वैज्ञानिकों ने बताया टमाटर के रोगों का इलाज
13 फरवरी 2023, टीकमगढ़ । वैज्ञानिकों ने बताया टमाटर के रोगों का इलाज – कृषि विज्ञान केन्द्र टीकमगढ़ के प्रधान वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी. एस. किरार, वैज्ञानिक डॉ. आर. के. प्रजापति, डॉ. यू. एस. धाकड़, द्वारा ग्राम सिमरिया, पराखास, सुन्दरपुर, बड़ागांव ग्रामों में खेतों में लगी रबी फसलों का भ्रमण कर निरीक्षण किया।
गेहूं में जड़ सड़न
गेहंू में राइजोक्टोनिया जड़ सडऩ की बीमारी से खेत में धब्बों के रूप में गेहंू के पौधे की पत्तियां पीली हो रही हंै जिसके लिये खेत में जहां इस तरह की समस्या दिख रही है वहां पर कृषकों को सलाह दी गई की वो इन जगहों पर गुड़ाई करके (टैबुकोनाजोल $प्रोपोकोनाजोल) दवा की एक मिली मात्रा को एक लीटर पानी के साथ घोलकर ट्रेचिंग अथवा जड़ के क्षेत्र में गुड़ाई करके छिडक़ाव करें। गेहंू में कहीं-कहीं तापमान के अचानक बदलाव से पत्ती भी झुलस जा रही है। जिसके लिये (टैबुकोनाजोल 10त्न+सल्फर 65त्न डब्ल्यू जी) की 1 ग्राम मात्रा को एक लीटर पानी के साथ घोल बनाकर छिडक़ाव करें या दवा की 1.25 कि.ग्रा. मात्रा को एक हेक्टेयर में उपयोग करें।
सरसों में माहू
कुछ खेतों में सरसों में माहू का प्रकोप हो रहा है जो सरसों की बुवाई देरी से हुई है उनमें कृषकों को (इमिडाक्लोप्रिड 17.8त्न एसएल) की 1 मिली मात्रा या पाईरीप्ररोअक्सीफेन 10त्न ईसी की 1 मिली प्रति लीटर पानी के हिसाब से घोल बनाकर छिडक़ाव करें। वहीं चने की फसलों में इल्ली के प्रकोप को रोकने के लिये क्विनालफॅास दवा की 2 मिली/लीटर मात्रा पानी के साथ मिलाकर छिडक़ाव करें।
टमाटर में झुलसा रोग
टमाटर में झुलसा रोग का प्रकोप के लिये आईप्रोवैलीकर्ब 5.5त्न+प्रोपीनेब 61.2त्न की 600 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ के हिसाब से 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें। वैज्ञानिकों ने प्राकृतिक खेती के बारे में भी किसानों को जागरूक किया और रसायनिक दवाओं का उपयोग अंतिम विकल्प के रूप में उपयोग करने की सलाह दी।
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