फसल की खेती (Crop Cultivation)

चने की फसल को ऐसे बचाएं रोगों को, विशेषज्ञ ने दिए सुझाव

25 फ़रवरी 2025, नई दिल्ली: चने की फसल को ऐसे बचाएं रोगों को, विशेषज्ञ ने दिए सुझाव – चने की फसल करने वाले किसानों की कमी हमारे देश में नहीं है लेकिन इस फसल पर रोग लगने की भी संभावना होती है इसलिए पूसा संस्थान के विशेषज्ञ डॉक्टर सी. भारद्वाज ने किसानों को कई सुझाव दिए है। इन्हें अपनाकर संबंधित किसान भाई चने की फसल को रोगों से बचा सकते है।


विशेषज्ञ डॉक्टर भारद्वाज ने बताया कि चने की फसल में मिट्टी जनित रोगों के संक्रमण का प्राथमिक कारण बनता है फसल चक्र की अनदेखी करना। कई बार किसान एक खेत में लगातार एक फसल की खेती करते हैं। इस तरह फसल में रोगों के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

चने की फसल में उकठा रोग का संक्रमण देखा जाता है। ऐसे में किसान गर्मियों के दौरान गहरी जुताई कर सकते हैं। इस तरह पुरानी फसल के अवशेषों में मौजूद कीट और फफूंद बीजाणु सीधे सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आ जाते हैं, जिससे वे मर जाते हैं। किसान सिंचाई से पहले ट्राइकोडर्मा के साथ सड़ी हुई गोबर की खाद का इस्तेमाल कर सकते हैं। सबसे पहले किसानों को 100 किलो सड़ी हुई गोबर की खाद में 10 किलो ट्राइकोडर्मा मिलाना चाहिए और सिंचाई से पहले इसे एक हेक्टेयर खेत में समान रूप से फैला देना चाहिए। इसके बाद सिंचाई के माध्यम से खेत में इस मिश्रण को फैला देना चाहिए। रोग की रोकथाम के लिए किसान बीज उपचार का सहारा ले सकते है। बीजों को जैविक कीटनाशक और रासायनिक कीटनाशकों से उपचारित करने से कई तरह के मिट्टी जनित रोगों से बचा जा सकता है। किसान बीजों को कार्बेन्डाजिम की 2 ग्राम मात्रा को प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित कर सकते हैं। पूसा चना मानव जैसी प्रतिरोधी किस्में अपनाएं। इसकी औसत उपज 2.5 टन प्रति हेक्टेयर है। इस रोग से संक्रमित पौधों को निकालकर नष्ट करें  कारबेंडाजिम का 0.2% घोल बनाकर जड़ों के पास छिड़काव करें।  शुष्क जड़ सड़न और जड़ सड़न का प्रभाव भी चने की फसल में देखा जा सकता है। इन रोगों का संक्रमण होने पर पौधों की जड़ों में गलन पैदा होती हैं, जिससे पौधे सूखने लगते हैं  खेत में फसल अवशेष न छोड़ें, क्योंकि यह रोगजनकों को बढ़ावा देता है। संक्रमित पौधों को हटाना: रोगग्रस्त पौधों को जड़ से उखाड़कर खेत से बाहर जलाएं।  कार्बेंडाजिम का 0.2% घोल बनाकर छिड़काव करें।

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