Editorial (संपादकीय)

बीटी कॉटन बीज लेट-लतीफी सरकार की हैरान किसान, व्यापारी परेशान

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(कृषक जगत विशेष)
भोपाल। आग लगने पर कुआं खोदने वाली शिवराज सरकार किसानों की चिंता तो छाती पीट-पीट कर करती है, पर खेती-किसानी के फैसले अजगरी चाल से करती है। ताजा मामला म.प्र. में बीटी कपास बीज की नई किस्मों के अनुमोदन और पुरानी किस्मों के नवीनीकरण का है। राज्य में बीटी कपास की 40 से 50 प्रतिशत बोवनी पूरी हो चुकी है। पर कृषि विभाग ने बीटी संकर कपास को अनुमति देने के लिए 9 मई को बीज उप समिति की बैठक बुलाई। अनुमोदन आदेश अभी तक पता नहीं है। बीज से जुड़े एक विश्ेाषज्ञ ने कृषक जगत को अपनी पीड़ा व्यक्त करते हुए कहा कि बीज वैरायटी रिलीज करने वालों को ज्ञान ही नहीं है कि कपास की बोनी कब शुरू हो जाती है।
मध्य प्रदेश में कपास की बुवाई का मुहूर्त वैशाख महीने की तीज याने अक्षय तृतीय से शुरू हो जाता है। अमूमन यह तिथि अप्रैल के दूसरे सप्ताह में आती है। बीटी कपास की नई किस्मों की मांग बाजार में तेज हो जाती है, पर कृषि विभाग के अनुमोदन के अभाव में नकली बीज माफिया जाल फैलाए तैयार बैठा रहता है। इस जाल में ब्लॉक स्तर के बीज विक्रेता, व्यापारी उलझ जाते हैं। जब तक विभाग चेतता है, बीज माफिया अपना नकली माल टिका कर अगले शिकार की तलाश में बढ़ जाता है और कृषि विभाग लकीर पीटते रह जाते हैं। ये बात अलग है कि विभाग के चंगुल में फंसे बीज विक्रेताओं का चीर हरण, शोषण, भयादोहन शुरू हो जाता है और इस मथनी के सूत्र कौन पकड़े हैं, ये समझना कठिन नहीं है। मान भी लिया जाए कि सरकार संवेदनशील है, मुख्यमंत्री भावुक हैं, मध्य प्रदेश सरकार किसानों की आय दोगुना करने के लिए प्रतिबद्ध है। पर चूक तो हो जाती है, सरकार की भावना को कैसे समझें। भले ही देरी होती रहे? मध्य प्रदेश में कपास का रकबा 6 लाख हेक्टेयर है और 95 प्रतिशत बीटी कपास ही लगाया जाता है। लगभग 18 लाख पैकेट बीटी कपास पैकेट की खपत होती है। ये दुर्भाग्य है कि गमलों में खेती करने वालों को बीज की किस्में जारी करने का अख्तियार है पर सरकार को होश ही नहीं कि कब बैठक बुलाए, विशेषज्ञ से चर्चा करेंं, अनुमोदन करें ताकि किसानों तक समय पर बीज की आपूर्ति हो सके।

खरीफ 2018 – बी.टी. कॉटन की 31 नई किस्मों को मिली विक्रय अनुमति

राज्य शासन ने खरीफ 2018 के लिए बी.टी. कॉटन की 31 नई किस्मों को विक्रय अनुमति दी है। इसमें 16 कंपनियों की किस्में शामिल हैं।
जानकारी के मुताबिक इस वर्ष खरीफ के लिए बी.टी. कॉटन की 18 कंपनियों ने 49 किस्मों का प्रस्ताव दिया था। इसमें राज्य स्क्रूटनी कमेटी ने 16 कम्पनियों की 31 नई किस्मों को उपयुक्त एवं सही पाए जाने पर चयन किया। कमेटी द्वारा चयनित किस्मों में जीईएसी से पंजीयन के बाद कृषि विश्वविद्यालय स्तर पर ट्रायल परिणाम में 3 वर्ष तक सिगनिफिकेंट रही किस्में 26 हैं। इन किस्मों को विक्रय प्लान के मुताबिक शत-प्रतिशत विक्रय की अनुमति दी गई है। साथ ही जिन किस्मों के ट्रायल परिणाम दो वर्ष तक सिगनिफिकेंट और एक वर्ष एट पार रहे हैं। ऐसी 5 किस्में हंै इन्हें उनके विक्रय प्लान का 50 प्रतिशत बेचने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा शेष बची 18 किस्मों के लिए संबंधित कंपनियों से कहा गया है कि रिसर्च ट्रायल उसी अनुसंधान केंद्र पर करें जहां पूर्व के वर्षों में आयोजित किए जाते रहे हैं जिससे तीन वर्षों के स्टेबिलिटी परिणाम प्राप्त किए जा सकें। ज्ञातव्य है कि प्रदेश में कपास का कुल रकबा 6 लाख हेक्टेयर है। इसमें 5.50 लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे में बी.टी. कपास ली जाती है। गत वर्ष खरीफ में 23 कंपनियों की 38 नई किस्मों को शासन ने विक्रय अनुमति दी थी जो इस वर्ष कम हो गई हैं।

