Editorial (संपादकीय)

खेती की आय बढ़ाने का अभिनव प्रयोग

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चित्र में जनेकृविवि के कुलपति डॉ. पी.के. बिसेन एवं उपसंचालक कृषि श्री जितेन्द्र सिंह से अपनी उपलब्धि साझा करते हुए दिनेश माहेश्वरी।

होशंगाबाद। प्रक्षेत्र दिवस पर बनखेड़ी विकासखंड के ग्राम गुंदरई के किसानों दीपक माहेश्वरी, दिनेश एवं हेमंत माहेश्वरी के खेतों में लगभग 250 एकड़ में नवाचार के रूप में लगाई गई फसल रामतिल एवं उसके साथ अतिरिक्त आय के रूप में मधुमक्खी पालन कर अतिरिक्त आय प्राप्त कर रहे हैं। किसानों ने बीज छिंदवाड़ा के कृषि अनुसंधान केन्द्र से रामतिल का ब्रीडर सीड किस्म जेएनएस 28 प्राप्त कर दो किलोग्राम प्रति एकड़ के मान से बीज बोया था। फसल इस वर्ष 2000 मि.मी. बारिश के बाद भी बहुत अच्छी है। जबकि अन्य फसलों को इतनी बारिश के कारण नुकसान पहुंचा है। किसान के इस नवाचार को सराहा जा रहा है। इस फसल से औसतन  10-15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर पैदावार मिलती है। लगभग 60 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर का शुद्ध मुनाफा भी प्राप्त हो सकता है। साथ ही शहद के रूप में अतिरिक्त आय प्राप्त होती है।

कुलपति जवाहर नेहरू कृषि विश्वविद्यालय जबलपुर श्री पी.के. बिसेन ने कहा कि रामतिल की फसल पहाड़ी क्षेत्र की फसल है, इसे पहली बार मैदानी क्षेत्र में इतने व्यापक पैमाने पर लगाया है। डॉ. बिसेन ने कहा कि अब समय आ गया है। जब हमें रासायनिक खेती को छोड़कर जैविक की ओर कदम बढ़ाना होगा और आने वाली पीढ़ी को बीमारियों से बचाना होगा। आयुक्त नर्मदापुरम संभाग श्री आर.के. मिश्रा ने कहा कि ग्राम गुंदरई के कृषक ने जो नवाचार किया है। उसके लिए वह प्रशंसा के पात्र हैं। श्री मिश्रा ने कृषि विभाग एवं उद्यान विभाग के मैदानी अमले से कहा कि वह किसान और प्रशासन को एक सूत्र में बांधने का काम करता है। इसलिए विभाग का मैदानी अमला सदैव किसानों के बीच रहे एवं उनके जिज्ञासाओं का हल निकाले। होशंगाबाद संभाग के प्रभारी संयुक्त संचालक श्री जितेन्द्र सिंह ने क्षेत्र में रामतिल का रकबा बढ़ाने के लिए किसानों को प्रेरित किया। उन्होंने आश्वस्त किया कि किसानों को रामतिल का उचित मूल्य मिले, इसलिए मंडी एवं में भी समुचित इंतजाम किए जाएंगे। वैज्ञानिकों के अनुसार यह फसल खरीफ में उड़द, मूंग एवं सोयाबीन का विकल्प साबित हो सकती है।

(रामस्वरूप लोहवंशी)

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