Editorial (संपादकीय)

किसानों की हताशा, समर्थन मूल्य वृद्धि से भी नहीं मिल रहा है लाभ

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किसानों की व्यथा 

किसान हित में खरीफ  2018 के लिये केन्द्र सरकार ने 14 फसलों के समर्थन मूल्य बढाए थे । तदनुसार म.प्र. की प्रमुख खरीफ फसल सोयाबीन का समर्थन मूल्य 3399/- रूपये तय किया गया है। वहीं फसलों का अधिक लाभ पहुंचाने को दृष्टिगत रखकर सोयाबीन के लिये निर्यात प्रोत्साहन राशि 7 प्रतिशत से बढ़ाकार 10 प्रतिशत किये जाने के भी समाचार आये थे। ऐसी खबर भी है कि म.प्र. के दो दल चीन और जापान में सोयाबीन के निर्यात विषयक दौरा किया गया। प्रदेश में वर्तमान में लगभग सभी किसानों की फसल निकलकर भण्डारण कि प्रक्रिया में है। प्रदेश में लगभग 53.18 लाख हेक्टर में बोई गर्ह सोयाबीन की फसल से उत्पादित सोयाबीन जरूरतमंद किसानों ने विगत 15-20 दिनों से लगातार मण्डी/व्यापारियों को औने पौने भाव लगभग 2500-2800/- रूपये क्विंटल के आसपास बेचने पर मजबूर होना पढ़ रहा है। शासन की ओर से घोषित समर्थन मूल्य पर खरीदी नही किया जाना और 500/- प्रति क्विंटल का फ्लेट रेट की राशि उनके खाते में जमा नहीं होने से  वास्तविक जरूरतमंद छोटे किसानों को भारी आर्थिक हानि उठानी पड़ी है। किसानों में आम चर्चा है कि शासन समय पर समर्थन मूल्य पर खरीदी करता ही नहीं है। करेगा तब भी कब करेगा और कब खरीदना बंद कर देगा कोई नहीं जानता है। ऊपर से डीजल के भाव में बेतहाशा वृद्धि और खाद की मूल्यवृद्धि ने भी फसल की लागत बढ़ा दी है। इस तरह से किसान अपने आपको फिर ठगा सा महसूस कर रहा है।

– बृजनेहरु पाटीदार
पूर्व कृषि अधिकारी एवं 
प्रगतिशील कृषक

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