राज्य बीज समिति की बैठक में भारत सरकार की केन्द्रीय बीज समिति के डिप्टी कमिश्नर डॉ. दिलीप कुमार श्रीवास्तव भी शामिल हुए। उन्होंने बैठक में कहा कि बीटी कपास बीजों की व्यवसायिक अनुमति के तहत प्रजातियों की परिपक्वता अवधि को भी अंकित करें जिससे कृषक अपनी आवश्यकता के मुताबिक प्रजातियों का चयन कर सकें।
इस संबंध में उपसंचालक कृषि इंदौर को नियंत्रण रखने और अन्य शर्तों के अनुपालन के निर्देश दिए गए हैं।
अन्य फसलों की नई किस्मों की अनुसंशा
राज्य बीज उप समिति की बैठक में जवाहर लाल नेहरू कृषि वि.वि. जबलपुर, राजमाता विजया राजे सिंधिया कृषि वि.वि. ग्वालियर एवं यूपीएल, बायर द्वारा विकसित की गई विभिन्न फसल किस्मों को म.प्र. के लिये अधिसूचित करने की अनुशंसा भी हुई।
ज.ने.कृ.वि.वि. जबलपुर जवाहर केस्टर-4, जवाहर केस्टर-24, जवाहर धान-206, जवाहर मक्का-218 एवं जवाहर संकर मक्का-1 किस्मों को समिति ने अधिसूचित करने की अनुशंसा की।

यूपीएल और बायर की मक्का, धान किस्मों को भी मिली मंजूरी

राजमाता सिंधिया कृषि वि.वि. ग्वालियर द्वारा प्रस्तुत राज विजय काबुली चना-151, राज विजय काबुली चना-111, राज विजय मसूर-13-7 एवं राज विजय तोरिया-3 को प्रदेश के लिये अधिसूचित करने की अनुसंशा की। इसके साथ ही ग्वालियर कृषि वि.वि. की ही राज विजय सरसों-3 किस्म का दुबारा ट्रायल का निर्णय लिया।
यूपीएल लि. हैदराबाद द्वारा विकसित मक्का की संकर प्रजाति-पीसीए-751 एवं पीसीए 753 को समिति ने प्रदेश के लिए अधिसूचित करने की अनुशंसा की।
निजी संस्थाओं एवं प्रदेश के कृषि वि.वि. द्वारा विकसित प्रजातियां जो पूर्व में भारत सरकार द्वारा अधिसूचित हो चुकी हैं उन प्रजातियों को म.प्र. के लिये अधिसूचित कराने की अनुसंशा की गई है-
बायर बायोसाइंस हैदराबाद की संकर प्रजाति बीएस 129 जी (अराईज 6129 गोल्ड) अराईज 6444 गोल्ड (एच.आर.आई.-174), यू.पी.एल. लि. हैदराबाद धान की नई संकर प्रजाति पीएसी 801, पीएसी 837, मक्का (स्वीट कार्न) की नई संकर प्रजाति एच.आई. ब्रिक्स-39 और एच.आई. ब्रिक्स-53 को भी अधिसूचित करने की अनुसंशा हुई।
इसी प्रकार राजमाता सिंधिया कृषि वि.वि. ग्वालियर द्वारा विकसित नई किस्म राज विजय सरसों-2 को भी अधिसूचित करने की अनुसंशा की गई।

  विक्रय अनुमति प्राप्त
कंपनियां एवं नई किस्में
1.  सोलर एग्रोटेक प्रा. लि. सोलर-69 बीजी 2       सोलर-96 बीजी 2
2.  वेस्टर्न एग्री सीड्स लि. वेस्टर्न कस्तूरी 555 बीजी 2 वेस्टर्न कस्तूरी 666 बीजी 2
3.  आरजे बायोटेक लि. आरजेएचएच 13 बीजी 2 आरजेएचएच 113 बीजी 2
4. कृषिधन सीड्स प्रा.लि. केडीसीएचएच 202 बीजी 2 केडीसीएचएच 722 बीजी 2
5.  बायर बायोसाइंस प्रा.लि. एसपी 7517 बीजी 2
6.  कावेरी सीड्स लि. केसीएच 144 बीजी 2    केसीएच 711 बीजी 2
7.  अजीत सीड्स प्रा.लि. एसीएच 152 बीजी 2       एसीएच 1 बीजी 2
8.  मेथालिक्स लाईफ साइंस एमएच 5360 बीजी 2      एमएच 5343 बीजी 2
9.  नीजुवीडू सीड्स लि. एनसीएस 864 बीजी 2 एनसीएस 856 बीजी 2 एनसीएस 858 बीजी 2
10. रासी सीड्स प्रा.लि. आरसीएचबी 708 बीजी 2
11. नर्मदा सागर एग्री सीड्स नर्मदा 3355 बीजी 2
12. सफल सीड्स प्रा.लि. एसएसबी 98 बीजी 2   एसएसबी 99 बीजी 2
13. नवकार हाइब्रिड सीड्स एनसीसीएच 0002 बीजी 2 एनसीसीएच 0005 बीजी 2 एनसीसीएच 0006 बीजी 2
14. श्रीराम बायोसीड जेनेट्किस 7213-2 बीजी 2                      847-2 बीजी 2
15. तुलसी सीड्स प्रा.लि. तुलसी 45 बीजी 2
16. कोहिनूर सीड्स फील्ड केएससीएच 212 बीजी 2 केएससीएच 208 बीजी 2 केएससीएच 211 बीजी 2
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