फसल की खेती (Crop Cultivation)

जल बचत हेतु करें लो टनल तकनीक से सब्जी उत्पादन 

17 दिसंबर 2025, नई दिल्ली: जल बचत हेतु करें लो टनल तकनीक से सब्जी उत्पादन – ग्रामीण विकास विज्ञान समिति (ग्राविस) द्वारा वर्षा जल संचयन एवं उचित प्रबन्धन से कृषि की उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य से एकदिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कृषि विज्ञान केन्द्र पोकरण पर किया गया। जिसमें खेतासर, माधोपुरा एवं बेतीना ग्रामों की महिलाओं ने भाग लिया। केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ दशरथ प्रसाद ने बताया की भारत में सबसे कम वर्षा जैसलमेर जिले में होती है इसलिए वर्षा जल के प्रभावी संग्रहण, संरक्षण एवं उपयोग के आधुनिक तकनीकी, जिससे कम वर्षा वाले क्षेत्रों में कृषि उत्पादन स्थिर एवं टिकाऊ बने इस उद्देश्य को ध्यान में रखकर कार्य करने की है। 

Advertisement1
Advertisement

सरकार की जल संरक्षण हेतु फ्लेगशिप योजनाओ का लाभ ले। समुदाय आधारित जल संरचनाओं के निर्माण से भूजल पुनर्भरण बढ़ता है, जिससे किसानों को रबी मौसम में भी सिंचाई उपलब्ध हो सकती है। रबी में होने वाली समसामयिकी क्रियाओं पर चर्चा करते हुए रबी फसलों में लगने वाले कीड़े एवं बिमारियों पर के बारे में बताया। प्रसार वैज्ञानिक डॉ सुनील शर्मा ने बताया कि खेत में जल संरक्षण हेतु मेड़बंधी एवं फार्म पोंड निर्माण करे, रूफ-टॉप हार्वेस्टिंग तथा गांव स्तर पर सामुदायिक जल संरचनाओं का विकास, शुष्क भूमि के लिए उपयुक्त फसलें, किस्में एवं फसल विविधीकरण करे। वैज्ञानिक डॉ राम निवास ढाका ने बताया कि वर्षा आधारित खेती में कृषक समूहों की भूमिका तथा सामुदायिक निर्णय-प्रक्रिया, जल उपयोग दक्षता बढ़ाने हेतु माइक्रो-इरिगेशन (ड्रिप व स्प्रिंकलर) का उपयोग करना समय की मांग है। 

इन्होने बताया  कि किचन गार्डन के लिये घर के चारों तरफ उपलब्ध भूमि पर घर के साधनों जैसे- उपलब्ध भूमि में रसोई व नहाने के पानी का समुचित उपयोग करते हुए स्वयं एवं परिवार के सदस्यों की देखरेख व प्रबंधन में स्वास्थ्यवर्धक व गुणवत्ता युक्त मनपसंद सब्जियों, फलों व फूलों का उत्पादन कर दैनिक आवश्यकता की पूर्ति की जा सकती है। कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों के प्रश्नों का समाधान किया गया एवं उन्हें केन्द्र के प्रायोगिक प्रदर्शन का भ्रमण भी कराया गया। ग्राविस प्रतिनिधि शीतल भाटिया ने क्षेत्र के किसानों से अपील की कि वे वर्षा जल संरक्षण को सामुदायिक अभियान के रूप में अपनाएं तथा अपने गांव को जल समृद्ध एवं जल-स्मार्ट बनाने में योगदान दें। इस एकदिवसीय प्रशिक्षण में भैसडा, खैतासर व माधोपुरा ग्रामों की कृषक महिलाओं प्रियंका कँवर, गुड्डी कँवर, कमला एवं भोमसिंह ने प्रतिभाग किया।

Advertisements
Advertisement3
Advertisement

आपने उपरोक्त समाचार कृषक जगत वेबसाइट पर पढ़ा: हमसे जुड़ें
> नवीनतम कृषि समाचार और अपडेट के लिए आप अपने मनपसंद प्लेटफॉर्म पे कृषक जगत से जुड़े – गूगल न्यूज़व्हाट्सएप्प
> कृषक जगत अखबार की सदस्यता लेने के लिए यहां क्लिक करें – घर बैठे विस्तृत कृषि पद्धतियों और नई तकनीक के बारे में पढ़ें
> कृषक जगत ई-पेपर पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: E-Paper
> कृषक जगत की अंग्रेजी वेबसाइट पर जाने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें: Global Agriculture

Advertisement8
Advertisement
Advertisements
Advertisement5
Advertisement