट पेश होना चाहिये था जो कि दिखाई नहीं देता। कृषि क्षेत्र का बिना कोई रोडमैप बनाए बजट की छोटी-मोटी घोषणाएं केवल ‘जुमला’ ही साबित होंगी।

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