Editorial (संपादकीय)

गेहूं के जरिए कुपोषण मिटाने की कोशिश

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इंदौर। कुपोषण एक राष्ट्रीय समस्या है, जिससे मध्य प्रदेश भी अछूता नहीं है। यूँ तो प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग बच्चों के कुपोषण को दूर करने के लिए प्रयत्नशील है, लेकिन इस चुनौती से निपटने  में कृषि विभाग भी अपना योगदान दे रहा है। 

इस संदर्भ में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा करीब दो वर्ष पूर्व विकसित गेहूं की नई किस्म पोषण (एच आई 8663 ) को किसानों को बोने के लिए  प्रेरित किया जा रहा है। खरगोन जिले में इसकी पहली बार बोनी की जा रही है।

इस बारे में उप संचालक कृषि खरगोन श्री एम. एल. चौहान ने  कृषक जगत बताया कि गेहूं की यह किस्म पोषण करीब दो -तीन साल पुरानी है। उज्जैन के अलावा अन्य जिलों में भी इसे लगाया जा चुका है। खरगोन जिले में पोषण गेहूं लगाने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। इसका 100 क्विंटल बीज वितरण का लक्ष्य रखा गया है। इस किस्म का उत्पादन 30 से 35 क्विंटल प्रति हेक्टर रहने का अनुमान है।

जानकारी के अनुसार गेहूं की इस किस्म पोषण में  न्यूट्रीशियन की मात्रा 40  प्रतिशत है, जो गेहूं की अन्य किस्मों की तुलना में ज्यादा है। गेहूं की इस प्रजाति में प्रोटीन,विटामिन ए, आयरन और जिंक जैसे पोषक तत्व की मात्रा भरपूर है। इसलिए उम्मीद की जा रही है कि इसके  नियमित इस्तेमाल से बच्चों के कुपोषण को कम करने में मदद मिलेगी।

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