यूपीएल ने सरपंच मेले का आयोजन किया
18 जून 2021, मुंबई । यूपीएल ने सरपंच मेले का आयोजन किया – पर्यावरण के अनुकूल, टिकाऊ कृषि उत्पाद और सुविधाएं प्रदान करने वाली वैश्विक कंपनी यूपीएल लिमिटेड ने फसल की सुरक्षा के व्यापक समाधान, उपज और किसानों की कुल समृद्धि को बढ़ाने जैसे कई उद्देश्य से गत दिनों सरपंच मेले का आयोजन किया , जिसमें महाराष्ट्र के 100 से ज़्यादा सरपंचों ने हिस्सा लिया। उन्हें इस आयोजन में अच्छा प्रतिसाद मिला।
यूपीएल लिमिटेड के क्षेत्रीय निदेशक-भारत श्री आशीष डोभाल ने सरपंच मेले की मेजबानी करते हुए यूपीएल की इस पहल के बारे में अपने विचार साझा करते हुए कहा कि “यूपीएल लिमिटेड में, हम अपनी क्षमताओं के अनुसार किसानों को लाभान्वित करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हमारे कार्यक्रमों में कृषि उपज में सुधार लाने और उसके ज़रिए किसानोंकी आय बढ़ाने के उद्देश्य से व्यापक दृष्टिकोण अपनाया जाता है। पहल में भाग लेने वाले सरपंच यूपीएल गांवों की संकल्पना के बारे में जानकर काफी खुश हुए, और जब उन्हें पता चला कि उन गांवों
को कितने लाभ मिल रहे हैं, तब उन्होंने इस संकल्पना को अपने गांवों में लाने की उत्सुकता दर्शाई।हमारी इस पहल की सफलता से मैं काफी खुश हूं और उम्मीद करता हूं कि हम विभिन्न माध्यमों ज़रिए ज़्यादा से ज़्यादा किसानों तक पहुंच पाएंगे और उन्हें अधिक सक्षम बनाएंगे।
यूपीएल लिमिटेड द्वारा गोद लिए गए महाराष्ट्र के दो गांवों (तालुका पारनेर में वडाले और तालुका जुन्नर में आलेफाटा) को यूपीएल के उत्पादों और सेवाओं से मिल रहे लाभों की जानकारी सत्र के दौरान वक्ताओं ने दी। यूपीएल गांव की संकल्पना, उपज और किसानों की आय में वृद्धि का कारण बने हुए चिरस्थायी कृषि उत्पाद और प्रथाओं को अपनाने में किसानों की मदद के लिए यूपीएल लिमिटेड द्वारा किए गए उपाय आदि कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गई । फसल के लिए बीमा सुरक्षा जैसे किसानों को दिए जा रहे अन्य लाभों के बारे में जानकारी दी गई । सत्र में शामिल सरपंचों को इस चर्चा से बहुत ही अच्छा प्रतिसाद मिला, उनमें से कई सरपंचों ने कार्यक्रम कोअपने गांवों में लाने में रूचि दिखाई।
पुणे जिले में तालुका जुन्नर रोहोकाडी गांव के सरपंच श्री सचिन घोलप ने कहा कि इस मेले में हमें काफी अच्छी जानकारी मिली और हमारे खेतों की क्षमता के बारे में हमारी समझ बढ़ी।यूपीएल लिमिटेड के उत्पादों और सेवाओं की जानकारी के साथ ही हमें यह भी पता चला कि कैसे इन उत्पादों और सेवाओं से हमें न केवल उपज बल्कि हमारी आय बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। इस कार्यक्रम को मैं हमारे गांव में लाने पर मैं ज़रूर सोचूंगा और आज मैंने जो देखा और जाना उसकेआधार पर तो मैं दूसरे गांवों को भी इसकी सिफारिश करूंगा। वहीं अहमदनगर जिले के तालुका पारनेर के वाडुले गांव के सरपंच श्री. शिवाजी भापकर ने बताया, खरीफसीज़न के दौरान बोई गई हमारी प्याज़ की फसल का भारी नुकसान होता था। लेकिन पिछले खरीफसीज़न में जब हमने प्याज़ की फसल में ज़ेबा का इस्तेमाल किया तो हमने पाया कि मिट्टी अच्छी मिलकर आई जिससे बारिश के अतिरिक्त पानी को तेजी से बाहर निकालने में मदद होती थी और साथ ही पोषक तत्वों को जड़ों में इकठ्ठा किया जाता था। ज़ेबा के उपयोग से हमें अच्छी गुणवत्ता के प्याज़ की 20-30 प्रतिशत अधिक पैदावार मिली और साथ ही पके हुए प्याज़ के सड़ने के मामलों को कम करने में भी मदद मिली। उन्होंने आगे कहा कि, चिरस्थायी खेती के एक उदाहरण के रूप में ज़ेबा न केवल उपज को काफी हदतक बढ़ाता है बल्कि यह प्राकृतिक संसाधनों और खेती में लगायी जाने वाली उत्पादक सामग्री की बर्बादी को भी कम करता है, जिसके परिणामस्वरूप फसल का नुकसान कम होता है और किसानों की आय बढ़ती है।